कानपुर।शहर में बढ़ती ऑक्सीजन की किल्लत से कोरोना संक्रमितों को उपचार में परेशानी हो रही है। इसके समाधान के लिए प्रोटोकॉल तोड़ खुद औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना सोमवार रात डीएम आवास पर पहुंचे और वहां डीएम और मंडलायुक्त के साथ बैठक की। अफसरों ने उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत, खपत और उपलब्धता के बारे में बताया। औद्योगिक विकास मंत्री ने मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव एमएसएमई को फोन किया और तीन से चार दिन के लिए ऑक्सीजन का उपलब्ध कराने के लिए कहा। उन्होंने पत्र भी ई-मेल कराया। इससे पहले दोपहर में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की थी। मुख्यमंत्री ने भी ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने का उन्हें आश्वासन दिया है। कोविड अस्पतालों में और होम आइसोलेशन वाले मरीजों के लिए हर रोज 65 से 70 टन ऑक्सीजन की जरूरत है, जबकि बैकअप सिर्फ 15 से 20 टन ऑक्सीजन होती है। अगर किसी कारण से ऑक्सीजन का टैंकर शहर न पहुंचे तो अनहोनी हो सकती है। ऐसे में औद्योगिक विकास मंत्री चाहते हैं कि शहर में तीन से चार दिन के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध रहे ताकि कोई दिक्कत न हो। उन्हें बताया गया कि 20 टन ऑक्सीजन है, सुबह जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन आ जाएगी, लेकिन बुधवार के लिए ऑक्सीजन नहीं रहेगी। इसलिए मंगलवार की रात में ही ऑक्सीजन मंगानी होगी। औद्योगिक विकास मंत्री ने मंडलायुक्त डा. राजशेखर और डीएम आलोक कुमार से कहा कि ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी। मुख्य सचिव ने भी फोन पर उन्हें आश्वस्त किया कि पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध करा दी जाएगी। दूसरे शहरों को ऑक्सीजन भेजे जाने से शहर में हो रही दिक्कत के बारे में भी औद्योगिक विकास मंत्री ने मुख्य सचिव को अवगत कराया। फोन उठता नहीं तो किस काम का कंट्रोल रूम, कानपुर : कोरोना से संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है। संक्रमित मरीज भर्ती होने के लिए भटक रहे हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। न तो नगर निगम के कंट्रोल रूम का फोन उठता है और न ही डीएम द्वारा तैनात किए गए एसीएम व स्वास्थ्य विभाग के नोडल अफसर कोई जवाब देते हैं। फोन मिलाने पर नगर निगम कंट्रोल रूम के एक भी नंबर पर बात नहीं हुई। सिर्फ एक एसीएम ने फोन उठाया। स्वास्थ्य विभाग के नोडल अफसरों में से एक ने ही सही सलाह दी।नगर निगम के एकीकृत कंट्रोल रूम के तीन नंबर दिए गए हैं, लेकिन इनमें रात नौ बजे जब फोन मिलाया गया तो एक भी नंबर पर बात नहीं हुई। लगातार घंटी बजती रही, पर किसी ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। अगर किसी पीड़ित का कोई अपना संक्रमित होगा तो नंबर न उठने पर उसकी क्या स्थिति होगी, इस दर्द को नहीं समझा जा रहा है। इसी तरह डीएम ने एसीएम को नोडल अधिकारी बनाया है। फोन करने पर न तो एसीएम एक ने फोन उठाया और न ही दो, चार और पांच ने। एसीएम तीन ने फोन उठाया और जब उन्हें बताया गया कि हमें मरीज को भर्ती कराना है तो उन्होंने दो अस्पतालों का नाम बताया और कहा कि वहां बेड खाली हैं भर्ती करा सकते हैं। कोई दिक्कत आए तो बताएं। वहीं, सीएमओ द्वारा नोडल अधिकारी बनाए गए डॉ. एपी मिश्रा को जब फोन करके बताया कि छोटा भाई पॉजिटिव है, उसे भर्ती कराना है तो बोले मुझे क्यों फोन कर रहे हैं। इतना कहकर उन्होंने फोन काट दिया। डॉ. एके सिंह को फोन किया गया तो उन्होंने पूरी बात सुनी और बोले टोल फ्री नंबर मिलाकर मरीज का नाम नोट कराएं। वहां से अस्पताल एलाट होगा। डॉ. अमित कनौजिया को जब समस्या बताई गई तो उन्होंने कहा मैं नहीं देखता हूं और फोन काट दिया।s
औद्योगिक विकास मंत्री ने डीएम आवास मेंं की मंडलायुक्त व डीएम से बैठक