तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम चमनगंज मे यौमे आला हज़रत मनाया गया
कानपुर:आला हज़रत का नाम इमाम अहमद रज़ा है, आप शहरे बरेली में 10 शव्वाल 1272 हिजरी में सनीचर के दिन ज़ुहर के वक़्त पैदा हुए

4 साल की छोटी सी उम्र में क़ुरआने पाक का नाज़रा फरमा लिया और 6 साल की उम्र में मिम्बर पर मजमे में मीलाद शरीफ पढ़ा

उर्दू फारसी के बाद आपने अपने वालिद हज़रते अल्लामा नक़ी अली खाँ अलैहिर्रहमा से अरबी तालीम हासिल की और 13 साल 10 महीने की उम्र में एक ज़बरदस्त आलिम हो गए

14 शाबान 1282 हिजरी में आपको सनदे फराग़त अता की गई और उसी दिन आपके वालिद ने आपकी इल्मी सलाहियत को देखते आपको फत्वा देने की इजाज़त दे दी, इस काम को आपने अपने विसाल तक जारी रखा इन ख्यालात का इज़हार तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम चमनगंज मे हुए यौमे आला हज़रत पर तन्ज़ीम के सेक्रेट्री क़ारी आदिल रज़ा अज़हरी ने किया तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री की सदारत मे हुए प्रोग्राम मे मौलाना ने आगे कहा कि

हज़रते सय्यद आले रसूल मारहरवी अलैहिर्रहमा से आपको शर्फे बैअत के साथ उलूमे बातिनी भी हासिल हुए, और आपके मुर्शिद को इस बात पर फख़्र था कि अहमद रज़ा मेरा मुरीद है

जब आप हज के लिये हरमैन शरीफैन में हाजिर हुए तो वहाँ के दक़्क़ाक़ उलमा-ए-दीन आपके इल्म व फज़्ल का लोहा मानने लगे, कितने ही उलेमा ने आपके नूरानी हाथों पर बैअत की और हज़ारों ने तो आपको इल्म में अपना उस्ताज़ तस्लीम किया

होश संभालने के बाद आपने अपनी सारी जिन्दगी मज़हबे हक़ की तब्लीग़ व खिदमत के लिये बसर फरमाई, आपने 1000 से ज़्यादा किताबें लिखीं, जिनमें क़ुरआने पाक का तर्जमा,, कन्ज़ुल ईमान और फतावा रज़वीया,, बे मिस्ल व ला जवाब हैं

आपके ज़माने में नाम निहाद मुसलमानों ने ख़ुद को अंग्रेज़ों के हाथ बेच कर इस उम्मत का शीराज़ा बिखेर रखा था, आपने अपने ज़ोरे क़लम व ज़बान से उनके साथ एैसा जिहाद किया कि उनके दाँत खट्टे कर दिये और ज़मीने हिंदुस्तान में सुन्नियत को ख़ूब फरोग़ बख़्शा

जब नाम निहाद मुसलमानों ने अपनी किताबों में सरकार अलैहिस्सलाम की बे अदबी करनी शुरू की तो आपने उनके खिलाफ फत्वए कुफ्र सादिर फरमाया और इन मुल्लाओं को लोहे के चने चब्वा दिये, फिर आपने इनके कुफ्र पर जो फत्वे दिये उन फत्वों को एक किताब की सूरत दी गई जिसका नाम,, हुसामुल हरमैन,, है, उल्माए अरब व अजम ने इस किताब की ताईद की और हर उस शख़्स को गुमराह और गुमराह गर कहा जिस पर आला हज़रत ने फत्वए कुफ्र सादिर फरमाया

दीने पाक की समझ रखने वाले उलेमा और पीरों का इस बात पर इत्तेफाक़ है कि आला हज़रत इस दीन के मुहाफिज़ व निगहबान हैं, आपकी किताबें इश्क़े रसूल अलैहिस्साम का जाम पिलाती हैं, आपकी शाएरी मोहब्बते रसूल अलैहिस्सलाम में सरशार करती है, आपकी ज़ात से हर मुसलमान को सबक़ लेना चाहिये कि मोहब्बते रसूल अलैहिस्सलाम के तक़ाज़े क्या होते हैं

आपका विसाल 25 सफर 1340 हिजरी में मोहल्ला सौदाग्रान बरेली शरीफ में हुआ और वहीं आपकी तदफीन हुई आपकी खानक़ाह मे हर मज़हब के लोग हाजिर होकर फ़ैजियाब होते हैं इससे पहले प्रोग्राम का आगाज़ तिलावते क़ुरआन पाक से हाफिज़ मोहम्मद इरफान ने किया और हाफिज़ मुशर्रफ,हसीन अज़हरी ने नात पाक पेश की इस मौक़े पर सरकार गौसे आज़म रजि अल्लाहु अन्हु के नाम तोशा शरीफ़ की नज़र पेश की गई  सलातो सलाम व दुआ के साथ प्रोग्राम खत्म हुआ और शीरनी तकसीम हुई इस मौक़े पर सोशल डिसटेंसिग का पूरा पालन किया गया मोईनुद्दीन अज़हरी,जियाउद्दीन अज़हरी,अहमद रज़ा,शाहनवाज़ रज़ा,आकिब बरकाती आदि लोग मौजूद थे!