कानपुर:17 रमज़ानुल मुबारक को पैगम्बरे इस्लाम की शहज़ादी (बेटी) के यौमे विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से चमनगंज मे सोशल डिस्टेंसिंंग के साथ फातिहा ख्वानी हुई इस मौके पर तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी ने खिराजे अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि हुज़ूर अलैहिस्लाम की शहज़ादियों (बेटी) में एक नाम हज़रते रुक़य्या रजि अल्लाहु अन्हा का भी है, आपकी विलादत मौलूदे मुस्तफा के 33 साल बाद हुई
इज़हारे नुबूवत से पहले उत्बा बिन अबू लहब से सय्यदा रुक़य्या का निकाह हुआ (उस वक़्त काफिरों से निकाह की इजाज़त थी) जब हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने एलाने नुबूवत फरमाया तो अबू लहब ने सरकार अलैहिस्सलाम को बहुत बुरा भला कहा जिसकी वजह से अबू लहब और उसकी बीवी के रद में अल्लाह ने सूरह लहब नाजिल फरमाया, अबू लहब ने सूरह लहब के नुज़ूल पर अपने बेटे उत्बा को हुक्म दिया कि वह रुक़य्या को तलाक़ दे दे, उत्बा ने आपको तलाक़ दे दी तो उसके बाद सरकार अलैहिस्सलाम ने सय्यदा रुक़य्या का निकाह हज़रते उस्माने ग़नी के साथ कर दिया
सय्यदा रुक़य्या को हज़रते उस्मान की सुल्ब से अल्लाह ने एक बच्चा अता किया जिसका नाम अब्दुल्लाह रखा, जब वह 2 साल के हुए तो एक मुर्ग़ ने उनकी आँख में चोंच मार दी जिससे वह बीमार हो गए और इसी बीमारी में इन्तेक़ाल कर गए
आप पाकीज़गी का पैकर और तक़्वा व परहैज़गारी का अमली नमूना थीं, आपके मरातिब में इतना कह लेना ही काफी होगा कि आप मुख़्तारे काएनात के दिल का चैन हैं
आपका इन्तेक़ाल 17 रमज़ानुल मुबारक को मदीना तय्यबा में हुआ जिस वक़्त सरकार अलैहिस्सलाम जंगे बद्र में मोजूद थे, वापसी पर ख़बर हुई कि सय्यदह रुक़य्यह का विसाल हो गया है
आपका मज़ारे पाक मदीना शरीफ के क़ब्रिस्तान जन्नतुल बक़ीअ शरीफ में है इस मौक़े पर फातिहा ख्वानी हुई और दुआ की गई फिर शीरनी तकसीम हुई हाफिज़ मोहम्मद इरफान,मोहम्मद आकिब बरकाती,मोहम्मद आमिर आदि लोग मौजूद थे!