संगीत से जुड़कर  मानसिक तनाव दूर हो सकता है: डॉ0राखी बाजपेई

कानपुर, गायन के माध्यम से हल्की-हल्की मालिक जैसी क्रिया फेफड़ों में होती है और रक्त संचार में वृद्धि होती है, पाचन क्रिया में सुधार होता है इसमें पेट और छाती की मांसपेशियां फैलती हैं अतः हम अपने खाली समय का सदुपयोग कुछ भी गाकर गुनगुना कर सकते हैं इससे हम खुद भी स्वस्थ रहेंगे और आसपास के लोगों लोगों को स्वस्थ रख पाएंगे, इसी तरह गायन के साथ यदि किसी वाद्य की संगति भी कर ली जाए तो और अच्छा होगा, भगवान कृष्ण भी अपनी बांसुरी कील ऐसे पूरे ब्रिज को ना केवल मनुष्य बल्कि पशु पक्षी को भी आनंदित कर देते थे, कुछ रोगो का तो संबंध ही वाधो़ं से है, जैसे आसावरी राग से सिर दर्द दूर होने, वीणा पर जयजयवंती राख से लकवे की शिकायत दूर होने के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। गायन वादन मिलकर भोजन पचाने की अभूतपूर्व क्षमता रखते हैं, इसलिए भोजन के उपरांत संगीत का आयोजन रखना विशेष लाभ कर होता है। नृत्य भी एक तरह का व्यायाम माना जाता है, नैतिक का प्रभाव ना केवल बाद शरीर पर पड़ता है अपितु इससे हमारा मन भी झूम उठता है, संगीत के माध्यम से हम आजकल की परिस्थितियों का सामना आसानी से कर सकते हैं, संगीत से ना केवल हम अपने मन का मनोरंजन कर सकते हैं बल्कि हम रोगों से लड़ने की क्षमता को भी पैदा कर सकते हैं!h