कानपुर में कोरोना वायरस से जंग में प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद जहां सक्षम लोग मदद के लिए आगे आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, वहीं बच्चे दिल खोलकर अपनी जमा पूंजी का दान कर रहे हैं। कानपुर देहात के झींझक की अग्रिमा के बाद अब सरवनखेड़ा गांव का रहने वाला कक्षा आठ का छात्र आगे आया है। उसने अपनी गोलक सीडीओ को सौंपते हुए उससे निकलने वाली धनराशि को कोविड-19 से बचाव के लिए जरूरत संसाधन खरीदने में लगाने का अनुरोध किया है। इससे पहले भी कानपुर में भी एक बच्ची ने गोलक के पैसे नौबस्ता थाने में देकर प्रेरणा की मिसाल बनी थी।
बड़ों के साथ साथ बच्चे भी कोरोना से जंग में आगे आ रहे है। आटा चक्की संचालक कौशल सिंह तोमर का बेटा नागेंद्र कक्षा आठ में पढ़ता है और रोज मिलने वाले जब खर्च को बीते तीन वर्ष से गोलक में जमा कर रहा था। नागेंद्र ने बाबा वीरेंद्र सिंह तोमर से गोलक में जमा रुपये कोरोना वायरस से बचाव के लिए देने की इच्छा जताई। इस पर घर वालों ने उसके इस इच्छा की तारीफ की और तय किया कि गोलक अधिकारी को सौंप देंगे।
बुधवार को बाबा वीरेंद्र सिंह के साथ नागेंद्र अपनी गोलक लेकर सीडीओ जोगिंदर सिंह के पास पहुंचा। उसने सीडीओ को गोलक सौंप दी और कविता भी सुनाई। उसकी गोलक खोलने पर करीब 23 हजार रुपये निकले। सीडीओ ने कहा कि ऐसे बच्चों के मन में देश व समाज की मदद की भावना जाग रही है, यह बहुत ही प्रशंसा के पात्र है। उन्होंने नागेंद्र के उज्जवल भविष्य की कामना के साथ कहा कि रुपये रोगी कल्याण समिति को दिए जाएंगे। एसडीएम आनंद कुमार सिंह को नागेंद्र के बाबा ने मास्क व ग्लब्स भी सौंपे।
पहले भी बच्चे कर चुके हैं मदद
यह पहली बार नहीं है जब कोई बच्चा मदद के लिए आगे आया हो, इससे पहले भी झींझक में शिक्षक की बेटे अग्रिमा ने अपनी गोलक चौकी इंचार्ज को सौंपी थी। वहीं कानपुर शहर में भी जरूरतमदों की मदद के लिए आगे आई बच्ची चर्चा का विषय बन गई थी। मासूम ने स्वजनों के साथ नौबस्ता थाने पहुंचकर थाना प्रभारी आशीष शुक्ला को 500 रुपये सहायता राशि दी थी। थाना प्रभारी आशीष शुक्ला ने बताया कि एक बच्ची ने अपनी गुल्लक में जमा की गई 500 रुपये की राशि जरूरतमदों के लिए आकर दी थी।