प्रकृति रक्षति रक्षिता

मेट्रो रेल परियोजना एवं छतरपुर जिले के बक्सवाहा में हीरा खनन के लिए लिए पेड़ों को काटे जाने का किया विरोध



कानपुर, प्रकृती रक्षति रक्षिता:यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि यदि हम प्रकृति की रक्षा करेंगे तो वह हमारी रक्षा करेगी मनुष्य एवं प्रकृति का सम्मान अत्यंत गहरा और चिर कालिक है.मनुष्य स्वयं प्रकृति का एक अंश है,जिन तत्वों से प्रकृति का जन्म हुआ वे सभी तत्व मनुष्य के निर्माण में भी सहायक है. प्रकृति ने जीव के लिए स्थल,जल, और वायु के रूप में एक विस्तृत आवरण निर्मित किया है जिसे हम 'पर्यावरण' की संज्ञा देते हैं परंतु आज  प्रकृति प्रदत जीवनदायिनी वायु, भूमि और जल प्रदूषण के कारण जीवन घातक बन रहे हैं। प्रकृति को नष्ट करने वालों के बारे में कहा गया है कि काला धुआं उड़ाने वालों,जल को जहर बनाने वालों। जल्दी सोचो, समझो वरना सारा खेल बिगड़ जाएगा। प्रकृति उजड़ जाएगी, तो जीवन बहुत पिछड़ जाएगा।5 जून यानी विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनिया भर में बनाए जाने वाले महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को मनाने का मुख्य कारण है कि व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना। आज हमें पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन और विकास का संकल्प लेने की आवश्यकता है। आज का युग आधुनिक युग है और पूरा संसार ही पर्यावरण के प्रदूषण से ग्रस्त है।अगर पर्यावरण इसी प्रकार से प्रदूषित होता रहा तो पूरी पृथ्वी प्राणी और वनस्पति इस प्रदूषण रूपी काल के शिकार हो जाएंगे। हमें समय रहते प्रदूषण से हमारी पृथ्वी और हमारी जान बचानी है इसलिए इसके संरक्षण के लिए सार्थक प्रयास की आवश्यकता है।
   मायरा फाउंडेशन ट्रस्ट के सदस्य राकेश मिश्रा ने कहा कि मनुष्य को जीवित रहने के लिए जरूरी संसाधनों में से एक है ऑक्सीजन, और पेड़ों से हमें ऑक्सीजन मिलती है. लेकिन दुनियाभर के लोग अपनी जरूरतों के कारण पेड़ों को काट रहे हैं.जिस संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं, उस संख्या में वृक्षारोपण नहीं किया जा रहा है ये पर्यावरण से खिलवाड़ करने का ही नतीजा है जो आज करोना काल में लोगों को ऑक्सीजन की भारी कमी के चलते एक-एक सांस के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी।लोग अपने परिजनों को खो रहे हैं। इस कोरोना दौर मे मानव जगत को ऑक्सीजन की अहमियत का पता चला है। तो आइए हम इस पर्यावरण दिवस पर ऑक्सीजन की कमी ना हो इसके लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं और स्वच्छता बनाए रखें। मिश्रा द्वारा आगे कहा गया कि जिस प्रकार से शहरों के विस्तारीकरण के कारण मेट्रो रेल एवं छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगलों में देश में हीरों का सबसे बड़ा भंडार मिलने का दावा किया जा रहा है। इन जंगलों में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे होने का अनुमान लगाया गया है जो पन्ना से 15 गुना बताए जा रहे हैं। लेकिन इन हीरों को पाने के लिए वहां लगे बहुमूल्य पेड़ों की बलि देनी होगी जिसके लिए 382.131 हेक्टेयर जंगल खत्म करने की तैयारी की जाने लगी है।जंगलों की कटाई आधा धुंध हो रही है उसके लिए हम लोगों को चिपको आंदोलन की भांति एक आंदोलन फिर से खड़ा करने की आवश्यकता है। उसी कड़ी में इसकी शुरुआत आगे आने वाली पीढ़ी के रूप में हृदयांश चाणक्य एवं सौंदर्य मिश्रा ने पेड़ों से चिपक कर शुरू की।v