कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ किसी भी मरीज की उपेक्षा न करे

  • डॉक्टर के बेटे की मौत पर अखिलेश ने किया ट्वीट,लिखा- कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ किसी भी मरीज की उपेक्षा न करे

  • पिता का आरोप, हैलट में कर्मचारी मरीज को छूने से कतराते है  


कानपुर।  हैलट अस्पताल में कोरोना के डर से स्टाफ मरीजों को छूने से भी डर रहा है। इसी के चलते एक डाक्टर के बेटे की जान चली गई। इसी संबंध में बुधवार को पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि.ये दुखद है कि कानपुर के एक डॉक्टर को एंबुलेंस की अनुपलब्धता और हैलेट हॉस्पिटल में स्ट्रेचर व अन्य चिकित्सीय सहायता के अभाव में अपना बेटा खोना पड़ा। सरकार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण देकर ये सुनिश्चित करे कि कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ किसी भी मरीज की उपेक्षा न करे।
पिता खुद बेटे को स्ट्रेचर पर लेकर इमरजेंसी ले गए  



बताते चलें कि इंदिरा नगर निवासी आनंद को ढंग से इलाज नहीं मिल पाया। हालत बिगड़ने पर आईसीयू में शिफ्ट किया गया लेकिन जान नहीं बच सकी। रविवार को इंदिरा नगर के रहने वाले डॉ. राकेश पांडेय अपने पुत्र आनंद को लेकर हैलट आए थे। आनंद को तेज खांसी व सीने में दर्द था। फ्लू ओपीडी में दिखाने के बाद एक्सरे के लिए भेजा गया। यहां कर्मचारी भाग खड़े हुए। हो.हल्ला मचने पर कर्मचारियों ने स्ट्रेचर लाकर दे दिया। पिता खुद बेटे को स्ट्रेचर पर लेकर इमरजेंसी गए। फिर उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
समय से इलाज मिल जाता तो बच सकता था बेटा  

पिता का आरोप है कि कर्मचारी मरीज को छूने से कतराते रहे। समय से इलाज मिल जाता तो बेटा बच सकता था। परिवार में पत्नी और तीन माह की बच्ची है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके मौर्या का कहना है कि इलाज में देर करने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अखिलेश के ट्वीट पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या डॉ.आरती लाल चंदानी ने कंमेट करते हुए कहा कि,इस मरीज को पूरी तरह से अटेंड किया गया। तुरंत आईसीयू में लाया गया। डॉक्टरों ने बेहतरीन सेवा भी दी। यह मानसिक रोगी था। हाई बीपी और ब्रेन हेमरेज से उसकी मौत हो गई। उसके पिता से मेरी बात हुई है वो पूरी तरह से संतुष्ट हैं।