जिहाद एक दिफाई निज़ाम है, दहशतगर्दी अकदामी हरकत-मुफ्ती खालिद अय्यूब

26 आयतों पर हुए सेमिनार में जिहाद का सही खुलासा 


कानपुर आज एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के तत्वावधान में 26 आयतें जिहाद के सही मफहूम" विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। 
जिसमे मुख्य वक्ता राजस्थान से आए मुफ्ती खालिद अय्यूब मिस्बाही रहे सेमिनार में सरदार हरप्रीत सिंह, सुरेश गुप्ता, मौलाना हस्सान कादरी, मौलाना सालिम मिस्बाही अतिथि के रूप में मौजूद रहे सेमिनार का संचालन संयोजक हयात ज़फर हाशमी ने किया शुरुआत तिलावते कुरआन पाक से हाफिज़ मोहम्मद फैसल जाफरी ने की।
कुरान की 26 आयतों मे जिहाद का ज़िक्र और उसका सही मायने, पर विस्तार से व्याख्या करते हुए राजस्थान के मुफ्ती मौलाना खालिद अय्यूब मिस्बाही ने कहा कि इस्लाम दीने फितरत है इस के तमाम उसूलो ज़वाबित फिटरते इंसनिया और अक़ले सलीम के मुताबिक हैं औऱ चूंकि दिफ़ाई निज़ाम दरअसल हर ममलिकत की बुनियादी ज़रूरत है जिसे defence system से ताबीर किया जाता है क़ुरआने मजीद की मुअतरिज़ा आयाते मुक़द्दसा भी दरअसल इस्लाम के दिफ़ाई निज़ाम का हिस्सा हैं जब हम दुनिया के अज़ीम ममालिक के दिफ़ाई क़वानीन (कानून) का इस्लाम केनिस दिफ़ाई निज़ाम से तक़ाबूल करेंगें तो पाएंगे कि इन आयात में कोई वहशत नहीँ बल्कि ये उसूल है ।
     जुल्मो जबर के दिफ़ाअ और श्ररो फसाद को दूर करने के वास्ते जो निज़ामे खुदावन्दी है इसी दिफ़ाई निज़ाम का नाम जिहाद है और इस की मुख़्तलिफ़ सूरतें हैं ।
दरअसल इन आयात पर ऐतराज यर कोई नई बात नही बल्कि एक बहुत बड़ी साजिश  है जो सल्तनतें उस्मानिया के अहदे अखीर से ही जारी है इस साज़िश का ज़िक्र " हम्फिरे के एतरफात " नामी रिसाले में भी मौजूद है ये एक अंग्रेजी जासूस हम्फिरे के बयानातो इन्किशाफ़ात पर मुश्तमिल किताब है जिसे सल्तनते उस्मानिया की तबाही के लिये मुकर्रर किया गया था ।
जिहाद की कई शकलें हो सकती हैं जैसे:  जिहाद बिन नफ़्स ; ये शैतानी वसवसों और उस के शर और फसाद को रोकने के लिये है ।
जिहाद बिल क़लम : ये फ़िक्री व नज़रयाती शर और फसाद से अक़वामे आलम को महफूज़ रखने  के लिये है।
जिहाद बिस सैफ : ये जालिमो और जाबिरों से इंसानों की हिफाज़त के लिये है। 
दुनिया का हर मुल्क अपनी सरहदों पर हिफ़ाज़ती दस्ते मुकर्रर करता है हर मुल्क में वज़ारते दिफ़ाअ और मुस्तकिल दिफ़ाई मोहकमा होता है लाखों की तादाद में फौजी होते हैं अंदरूने मुल्क फितनओ फसाद की रोक थाम के लिए पुलिस का निज़ाम होता है ये सब डिफेंस ओर कंट्रोल की लाज़मी चीजें है ।
जिहाद और दहशत गर्दी में फ़र्क़ ये है कि जिहाद एक दिफ़ाई निज़ाम है और दहशत गर्दी अकदामी हरकत है दिफ़ाई और अकदाम में फ़र्क़ है क़ुरआन मजीद ने दहशत गरदी की मज़म्मत में यहां तक कहा कि जिसने किसी एक जान को नाहक़ क़त्ल किया 'गोया उस  ने पूरी इंसानियत को क़त्ल किया।
गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश गुप्ता ने कहा कि कुरआन का संदेश मानवता और शांति को बढ़ावा देने वाला है।
सरदार हरप्रीत सिंह ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब व कुरआन मे किसी की औकात नही कुछ बदल सके अल्लाह की भेजी गई कुरआन पवित्र ग्रंथ है।
इस अवसर पर जावेद मोहम्मद खान, जिलाध्यक्ष फिरोज़ अन्सारी बाॅबी, प्रदेश उपाध्यक्ष रईस अन्सारी राजू, जीशान अली, इस्लाम खां आज़ाद, मोहम्मद राहिल, फैसल मंसूरी, हाफ़िज़ वाहिद अली रजवी, अशफ़ाक शेख, शारिक इकबाल, मोहम्मद शारिक सिद्दीकी, शहनावाज अन्सारी, अबु सुफियान, आमिर जावेद, मोहम्मद शादाब, इदरीस अहमद, मोहम्मद फरीद, जफर अली लखनवी, शराफत अली कप्तान, आदिल कुरैशी, सय्यद सुहेल, मोहम्मद शहरोज़, अजीज़ अहमद चिश्ती, राशिद बरकाती, हाफ़िज़ अज़ीम अशर्फी, युसुफ मंसूरी, हामिद खान, सलमान वारसी, मोहम्मद ईशान, एहसान निज़ामी, मोहम्मद तौफीक, सरदार सुखबीर सिंह आदि मौजूद रहे।