सदके फितर व दीगर अमीरात से करोना मोतासिरीन की करें मदद - मौलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी


कानपुर, सदके फित्र अदा करना ईद उल फितर से पहले हर मालिके निसाब पर वाजिब है जब तक सदके फितर अदा नहीं किया जाता बंदे का रोजा जमीन व आसमान के दरमियान ही में रहता है और उसका रोजा तब तक मकबूल नहीं होता जब तक के वह उसे अदा ना कर दे, लेहाज़ा अगर यह गेहूं के या उसका आटा या सेत्तु के जरिए अदा किया जाए तो पी नफर 2 किलो 45 ग्राम अदा करना होगा जिसमें गेहूं की इतनी मिक्दार की कीमत इस साल 55 रूपया मुकर्रर की गई है और अगर उसे खजूर या मुनक्के या जौ या उसके आटे या सेत्तु से अदा करना चाहे तो 4 किलो 90 ग्राम फी नफर अदा करना होगा। यह ऐलान व बयान अक्सा जामा मस्जिद गद्ददीयाना के खतीब व इमाम मौलाना मोहम्मद हाशिम अशरफी सरबराहे आला जामिया अशरफुल मदारिस गद्ददीयाना कानपुर व इमाम ईदगाह गद्ददीयाना कानपुर व सदर ऑल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल ने खान काहे कादरिया चिश्तिया अशरफया अहमदनगर जाजमऊ में जश्ने तकमीले कुरान के मौके पर दिया। उन्होंने मज़ीद कहा कि गेहूं या जौ देने से उसका आटा देना अफजल है और उससे अफजल यह है कि गेहूं की कीमत दे या जौ की या खजूर की या मुनक्के की। 

      वाज़ेह रहे की कोरोना गाइडलाइंस पर अमल करते हुए इस साल खानकाह में मात्र चार लोगों ने तरावीह की नमाज़ अदा की, हाफिज मौलाना नूर मोहम्मद साहब ने कुरान का पहला दौर मुकम्मल किया, और करोना वायरस से हिफाज़त के लिए अल्लाह तआला की बारगाह में रो रो के मौलाना मुहम्मद हाशिम अशरफी ने दुआ मांगी।
खास तौर से मोइज़ आलम, खुर्शीद आलम, फहद आलम, मोहम्मद कासिम अशरफी आदि मौजूद रहे।v