27 वीँ शब को सकेरा स्टेट मे शबे क़द्र की फज़ीलत बयान हुई
कानपुर:माहे रमज़ानुल मुबारक की 27 वीँ शब यानि चौथी ताक़ रात को तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से अनवरगंज सकेरा इस्टेट मे सोशल डिस्टेंसिग के साथ शबे क़द्र की फ़ज़ीलत बयान हुई जिसकी सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने की तन्ज़ीम के सेेक्रेट्री क़ारी आदिल रज़ा अज़हरी ने शबे कद्र की फ़ज़ीलत बयान करते हुए कहा हदीसे पाक मे है कि उम्मुल मोमिनीन हज़रते आयशा सिद्दीक़ा रजि अल्लाहु अन्हा फरमाती है कि मैने पैगम्बरे इस्लाम से फरमाया कि अगर मै शबे क़द्र को पालूँ तो क्या पढ़ूँ तो पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया कि दुआ करो ऐ अल्लाह तू माफ करने वाला है तू मुझे माफ फरमा और ऐ अल्लाह मै तुझसे दीन व दुनिया मे आफियत माँगता हूँ पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया कि बनी इसराईल मे एक आबिद था शमशून नामी जिसने हज़ार माह अल्लाह की राह मे जंंग किया इस पर अहले इस्लाम सहाबी रसूल ने हैरत की कि हमारे आमाल की क्या हैसियत?इसपर अल्लाह ने इस उम्मत को एक रात अता फरमाई जो कि इस शख्स की मुद्दत इबादत से बेहतर है यानि हज़ार साल अल्लाह की राह मे जंग करने से बेहतर है कि लैलतुल क़द्र की एक रात मे बंदा अल्लाह की बारगाह मे इश्के रज़ा के लिए क़याम करे और इबादत व अस्तगफार करे जो इस शबे क़द्र मे ईमान और सवाब के खातिर क़याम करता है उसके अगले और पिछले गुनाह बख्श दिये जाते है और जो ईंमान और सवाब के खातिर रमज़ान के रोज़े रखता है उसके भी अगलो और पिछले गुनाह बख्श दिये जाते हैं हाफिज़ आमिर, हाफिज़ इरफान ने बारगाहे रिसालत मे नात व मनक़बद का नज़राना पेश किया और निजामत अकरम रज़ा तूफानी ने की सलातो सलाम के साथ महफिल खत्म हुई और कोरोना जैसी वबा के खात्मे के लिए खुसूसी दुआ की गई महफिल के बाद रोज़ेदारों के लिए सहरी का इन्तिज़ाम किया गया इस मौक़े पर शमसुद्दीन,लाला भाई आदि लोग मौजूद थे!