लाकडाउन के चलते उन्नाव में मुनाफ़ा ख़ोरी चरम पर 






  • नागरिकों को असुविधाओं का सामना 


उन्नाव 4 अप्रैल । लाक डाउन के चलते  आज 11 दिन पूरे हो गए । अभी 10 दिन बाक़ी  हैं । बीते  11 दिनों के अंतराल में सरकार द्वारा घोषित सभी सुविधाएं   नागरिकों को तो  नहीं मिल पा रही है । पास धारक किराना के खुदरा दुकानदार हिम्मत जुटाकर घंटा दो घंटा दुकानें तो खोलते हैं ,  लेकिन किराना के  थोक विक्रेताओ द्वारा की जा रही मुनाफाखोरी के   कारण खुदरा दुकानदार आम नागरिकों की ज़रूरत नहीं  पूरी कर पा रहे हैं । 

यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि  लॉक डाउन से पहले  आटा 24 /किलो था । अब 28 से 30 /किलो  , दाल अरहर पहले 85 /किलो  , अब 100 /किलो ,  चावल साधरण 30/ किलो अब 35 से 40 /किलो  ,  तेल सरसो पहले 100 /किलो अब 120 /किलो , शकर पहले 36/किलो अब 40 से 45 /किलो खुदरा दुकानदार बेचने को मजबूर है । इस महंगाई के पीछे थोक विक्रेताओ का हाथ है । 

इसके अलावा  हल्दी , मिर्चा ,  धनिया ,  दालमोठ , बिस्किट   व साबुन , दन्त मंजन जैसी रोज़मर्रा इस्तेमाल होने वाली  वस्तुएं  भी उपभोक्ताओं को पहले से महँगी मिल रही   है । 

इसी तरह     थोक  विक्रेताओं से  मंहगे दामो पर सब्जी मिलने  के कारण   खुदरा सब्जी  विक्रेता भी मंहगे दामो पर बेचने पर मजबूर हैं  ।

 हालांकि नगर पालिका प्रशासन द्वारा  गली, नुक्कड़ तथा चौराहों पर शासन द्वारा निर्धारित मूल्यों की सूची जरूर चस्पा की गई है । लेकिन यह सूची  थोक दुकानदारों के लिए कोई मायने नही रखती । ऐसी संकट की घड़ी में  मुनाफाखोरी और कालाबाजारी चरम पर है । ऐसे लोगो के विरुद्ध प्रशासन  भी कोई कार्रवाई  नहीं कर रहा है । जिससे मुनाफाखोरी और कालाबाजारी करने वालो के हौसले बुलंद हैं ।

 

गौरतलब यह भी है कि प्रशासन के जरिए किराना और दवाओं की सूची जारी की गई जिसमें उपभोक्ताओं तक घर पहुंचाने के लिए फोन नंबर दिए गए परन्तु दुकानदार और मेडिकल स्टोर वाले फोन तक नहीं उठाते और अगर उठाते भी हैं तो कह देते हैं कि स्टाक नहीं है। 

उन्नाव जनपद और उसके क़स्बों व शहर के नागरिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ।