इस्लाम के पहले खलीफा हजरते सिद्दीके अकबर का जलसा बांसमण्डी में मनाया गया 


कानपुर, 16 फरवरी। हजरते सैयदना अबूबकर सिद्दीके अकबर का नाम आसमानों में भी सिद्दीक हैं आप पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहों अलैय वसल्लम के पहले खलीफा हैं। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहों अलैय वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि अल्लाह और मुसलमान अबूबकर से ही राजी है और वहीं लोगों को नमाज पढ़ायेंगे और मेरे बाद खिलाफत के बारे में अल्लाह और मुसलमाने अबूबकर के अलावा किसी को कुबूल नहीं करेंगे। उक्त विचार मदरसा रज्ज़ाकिया मदीनतुल उलूम पानी की टंकी बांसमण्डी के तत्वावधान में आयोजित यौमे सिद्दीके अकबर के जलसे को सम्बोधित करते हुए हज़रत मौलाना मोहम्मद हाषिम अषरफी अध्यक्ष आल इंडिया गरीब नवाज कौंसिल, इमामे ईदगाह गदियाना ने व्यक्त किये।
श्री अषरफी ने कहा कि पैगम्बरे इस्लाम के बाद अगर किसी को इस्लाम में मर्तबा हासिल है तो अबुबकर सिद्दीके अकबर का है। सिद्दीके अकबर ही सबसे पहले जन्नत में दाखिल होंगे। पैगम्बरे इस्लाम इरशाद फरमाते हैं कि ऐ अबुबकर गारे सौर में तुम मेरे साथ रहे और हौजे कौसर पर भी तुम मेरे साथ रहोगे। इस्लाम को इतना फायदा किसी के माल से नहीं पहुंचा जितना फायदा सिद्दीके अकबर के माल से पहुंचा। बड़ों में सबसे पहले इमान लाने वाले हज़रते सिद्दीके अकबर हैं। आपकी चार पीड़ियां साहबी-ए-रसूल है। आपके वालिद पिता) साहबी-ए-रसूल, आप साहबी-ए-रसूल, आपके बेटे साहबी-ए-रसूल और आपके पोते भी साहबी-ए-रसूल यह मर्तबा भी आपको हासिल था। हजरत आयशा से रिवायत है कि एक चांदनी रात में जब पैगम्बरे इस्लाम का सिरे मुबारक मेरी गोद में था मैने अर्ज किया या रसूलअललाह क्या किसी शख्स की नेकिया इतनी भी है कि जितने कि आसमान पर सितारे हैं। आपने फरमाया कि हां उमर की नेकिया इतनी ही हैं। हजरते आयशा फरमाती हैं कि फिर मैने पूछा  और अबुबकर की नेकियों का क्या हाल है? हुजूर पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया कि उमर की सारी उम्र की नेकिया अबुबकर की एक नेकी के बराबर है।
श्री अषरफी ने कहा कि पैगम्बरे इस्लाम इरशाद फरमाते हैं कि ऐ लोगों सुन लो मेरे दोस्त (अबुबकर) को मेरे लिये छोड़ दो तुम्हारी हैसियत क्या है? और उनकी हैसियत क्या है तुम्हें कुछ मालूम हैं। खुदा की कसम तुम लोगों के दरवाजों पर अन्धेरा है मगर अबुबकर के दरवाजे पर नूर की बारिश हो रही है। खुदा की कसम तुम लोगों ने मुझको झुठलाया और अबुबकर ने मेरी तस्दीक (गवाही) की तुम लोगों ने माल खर्च करने में कंजूसी से काम लिया और अबुबकर ने मेरे लिये अपना माल खर्च किया। तुम लोगों ने मेरी मद्द नहीं की अबुबकर ने मेरी मद्द की और मेरा कहना माना।
एक रोज हज़रते उमर फारूक के सामने हजरते अबुबकर सिद्दीके अकबर का जिक्र किया गया तो वह रोने लगे और फरमाया कि पैगम्बरे इस्लाम के जाहरी जमाने में हजरते सिद्दीके अकबर एक दिन रात में जो अमल और बेहतरीन काम किये हैं काश मेरी पूरी जिन्दगी का अमल उनकी एक रात दिन के अमल के बराकर होता।
आपका विसाल 22 जमादिउस्सानी 13 हिजरी को हुआ। आपके जिस्मे अतहर को पैगम्बरे इस्लाम के रौजो के बाहर रख दिया गया दरवाजा अन्दर से खुला तो आवाज आई यह अल्लाह के महबूब का महबूब है। महबूब को महबूब से मिला दिया जाये। आपकी मजारे मुबारक गुम्बदे खिजरा के अन्दर पैगम्बरे इस्लाम के दाहिने हाथ पर बनी हुई है। कल बरोज कयामत जब हजरते इसराफील सूर फूकेंगे तो पैगम्बरे इस्लाम के बाद सबसे पहले हजरते सिद्दीक अकबर अपनी मजारे मुबारक से बाहर निकलेंगे।
इससे पूर्व जलसे की शुरूआत तिलावते कुराने पाक से हाफिज़ गुलाम जिलानी ने की अैर बारगाहे रिसालत में हाफिज शौकत अली, हाफिज षहनवाज, हाफिज जाने आलम, हाफिज अब्दुल्ला, हाफिज जावेद, ने नात शरीफ का नजराना पेश किया।
जलसे की अध्यक्षता हाफिज अब्दुल रहीम बहराइची, प्रधानाचार्य मदरसा रज्जाकिया मदीनतुल उलूम व संचालन मोहम्मद शाह आजम बरकाती ने किया।
जलसे में प्रमुख रूप से मो0 शाह आज़म बरकाती, हाफिज़ अब्दुल रहीम बहराइची, कारी शम्सउद्दीन, हाफिज खुर्षीद, हाफिज फहीम, नूर आलम, हाफिज जीषान अख्तर, हाफिज ओसामा, मोहम्मद औसाफ, हाफिज गुलषाद, मोहम्मद कैफ, अब्दुल कलाम आदि लोग उपस्थित थे।