जंगे बद्र मे अल्लाह ने फ़रिश्तों के ज़रिये मुसलमानों की मदद फ़रमाई:हाफिज़ फ़ैसल जाफ़री
कानपुर:17 रमजानुल मुबारक को जंगे बद्र का जिक्र करते हुए तन्जीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के सदर हाफिज व कारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी ने कहा कि जंगे बद्र इस्लाम की पहली जंग है, मुसलमानों के मदीना हिजरत कर जाने के बावजूद भी जब दुश्मनाने इस्लाम अपनी सरकशी से बाज़ ना आए तो 17 रमजान को मदीना के एक मैदान जिसका नाम बद्र है यह जंग अमल में आई

इस जंग में सहाबा हजरात के पास ना टूटी तलवारें थीं, ना इन हज़रात के पास पैसे थे ना हथियार, यह देख कर सरकार अलैहिस्सलाम सजदे में जाकर रोने लगे और अर्ज़ करने लगे कि मौला अगर आज मुसलमानों की फतह ना हुई तो यह मायूस हो जाएँगे, तो अल्लाह ने फरमाया महबूब अपने सर को उठाइये आपका रब आपको रुस्वा नहीं होने देगा

फिर क्या था कि 313 निहत्थे मुसलमान 1000 दुश्मनाने इस्लाम से लड़ने को तय्यार खड़े हो गए और अल्लाह ने फरिश्तों की एक बड़ी जमाअत को भेज कर अपने इन महबूबों की मदद फरमाई और अबू जहल जैसे खबीस के साथ 70 एैसे कुफ्फार मौत के घाट उतारे गए जो सिर्फ कुरैश के अमीर ही नहीं बल्कि सरकशी करने में भी सबसे आगे थे

इस जंग मे कई सहाबा भी शहीद हुए जिनमे मआज और मोअविज (यह दो बच्चे थे जिन्होंने मैदाने बद्र में अबू जहल को कत्ल किया) के नाम काबिले जिक्र हैं