तक़्वा परहैज़गारी का अमली नमूना थे हज़रत नूरी मियाँ:हाफिज़ फ़ैसल जाफ़री
कानपुर: ख़ातमुल अकाबिर हज़रते सय्यदना शाह अबुल हुसैन अहमद नूरी मारहरवी अलैहिर्रहमा की विलादत बा सआदत पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने खिराजे अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि आपकी विलादत (पैदाईश) 19 शव्वाल 1255 हिजरी मुताबिक़ 26 दिसंबर 1839 ईस्वी बरोज़ जुमेरात को हुई आप अपने वालिदे ग्रामी की जानिब से सादाते हुसैनी ज़ैदी व बिलग्रामी थे, आपके आबा व अज्दाद हर ज़माने में सरदार व मुक़्तदा रहे, 614 हिजरी आपके आबा बिलग्राम को फतेह करके वहाँ रौनक़ अफरोज़ हुए और जागीर व खिताबाते शाही से मोअज़्ज़ज़ हुए, हज़रते मीर अब्दुल जलील अलैहिर्रहमा ने आपके जददे आला को मारहरा शरीफ का क़ुतुब मुक़र्रर फरमाया

अभी आपकी उम्र शरीफ ढ़ाई साल ही हुई थी कि वालिदे करीम इंतिक़ाल फरमा गए, तब आपकी परवरिश आपके दादा जान व दादी जान ने की और इन हज़रात का सायए लुत्फ व करम आप पर 41 साल तक क़ाएम रहा, बचपन से ही रियाज़त व मेहनत आपके मिज़ाज में शामिल थी

छोटी उम्र में ही रियाज़त व मेहनत का एैसा एहतिमाम देख कर आपकी दादी साहिबा आपको रोकना चाहतीं तो दादा मोहतरम उन्हें मना फरमा देते, इब्तिदा में आपने अपने दादा जान हज़रते शाह आले रसूल मारहरवी अलैहिर्रहमा की आग़ोश में तरबीयत पाई इसके बाद आपने ख़ानक़ाहे बरकातिया मारहरा शरीफ के मुम्ताज़ मुदर्रिसीन हज़रते अल्लामा शाह मोहम्मद सईद बदायूनी, हज़रते अल्लामा फज़्लुल्लाह जानीसरी, हज़रते अल्लामा नूर अहमद बदायूनी और अल्लामा हिदायत अली बरेलवी से दीनी उलूम हासिल किये, 12 रबीउल अव्वल 1268 हिजरी में आपने अपने दादा जान हज़रते आले रसूल मारहरवी अलैहिर्रहमा से शर्फे बैअत व खिलाफत हासिल की, बातिनी व ज़ाहिरी तौर पर आप शरीअते इस्लामिया की मुकम्मल पासदारी फरमाते, रुसूम व रिवाज, बिदआत व ख़ुराफात से क़तई तौर पर परहैज़ फरमाते, आपके ज़माने में अल्लाह ने बड़ी बरकतें रखी थीं, नमाज़ व वज़ाएफ, ख़ादिमीन की पुरशिसे अहवाल, ख़ुतूत के जवाबात, मरीज़ों की इयादत, नुक़ूश व तावीज़ात की तहरीर, क़ैलूला व आराम, मुताला व तस्नीफ, अहले हुक़ूक़ की पासदारी, हज़ारों मुरीदीन पर नज़र रखना, ख़ानक़ाह शरीफ के इंतिज़ाम व मामलात, इतने सारे कामों के बा वजूद कभी एैसा ना देखा गया कि एक काम की वजह से दूसरे काम में ताख़ीर हुई हो या उसे छोड़ दिया गया हो, ख़ानक़ाह शरीफ में मौजूद ख़ादिमों को इल्म हासिल करने की तलक़ीन फरमाते और कहते कि इल्मे दीन के बग़ैर सुलूके तरीक़त और अहवाले बातिनी की दुरुस्तगी ना मुम्किन है, आपने 11 रजबुल मुरज्जब 1324 हिजरी को विसाल फरमाया, मारहरा शरीफ में आपका मज़ार मर्जए ख़लाएक़ है!