हज़रते आयशा सिद्दीक़ा रजि की यौमे विसाल पर फातिहा ख्वानी

तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के सदर क़ारी फ़ैसल जाफ़री ने कोरोना वबा से निजात की दुआ की

कानपुर:17 रमज़ानुल मुबारक को उम्मुल मोमिनीन हज़रते आयशा सिद्दीक़ा रजि अल्लाहु अन्हा की तारीखे विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम अनवरगंज सकेरा स्टेट मे  फातिहा ख्वानी हुई जिसकी सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने की तन्ज़ीम के खज़ान्ची क़ारी आदिल रज़ा अज़हरी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि इज़हारे नुबूवत के 4 या 5 साल के बाद हज़रते आएशा रजि अल्लाहु अन्हा पैदा हुईं 

वालिदे करीम का नाम हज़रते अबू बकर और वालिदा करीमा का नाम ज़ैनब बिन्ते आमिर है

10 नब्वी में आपका निकाह हुज़ूरे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से उस वक़्त हुआ जब आपकी उम्र शरीफ 6 या 7 साल और मदनी आक़ा की उम्र मुबारक 50 बरस थी

आप हुज़ूर की महबूबा और बहुत ही चहीती बीवी हैं, आपके बारे में आक़ा अलैहिस्सलाम का इरशाद है कि किसी बीवी के बिस्तर में मुझ पर पैग़ामे इलाही नहीं आए मगर जब आएशा मेरे साथ बिस्तर पर होती तो उस हालत में भी मुझ पर पैग़ामे इलाही नाजिल हुए

फिक़्ह व उलूम में आपकी तमाम बीवियों में हज़रते आएशा का दर्जा बहुत बहुत ऊँचा है, बड़े बड़े सहाबा आपसे मसाएल पूछा करते थे, बल्कि हज़रते मूसा बिन तल्हा रजि अल्लाहु अन्हु का बयान है कि मैंने उम्मुल मोमिनीन हज़रते आएशा रजि अल्लाहु अन्हा से बड़ा औरतों में किसी को फक़ीह हीं देखा

आपसे 2210 हदीसें मर्वी हैं, इनमें से 174 हदीसें एैसी हैं जो बुख़ारी व मुस्लिम में हैं और 54 हदीसें एैसी हैं जो सिर्फ बुख़ारी में हैं, 68 हदीसें एैसी हैं जिनको इमामे मुस्लिम ने अपनी किताब में तहरीर किया,बाक़ी हदीसें दूसरी किताबों में मौजूद हैं 

इबादतों में आपका यह आलम था कि नमाज़े तहज्जुद की बेहद पाबंद थीं और नफ्ली रोज़े भी बहुत ज़्यादा रखती थीं

सख़ावत व सदक़ात व ख़ैरात के मामले में हुज़ूर की तमाम बीवियों में ख़ास तौर पर बहुत मुम्ताज़ थीं

हज़रते उम्मे दरदा कहती हैं कि एक बार कहीं से एक लाख दिरहम आपके पास आए और आपने सारे दिरहम उसी वक़्त ख़ैरात कर दिये, जब्कि उस दिन आप रोज़ा थीं, मैंने अर्ज़ की सय्यदह आपने तमाम दिरहम बाँट दिये एक भी बाक़ी ना रखा जब्कि आप रोज़े से हैं, तो आपने फरमाया तुमने पहले कहा होेता तो शायद मैं एक दिरहम रोक लेती

आपके फज़ाएल व मनाकिब में बहुत सी हदीसें मौजूद हैं, लेकिन यहाँ ख़ुद आपकी ज़बानी आपके फज़ाएल का पता लगाइये, आप ख़ुद फरमाती हैं

मुझे अल्लाह तआला ने तमाम बीवियों पर 10 एैसी फज़ीलतें अता की हैं जो दूसरी किसी बीवी को नहीं मिलीं

1- हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने मेरे सिवा किसी दूसरी कुंवारी औरत से निकाह ना फरमाया, 2- मेरे सिवा तमाम बीवियों में कोई एैसी नहीं जिसके माँ बाप दोनों मुहाजिर (हिज्रत करने वाले) हों, 3- अल्लाह ने मेरे पाक दामन होने का बयान क़ुरआन में नाजिल फरमाया, 4- निकाह से पहले हज़रते जिब्रील ने एक रेश्मी कपड़े में मेरी तस्वीर लाकर मेरे महबूब (हुज़ूर) को दिखाई और मेरे महबूब 3 रातों तक मुझे ख़्वाब में देखते रहे, 5- मैं और मेरे आक़ा एक ही बर्तन से पानी लेकर ग़ुस्ल करते थे जब्कि यह शर्फ किसी और बीवी को हासिल नहीं था, 6- हुज़ूर अलैहिस्सलाम तहज्जुद की नमाज़ इस हाल में अदा फरमाते कि मैं आपके सामने सोई रहती थी, 7- मैं हुज़ूर के साथ एक लिहाफ में सोती थी और इसी हाल में आप पर पैग़ामे इलाही नाजिल होते थे, 8- हुज़ूर की वफात के वक़्त मैं हुज़ूर को अपनी गोद में लिये बैठी थी और आपका सरे मुबारक मेरे सीने और हलक़ के बीच था, इसी हालत में हुज़ूर का विसाल हुआ, 9- हुज़ूर ने मेरी बारी के दिन वफात पाई, 10- हुज़ूर की आराम गाह (क़ब्र शरीफ) मेरे ख़ास कमरे में ही बनाई गई

इस तरह एक नहीं हज़ार एैसी बातें हैं जो हज़रते आएशा के बुलंद मरतबा होने पर दलालत करती हैं

आप भला ही हुज़ूर की तमाम बीवियों में उम्र के लिहाज़ से सबसे छोटी थीं लेकिन इल्म व फज़्ल, ज़ुहद व तक़्वा, सख़ावत व शुजाअत, इबादत व रियाज़त में सबसे बढ़ कर रहीं, इसको फज़्ले ख़ुदा के सिवा भला और क्या कहा जा सकता है

17 रमज़ान 57 या 58 हिजरी मंगल की रात आपने मदीना शरीफ में इंतिक़ाल फरमाया, हज़रते अबू हुरैरह ने अापकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई और हुज़ूर की दूसरी बीवियों के पहलू में मदीना शरीफ के क़ब्रिस्तान (जन्नतुल बक़ीअ) में आपको दफ्न किया गया इस मौक़े पर फातिहा ख्वानी हुई और क़ारी फैसल जाफरी ने कोरोना वबा से निजात की दुआ की फिर शीरनी तकसीम हुई हाफिज़ इरफान रज़ा क़ादरी,हाफिज़ मुशर्रफ,अकरम रज़ा तूफानी,ज़मीर खाँ,मोहम्मद कैफ,मोहम्मद साहिल आदि लोग मौजूद थे