कोरोना वायरस से बचाव के लिए महज 2.3 ग्राम का नैनो नैसल ब्रीथिंग फिल्टर, फोर लेयर के मास्क की तरह करेगा काम
कानपुर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए जहां बेहतर खूबियों वालों फोर लेयर मास्क को लेकर मारामारी मची है। अब आइआइटी कानपुर की खोज नैनो नैसल फ्ल्टिर फोर लेयर मास्क की तरह काम करेगा। इसे बनाने वाले वैज्ञानिक ने मोटी, पतली, लंबी और चपटी नाक के अनुरुप छह मॉडल बनाए हैं और जल्द ही इसे बाजार में लाने की तैयारी है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए महज 2.3 ग्राम का नैनो नैसल ब्रीथिंग फिल्टर बनाया है। इसे आसानी से न सिर्फ नाक पर पहना जा सकता है, बल्कि सैनिटाइजर या अल्कोहल से साफ भी किया जा सकता है। एक फिल्टर की अनुमानित कीमत 150 रुपये है, जबकि यह 10 से 12 दिन तक चल सकता है। एक फिल्टर के इस्तेमाल के लिए औसत आठ घटे समय रखा गया है।

संस्थान के रिसर्च स्टेब्लिशमेंट ऑफिसर रवि पाडेय ने पिछले साल बायो इंक्यूबेशन लैब में नैसल फिल्टर तैयार किया था। यह वायु प्रदूषण, बैक्टीरिया व वायरस के लिए था। इस फिल्टर को पेटेंट कराया गया, लेकिन उसका वजन 25 ग्राम था। प्रोटोटाइप बनने के बाद नाक पर टिकने में कुछ समस्या खड़ी हो गई। बिना धागे और इलास्टिक के सपोर्ट करना मुश्किल था। रवि पाडेय ने संस्थान के विशेषज्ञों के साथ ही डॉक्टरों से राय ली। इसके बाद सिलिकॉन मैटेरियल से प्रोटोटाइप बनाया। पहले के मॉडल में नाक से पसीना आने पर फिल्टर भीग जा रहा था। इस बार इस दिक्कत को दूर किया गया है।

फोर लेयर के मास्क की तरह ही नैनो नैसल फिल्टर काम करता है। यह बच्चों की दूध की बोतल के निप्पल की तर्ज पर सिलिकॉन मैटेरियल से बना है। सास लेने पर दूषित कण फिल्टर में ही रह जाएंगे। इसे लगाने पर मुंह खुला रहेगा। नाक के मुताबिक छह मॉडल बनाए विशेषज्ञ ने मोटी, पतली, लंबी और चिपटी नाक के अनुरूप छह प्रोटोटाइप विकसित किए हैं। इन्हें जल्द ही पेटेंट कराया जाएगा। आइआइटी के रिसर्च स्टेब्लिशमेंट ऑफिसर रवि पांडेय ने बताया कि नैनो फिल्टर पूरी तरह से एंटी वायरस है। बैक्टीरिया, वायरस और धूल के कण से बचाव हो सकता है। कुछ कंपनियों से बात हुई है, जल्द ही मार्केट में आएगा।