===== चाइल्डलाइन ने सुभाष चिल्ड्रेन विशेष दत्त्क ग्रहण इकाई में दिलाया आश्रय =====
कानपुर , 04 वर्षीय मासूम बालिका माया के अनुसार उसकी मां उसे सडक पर छोड गई जो कि थाना स्वरूप नगर के माध्यम से चाइल्डलाइन के संज्ञान में आई जिसके पश्चात चाइल्डलाइन कानपुर के कार्यकर्ताओं द्वारा बालिका को अपनी सुपुर्दगी में लेकर चाइल्डलाइन कार्यालय लाए व बालिका की काउसलिंग करने का अथक प्रयास किया गया लेकिन बालिका छोटी होने के कारण कुछ भी स्पष्ट नही बता पा रही थी ।
बालिका माया उम्र 04 वर्ष पुत्री अज्ञात निवासी अज्ञात जो कि मानसिक रूप संे अस्वस्थ है को चाइल्डलाइन कार्यकर्ताओं द्वारा काफी समय तक काउसलिंग की गई लेकिन बालिका अपने बारे में कुछ भी जानकारी नही दे पा रही है। बालिका ने लाल रांग की टाप व लाल रांग की लैगी पहन रखी है बालिका का रंग सांवला है।
बालिका के परिजनां को ढूढ़ने के लिए चाइल्डलाइन द्वारा स्वरूप नगर के आस-पास के क्षेत्रों में बालिका के साथ भ्रमण किया गया और परिजनों कों ढूंढने के लिए घंटो प्रयास किया लेकिन बालिका के परिजनों की खोज नहीं हो सकी। बालिका की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम में दी जा चुकी है।
चाइल्डलाइन के समन्वयक प्रतीक धवन ने बताया कि इस बालिका की खोज का प्रयास चाइल्डलाइन अपने स्तर से कर रही है और बालिका को बाल कल्याण समिति कानपुर नगर के समक्ष प्रस्तुत कर सुभाष चिल्ड्रेन विशोष दत्तक ग्रहण इकाई में आश्रय दिलाया गया है।साथ ही उन्होने बताया कि चाइल्डलाइन के संज्ञान मे अक्सर मंदबुद्वि बच्चों के मामले आते रहते है जो कि परिजनों की लापरवाही के कारण या परिजनो द्वारा त्याग दिए जाते है और अपने अपने घरों से भटकने के लिए मजबूर हो जाते है। हमारे समाज में दिन प्रतिदिन बच्चों के प्रति अपराध व शोषण के मामले प्रकाश में आते है और फिर भी अभिभावक अपने बच्चों के प्रति जागरूक नहीं है और उनकी लापरवाही के चलते मासूम बच्चों को भटकना पड़ता है। चाइल्डलाइन के प्रकाश में प्रत्येक माह ऐसे कई मामले आते है जिसमें परिजनों की लापरवाही से बच्चे घर से भटक जाते है।
चाइल्डलाइन कानपुर के निदेशक व संस्थााध्यक्ष कमलकान्त तिवारी ने बताया कि परिजनों की लापरवाही के कारण अक्सर बच्चे रेलवे स्टेशन, बस अडडों व भीड वाले स्थानों से परिजनों से बिछुड जाते है और उन्हे परिजन होते हुए भी परिजनों से दूर रहना पडता है।
साथ ही उन्होने बताया कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 317 व किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75 के अन्र्तगत जो बच्चे का संरक्षक है उसके द्वारा यदि बच्चे का परित्यक्त किया जाता है तो उसको अधिकतम 01 वर्ष की सजा व 03 लाख के जुर्माने से दण्डित करने का प्रावधान है और इसमें कानूनी कार्यवाही हो सकती है जबकि चाइल्डलाइन के संज्ञान में बालिका को त्यागने को मामला प्रकाश में आता है तो परिजनांे की जानकारी होने पर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करायी जायेगी।
साथ ही उन्होने जन सामान्य से अपील की है कि यदि इस बालिका के परिजनांे के बारे में कोई भी जानकारी हो तो वह चाइल्डलाइन कानपुर निशुल्क नम्बर 1098 पर पर सूचना देकर बालिका को परिजनों से मिला सकते है।