- कोरोना में कई अविष्कारों के साथ मदद में भी आगे आ रहा आईआईटी
कानपुर । वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव के लिए आईआईटी कानपुर लगातार अविष्कार कर रहा है। यहां ईजाद किये गये उपकरण कोरोना योद्धाओं जैसे डाक्टर, पुलिस कर्मी और सफाई कर्मियों के लिए बराबर काम आ रहे हैं, तो वहीं आईआईटी के कर्मचारी से लेकर छात्रों ने एक समूह बनाया जो जरुरमंदों की बराबर सहायता कर रहा है। इस कम्युनिटी के जरिये गरीब व असहाय लोगों को इस लॉकडाउन में भोजन से लेकर खाद्य सामग्री मिल रही है। सबसे बड़ी बात है कि इस कम्युनिटी से जुड़े लोग किसी को अपना व्यक्तिगत परिचय नहीं बताते सिर्फ सेवाभाव का उद्देश्य रख लोगों की मदद कर रहे हैं।
कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन में गरीब व असहाय लोगों को भोजन के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और समाजसेवी से लेकर उद्योगपति बराबर इनका सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में इस वायरस के खात्मे के लिए अविष्कारों में जुटा कानपुर आईआईटी भी कहां पीछे रहने वाला है। यहां के संकाय सदस्य, कर्मचारी और छात्र पूरे दिल से आईआईटी कानपुर के आसपास के ईंट भट्टों और गांवों में जरूरतमंदों की सेवा कर रहे हैं और उन्हें पके हुए भोजन के पैकेट और बिना पके राशन (कच्चा अनाज) प्रदान कर रहे हैं। बताया गया कि 28 मार्च को संस्थान परिसर के आसपास स्थानीय आबादी की कठिनाइयों को देखते हुए आईआईटी कानपुर परिसर के निवासियों के एक समूह ने वितरण के लिए पके हुए भोजन पैकेट तैयार करने के लिए एक स्वयंसेवक समूह बनाया। इस स्वयंसेवक समूह, जिसमें संकाय, कर्मचारी और छात्र शामिल थे। इस समूह ने शुरुआती कुछ दिनों में लगभग 250 पैकेट वितरित किए। जैसे-जैसे और लोगों को इन प्रयासों के बारे में पता चला, कैंपस समुदाय और आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र, समूह के प्रयासों को पूरा करने के लिए कच्चा माल और धन मुहैया कराने के प्रयासों में शामिल हो गए। इसके अलावा, संस्थान प्रशासन ने भी पहल के लिए अपना समर्थन दिया।
कानपुर । वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव के लिए आईआईटी कानपुर लगातार अविष्कार कर रहा है। यहां ईजाद किये गये उपकरण कोरोना योद्धाओं जैसे डाक्टर, पुलिस कर्मी और सफाई कर्मियों के लिए बराबर काम आ रहे हैं, तो वहीं आईआईटी के कर्मचारी से लेकर छात्रों ने एक समूह बनाया जो जरुरमंदों की बराबर सहायता कर रहा है। इस कम्युनिटी के जरिये गरीब व असहाय लोगों को इस लॉकडाउन में भोजन से लेकर खाद्य सामग्री मिल रही है। सबसे बड़ी बात है कि इस कम्युनिटी से जुड़े लोग किसी को अपना व्यक्तिगत परिचय नहीं बताते सिर्फ सेवाभाव का उद्देश्य रख लोगों की मदद कर रहे हैं।
कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन में गरीब व असहाय लोगों को भोजन के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और समाजसेवी से लेकर उद्योगपति बराबर इनका सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में इस वायरस के खात्मे के लिए अविष्कारों में जुटा कानपुर आईआईटी भी कहां पीछे रहने वाला है। यहां के संकाय सदस्य, कर्मचारी और छात्र पूरे दिल से आईआईटी कानपुर के आसपास के ईंट भट्टों और गांवों में जरूरतमंदों की सेवा कर रहे हैं और उन्हें पके हुए भोजन के पैकेट और बिना पके राशन (कच्चा अनाज) प्रदान कर रहे हैं। बताया गया कि 28 मार्च को संस्थान परिसर के आसपास स्थानीय आबादी की कठिनाइयों को देखते हुए आईआईटी कानपुर परिसर के निवासियों के एक समूह ने वितरण के लिए पके हुए भोजन पैकेट तैयार करने के लिए एक स्वयंसेवक समूह बनाया। इस स्वयंसेवक समूह, जिसमें संकाय, कर्मचारी और छात्र शामिल थे। इस समूह ने शुरुआती कुछ दिनों में लगभग 250 पैकेट वितरित किए। जैसे-जैसे और लोगों को इन प्रयासों के बारे में पता चला, कैंपस समुदाय और आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र, समूह के प्रयासों को पूरा करने के लिए कच्चा माल और धन मुहैया कराने के प्रयासों में शामिल हो गए। इसके अलावा, संस्थान प्रशासन ने भी पहल के लिए अपना समर्थन दिया।
परिणाम स्वरूप वितरित किए गए खाद्य पैकेटों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई और यह प्रति दिन 800 पैकेट तक पहुंच गया। पके हुए भोजन के वितरण के दौरान, वितरण टीम के सदस्यों ने व्यथित समुदायों में व्यक्तियों के साथ बातचीत की और प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, यह निर्णय लिया गया कि प्रवासी ईंट भट्ठा श्रमिकों और अन्य जरूरतमंद व्यक्तियों को कच्चे राशन प्रदान करना उनकी अल्प आय को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा है। इस गतिविधि के दो सप्ताह के भीतर, आईआईटी कानपुर समूह ने इन श्रमिकों को लगभग 4,000 से अधिक भोजन पैकेट और 5,000 किलोग्राम कच्चे राशन की आपूर्ति की है, जिसमें गेहूं का आटा, दाल, चावल, नमक और खाना पकाने का तेल शामिल है। कच्चे राशन की आपूर्ति करने के बाद समूह नानकरी गांव में संचालित सामुदायिक रसोई का समर्थन कर रहा है, उन्हें चलाने के लिए कच्चा राशन उपलब्ध करा रहा है। फिलहाल नानकारी में तीन ऐसे सामुदायिक रसोई संचालित हैं और वे प्रति दिन 1,000 से अधिक भोजन पैकेटों की सेवा देते हैं। बताया गया कि यह परिकल्पना की गई है कि यह प्रयास कम से कम लॉकडाउन के अंत तक जारी रहेंगे।