लॉक डाउन : सड़कों पर घूमने निकले लोगों पर चला पुलिस का डंडा






  • आवश्यक कार्यों से निकले वास्तिवक लोगों भी बन गए शिकार


कानपुर । कोरोना वायरस के चलते चल रहे लॉक डाउन के दौरान बिना कारण निकलने वाले लोगों पर पुलिस ने डंडा चलाना शुरू कर दिया है। इसी के साथ कुछ वास्तविक मजबूरों को भी पुलिस के डंडे का भाजन करना पड़ रहा है।

देश आज एक कोरोना नाम की महामारी से लड़ रहा है। इस महामारी का कोई भी युद्ध स्थल नही है। इससे लड़ने के लिए सभी को घर मे रहने की जरूरत है और यही कारण है कि देश को 21 दिनों के लिए लॉक डाउन किया गया है। लॉक डाउन में सभी को घरों के रहना है और जरूरत की चीजों के लिए ही घर से निकलना है उसके लिए भी वास्तविक कारण होना चाहिए। यही कारण है कि लोगों में घरों में ही रहना उचित समझ लिया है। इसके बाद भी कुछ ऐसे लोग हैं जो सिर्फ शहर का नजारा लेने के लिए घरों से निकल पड़ते हैं।

जनपद में मंगलवार से पहले सुबह 7 बजे से 11 बजे तक खाद्य पदार्थों की दुकानें खुली रहती थी। लगातार शहर में बढ़ रहे कोरोना पॉजिटिव मरीजों के चलते इस अवधि को भी खत्म करके पूर्ण रूप से लॉक डाउन कर दिया गया है। इन सभी नजारा लेने वालों पर पुलिस में मंगलवार से अपना डंडा चलाना शुरू कर दिया है। कानपुर के अलग-अलग इलाकों से इस तरह की तस्वीरें आई हैं जहां पुलिस में बाहर निकले लोगों पर शक्ति बल का प्रयोग करते हुए उनको मार के भगाया है। यही नही कहीं कहीं बाहर निकले लोगों को मुर्गा बनाया गया और समझाकर उनको घर वापस भेज दिया गया।

वास्तविक मजबूर भी पुलिस के डंडे का बन रहे भाजन
लॉक डाउन के दौरान जहां एक ओर पुलिस ने अपना रवैया बदल दिया है और समझाने के बजाय डंडा चलना शुरू कर दिया है। उससे एक तरफ लोगों में भय जरूर पैदा हो रहा है पर इससे कुछ जरूरतमंद और वास्तविक रूप से मजबूर लोग भी उनके डण्डे से मार खा रहे हैं। इस दौरान पुलिस के साथ लगे सिविल डिफेंस के लोग और अन्य लोग भी अपना हाथ और डंडा मजबूरों पर चला रहे हैं। जिलाधिकारी ने पूर्ण रूप से लॉक डाउन के बाद भी ऐसा कोई आदेश नही दिया है कि अगर कोई मजबूर दवा लेने जा रहा हो तो उसको पुलिस अपने डण्डे से मारकर भगाएं। इसके बाद भी बहुत से मजबूरों और असहायों को इसका भाजन करना पड़ रहा है।