लॉकडाउन का चिड़ियाघर में दिखा असर, स्वस्थ वातावरण में खेल रहा बब्बर शेर
- शांत वातावरण में अपने-अपने बाड़ों में उछल कूद रहे जानवर
- चिड़ियाघर प्रशासन का दावा, हर जानवर को मिल रही पूरी खुराक


कानपु । वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते देश में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है और कानपुर में बराबर कोरोना पॉजिटिव मरीज बढ़ रहे हैं। इसको लेकर प्रशासन ने आज से कानपुर में पूरी तरह से लॉकडाउन घोषित कर दिया है और कोई भी व्यक्ति अनावश्यक रुप से बाहर नहीं निकल पा रहा है। जिससे लोगों में बेचैनी है और लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं वहीं कानपुर के चिड़ियाघर में जानवर पहली बार स्वस्थ्य वातावरण में खेलने में मस्त हैं। चिड़ियाघर के हर बाड़े में जानवर शांत वातारण में उछल कूद रहे हैं और उनमें स्फूर्ति देखी जा रही है। चिड़ियाघर प्रशासन का कहना है कि शहर में वाहनों का आना-जाना नहीं होता और शांति है, जिसका असर चिड़ियाघर के जानवरों में भी देखा जा रहा है। वहीं दर्शकों के न आने से चिड़ियाघर में जानवरों को प्राकृतिक जंगल जैसे माहौल दिख रहा है और खूब मस्त है।
कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया है। इससे कानपुर शहर में भी लोग अपने घरों पर कैद हैं और जरुरतमंद लोगों के ही वाहन सड़कों पर चल रहे हैं। लोगों का घरों में रहना और सड़कों पर वाहनों की भारी कमी से वातावरण में बराबर बदलावा आ रहा है। ऐसे में चिड़ियाघर में रह रहे जानवर भी काफी राहत महसूस कर रहे हैं। हो भी क्यों न जब यहां पर न तो दर्शक पहुंचते हैं और न ही उन्हे कोलाहल की आवाज सुनाई देती है। पूरी तरह से प्राकृतिक वातावरण में यहां के जानवर पहली बार मौज मस्ती करते देखे जा रहे हैं। यहां पर दर्शकों के होने के चलते ज्यादातर अंदर रहने वाला बब्बर शेर बाड़े में खुले आसमान के नीचे फुटबाल के साथ खेलता रहता है और प्राकृतिक वातावरण का मौज लेता रहता है। वहीं भालू भी चिड़ियाघर प्रशासन के मुताबिक बाड़े में खुले आसमान में अक्सर नाचता है।  

जनता कर्फ्यू से पहले बंद कर दिया गया था चिड़ियाघर
कोरोना वायरस के चलते कानपुर चिड़ियाघर जनता कर्फ्यू से पहले आम दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया था तो वहीं इटावा की लाइन सफारी में भी आम लोगों के प्रवेश पर रोक है। कानपुर चिड़ियाघर के डॉक्टर आरके सिंह कहते हैं कि सभी वन्यजीव पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं और नियमित भोजन कर रहे हैं। सभी की देखभाल 24 घंटे की जा रही है। इस वक्त जू में दर्शकों के प्रवेश पर रोक होने के चलते वन्यजीव सुबह से ही बाड़े से बाहर आकर अठखेलियां करते हैं। वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बाड़े के कर्मचारियों के लिए मास्क, ग्लब्स और सैनेटाइजर की व्यवस्था की गई है। कर्मचारी जू प्रशासन के आदेश का पालन कर रहे हैं।

भारत का है तीसरा बड़ा चिड़ियाघर
डॉक्टर आरके सिंह बताते हैं कि 1971 में खुला यह चिड़ियाघर भारत के सर्वोत्तम चिड़ियाघरों में एक है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। यहां पर लगभग 1250 जीव-जंतु है। चिड़ियाघर को आम लोगों के लिए 4 फरवरी 1974 को खोला गया। यहां का पहला जानवर ऊदबिलाव था जो की चम्बल घाटी से आया था। चिड़ियाघर में चिम्पान्जी यहां का सबसे पुराना जानवर था, जिसकी कुछ साल पहले मौत हो गई थी। जबकि वनमानुष गज्जू भी अब इस दुनिया में नहीं रहा। दोनों के बाड़े खाली पड़े हुए हैं।

ये मौजूद हैं वन्यजीव  
डॉक्टर सिंह बताते हैं, यहां पर बाघ, शेर, तेंदुआ, विभिन्न प्रकार के भालू, लकड़बग्घा, दगैंडा, लंगूर, हिरण समेत कई जानवर है। अति दुर्लभ घड़ियाल भी है। इसके अलावा हिरण सफारी भी दर्शकों के आकार्षण का केंद्र हैं। साथ ही अफ्रीका का शुतुरमुर्ग और न्यूजीलैंड का ऐमू, तोता, सारस समेत कई भारतीय और विदेशी पक्षी भी है। चिड़ियाघर में एक बड़ी प्राकृतिक झील है। जिसमें देश ही नहीं विदेश से परिंदे आकर तैरते हैं।

सीसीटीवी से की जा रही निगरानी
डा. आरके सिंह ने बताया कि जब से चिड़ियाघर आम दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया तब से यहां पर रह रहे जानवरों में स्फूर्ति देखी जा रही है। सभी जानवर अपने-अपने बाड़े में समय-समय पर खेलते देखे जाते हैं। इन जानवरों को समय पर कीपर आदि कर्मचारी भोजन दे रहें हैं। इसके साथ ही इनकी इस शांत वातावरण में हो रही गतिविधियों के लिए सीसीटीवी कैमरों से बराबर निगरानी भी की जा रही है। अभी तक कोई जानवर बीमार नहीं पड़ा है और जनता से दूर रहने व शांत वातावरण में उनके स्वास्थ्य पर भी बेहतर असर पड़ता दिख रहा है।