हज़रते फातिमा ज़हरा जन्नती औरतों की सरदार हैं:हाफिज़ फ़ैसल जाफ़री






  • खातूने जन्नत की यौमे विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत का खिराजे अक़ीदत


कानपुर 27 अप्रैल:शहजादिये रसूल, हज़रते सय्यदा तय्यबा ताहिरा खातूने जन्नत फातिमा ज़हरा रजि अल्लाहु अन्हा की तारीखे विसाल 3 रमजानुल मुबारक है,तन्जीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी ने खिराजे अकीदत पेश करते हुए कहा कि 

जब आपकी उम्रे पाक 18 या 16 साल हुई तब आपका निकाह हज़रते मौलाए काएनात से हुआ, आपके निकाह का पैगाम हज़राते सिद्दीक़ व उमर ने भी भेजा मगर पैगम्बरे इस्लाम ने मन्ज़ूर ना फरमाया, इन दोनों हज़रात के कहने पर जब हज़रते अली ने पैगामे निकाह भेजा तो सरकार अलैहिस्सलाम ने कुबूल फरमा लिया आप जन्नती औरतों की सरदार हैं

आपको शहंशाहे कौनैन ने जहेज में जो सामान दिया वह यह था

1- चमड़े का एक गद्दा जिसमें खजूर के पत्ते भरे थे

2- बान की बुनी हुई एक चारपाई

3- एक छागल

4- एक मश्क

5- दो आटा पीसने की चक्कियाँ

6- मिट्टी के दो घड़े

हजरते फातिमा इमामुल अम्बिया की बेटी होने के बावजूद अपने घर का सारा काम खुद करती थीं, झाड़ू खुद लगातीं, खाना खुद पकातीं, चक्की खुद चलातीं, मश्क में खुद ही पानी भर कर लातीं इतने काम अन्जाम देने की वजह से आपके मुबारक हाथों में छाले पड़ जाते मगर आप उफ तक नहीं करतीं और इतना सब करने के बावजूद एक वक़्त की भी नमाज छोड़ना तो दूर कज़ा तक नहीं होने देतीं, साथ ही मुसलमानों के इमाम हज़राते हसनैन करीमैन और दूसरी औलादों की परवरिश भी फरमातीं, शौहर के हुकूक़ को भी अदा फरमातीं, अल हासिल आपके औसाफे हमीदा को देख कर हमारे आक़ा फख्र से फरमाते कि फातिमा मेरे जिगर का टुक्ड़ा है और मैं इससे मोहब्बत करता हूँ

तन्जीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना मोहम्मद हस्सान कादरी ने खिराज पेश करते हुए कहा कि आपके फजाएल में एक नहीं कई हदीसें हैं जिनमें कुछ खास यह हैं

1- हज़रते अबू अय्यूब अन्सारी से मर्वी कि कयामत के दिन एक निदा करने वाला निदा करेगा कि एै महशर वालों! अपने सरों को झुका लो और आँखें बन्द कर लो कि हजरते फातिमा जहरा पुल सिरात से गुजरने वाली हैं, फिर हजरते फातिमा 70000 हूरों के झुरमुट में बिजली की तरह पुल सिरात से गुजर जाएँगी

बुखारी में है कि फातिमा मेरे गोश्त का टुक्ड़ा है, जिसने फातिमा को तक्लीफ दी उसने मुझे तक्लीफ दी

हजरते अबू हुरैरा से मर्वी है कि एक बार हजरते अली ने पूछा कि या रसूलल्लाह आपको हम में से कौन ज्यादा महबूब है मैं या फातिमा?

तो सरकार ने फरमाया फातिमा मुझे तुमसे ज्यादा महबूब है

पैगम्बरे इस्लाम के विसाल फरमाने के बाद आप कभी नहीं हंसीं,आप सरकार के विसाल फरमाने के सदमे से बाहर नहीं निकल पाईं और 6 माह बाद 3 रमजान 11 हिजरी मंगल की रात आपने वफात पाई हजरते अली या हजरते अब्बास ने आपकी नमाजे जनाजा अदा कराई और सही कौल के मुताबिक आपको मदीना शरीफ के जन्नतुल बक़ी मे दफ्न किया गया आपकी औलाद मे 3 शहजादे(बेटे) हजरते इमामे हसन,हजरते इमामे हुसैन,हजरते इमामे मोहसिन और 3 शहजादियाँ (बेटी) हजरते उम्मे कुलसूम,हजरते जैनब,हजरते रूकय्यह आपके शिकम से पैदा हुए और पैगम्बरे इस्लाम का यह फरमान पूरा हुआ कि मेरे बाद मेरे खानदान में सबसे पहले मेरी बेटी फातिमा मुझसे आकर मिलेगी आला हजरत फरमाते हैं जिसका आँचल न देखा महो महर ने उस रिदाए नजाहत पे लाखो सलाम,

सय्यदा जाहिरा तय्यबा ताहिरा

जाने अहमद की राहत पे लाखों सलाम!