कोरोना के कांटों से फूल कारोबार छलनी-छलनी
कानपुर का महराजपुर क्षेत्र कोरोना संकट के चलते लागू लॉक डाउन से किसानों की उम्मीदों पर भी सन्नाटा पसर गया है। फूल किसान जहां इस वक्त अपनी जिदगी आíथक रूप से महकने की आस लगाए बैठे थे, बदकिस्मती के कांटों से छलनी हो रहे हैं। लॉक डाउन में पाबंदियों के असर से सैकड़ों हेक्टेयर में तैयार फूलों की फसल खेतों में ही बर्बाद हो रही है। फूल की खेती से जुड़े किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। चैत्र नवरात्रि गुजर गई, सहालग की मांग भी ठंड पड़ी है।

सरसौल, बिधनू, भीतरगांव, घाटमपुर, पतारा, बिठूर, बिल्हौर आदि क्षेत्रों में गेंदा, गुलाब, बिजली, गुलदावरी आदि फूलों की खेती बहुतायत में होती है। जिले में तीन हजार बीघे से अधिक खेत फूलों से महकते हैं। चैत्र नवरात्रि, अक्षय तृतीया व अप्रैल-मई में जोरदार सहालग के चलते इस बार फूलों की खेती औसत से अधिक की गई थी। रात-दिन खून-पसीना एक कर किसानों ने नवरात्रि से पहले फसलें तैयार कर ली थीं। फूलों से भरे खेत देखकर उनकी खुशी देखते ही बन रही थी लेकिन, एक ही झटके में काफूर हो गई। नवरात्रि शुरू होने से पहले ही लॉक डाउन की घोषणा होते ही फूलों का व्यापार ठप हो गया।

किसानों ने बताया कि नवरात्रि में गेंदे के फूल औसतन मूल्य 40-50 रुपये से लेकर सौ रुपये व गुलाब 100-250 प्रति किलो बिक जाता है। इस बार बिक्री नहीं होने से गेंदा की खेती में प्रति बीघे 50 हजार से एक लाख जबकि गुलाब में लगभग दो लाख रुपये प्रति बीघे के नुकसान का आकलन है। नागापुर निवासी किसान श्री किशन, महेन्द्र, शिवसागर व अशोक कुमार ने बताया कि लॉक डाउन के चलते नवरात्रि में सभी मंदिर भी बंद रहे। लोगों के आवागमन पर रोक के चलते स्थानीय खरीददार व बाहर के व्यापारी नहीं आ पाए। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया, व्यापार पूरी तरह चौपट हो गया।

विपौसी निवासी किसान अवधेश मिश्रा, डोमनपुर निवासी सुरेन्द्र ने बताया कि नवरात्रि में मांगलिक कार्यक्रम में होते थे। फूलों की खपत खूब होती थी। इस बार सभी आयोजन पूरी ठप रहे। अप्रैल-मई में होने वाले शादी समारोह भी अब आगे बढ़ रहे हैं। इसके चलते इधर की पूरी फसल घाटे पर ही चली गई। हजारों रुपये की लागत लगाने के बाद एक रुपये भी नहीं निकला। उम्मीदों पर पानी फिर गया है