नमामि गंगे प्रोजेक्ट अपने आंसू बहाने पर मजबूर..ज्योति बाबा


कानपुर , नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अंतर्गत गंगा प्रदूषण मुक्ति के लिए गंभीर प्रयास किए गए,लेकिन घाटों पर बने विद्युत शवदाह गृह अगले 50 सालों की जरूरत की संख्या के आधार पर नहीं बने,परिणामस्वरूप कोरोना महामारी काल में पहले से प्रदूषित गंगा पर अतिरिक्त बोझ आ जाने से गंगा प्रदूषण मुक्ति का संकल्प तार-तार हो रहा है हम जितना आगे बढ़े थे उससे कई गुना पीछे हो गए हैं,उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में उत्तर प्रदेश वैश्य व्यापारी महासभा के सहयोग से नशा हटाओ प्रदूषण मिटाओ बेटी बचाओ कोरोना भगाओ अभियान के अंतर्गत भगवत दास घाट कानपुर में आयोजित  ई-संगोष्ठी शीर्षक कोरोना काल में गंगा प्रदूषण मुक्त हेतु नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही,ज्योति बाबा ने आगे बताया कि शहर की आबादी 70 लाख के आसपास होने के चलते रणनीतिकारों को कम से कम 40 विद्युत शवदाह गृह बनाए जाने चाहिए थे लेकिन नीति कारों ने जानबूझकर गंगा प्रदूषण मुक्ति के प्रयासों में पलीता लगा दिया आज प्रत्येक घाट पर लाशों की गिनती करना मुश्किल हो रहा है और उससे निकली राख व अन्य सामग्री खुले रुप से गंगा में फेंकी जा रही है जिससे मां गंगा अपना स्वरूप बदल रही है इसीलिए नवजात पेड़ों की कटान रोकने व गंगा के शुद्धिकरण के लिए बिना समय गवाएं विद्युत शवदाह गृह बनाए जाएं वरना अंतिम संस्कार के अभाव में एक नई महामारी का जन्म हो जाएगा l सदस्य प्रधान मंत्री आदर्श ग्राम योजना प्रदेश सलाहकार शासन समिति रविशंकर हवेलकर ने कहा कि मां गंगा के शुद्धिकरण के लिए अगले 50 सालों के हिसाब से नीति नियंता योजना बनाकर काम करें,तभी हम मां गंगा का निर्मल रूप देख पाएंगे वरना अपने बच्चों को किताबों और वर्चुअल वर्ल्ड के माध्यम से ही बताना पड़ेगा कि कभी भारत में ऐसे महान पवित्र नदी गंगा भी थी जैसे सरस्वती विलोप हो गई वैसा ही ना हो,इसलिए सभी मिलकर मां गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाएं l ई संगोष्ठी का संचालन गणेश गुप्ता प्रदेश महामंत्री व धन्यवाद प्रदेश महामंत्री संगठन अनूप अग्रवाल ने दिया lअन्य प्रमुख डॉक्टर आर पी भसीन,सत्य प्रकाश गुलहरे,रोहित कुमार,गीता पाल,सुभाष अग्रवाल,इंजीनियर जगमोहन गुप्ता,बीना अग्रवाल इत्यादि थे l v