दूसरों को दुनिया दिखाने वाले डा. महमूद रहमानी दुनिया से हुए अलविदा






-1989 में नेत्रदान महादान अभियान की थी शुरुआत, 1224 लोगों को दिखाई दुनिया
- 13 मार्च को किया था अंतिम नेत्र ट्रांसप्लांट, 66 वर्ष के थे डा. महमूद रहमानी



कानपुर ।  दूसरों को रंगीन दुनिया दिखाने वाले नेत्र सर्जन डा. महमूद रहमानी देर रात दुनिया से ही अलविदा हो गये और सोमवार को उनका शव सुपुर्द ए खाक हो गया। डा. रहमानी 66 वर्ष के थे और 31 वर्षों के नेत्रदान महादान अभियान के तहत 1224 लोगों को दुनिया दिखायी। अंतिम बार उन्होंने इसी वर्ष 13 मार्च को नेत्र ट्रांसप्लांट किया था पर उसको दुनिया देखते नहीं देख पाये और ब्रेनहेमरेज के शिकार हो गये। उनके निधन पर डाक्टर जगत से लेकर शहरवासियों की भी आंखे नम हो गयी।
मूलरुप से कन्नौज के रहने वाले डा. महमूद रहमानी कानपुर में आकर बस गए थे। मरीजों का इलाज करते-करते उन्होंने नेत्रहीनों को नेत्र ज्योति देने की ठान ली और वर्ष 1989 में उन्होंने नेत्रदान महादान अभियान की शुरुआत कानपुर में की थी। उस समय श्रीमती मर्चेंट ने नेत्र दान किया था लेकिन उसके बाद उन्हें करीब 10 वर्ष इंतजार करना पड़ा था। वर्ष 2000 में देहदान अभियान के मनोज सेंगर, आजाद हिंद फौज की सेनापति मानवती आर्या सब एक साथ आए और उसके बाद इस अभियान को तेज गति मिली। आजाद हिंद फौज में महिला विंग की कमांडर रहीं कैप्टन लक्ष्मी सहगल का भी उनकी मृत्यु के बाद डा. रहमानी ने नेत्रदान कराया था। नेत्रहीनों को नेत्र ज्योति देने के लिए उन्होंने मुफ्त कार्निया ट्रांसप्लांट अभियान शुरु किया था।
नमाज पढ़ते समय हुआ ब्रेन हैमरेज
सिविल लाइंस स्थित एम्पायर इस्टेट में रहने वाले डा. महमूद रहमानी ने 13 मार्च को अंतिम नेत्र ट्रांसप्लांट किया। उसकी पट्टी 10 दिन बाद यानी 23 मार्च को खुलनी थी लेकिन 22 मार्च की दोपहर में घर में नमाज पढ़ते समय उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। तब से वह वहीं भर्ती थे। रविवार देर रात उन्होंने सर्वोदय नगर स्थित एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्होंने अपने जीवन में 1224 ट्रांसप्लांट किए। नवीन मार्केट स्थित सोमदत्त प्लाजा में गॉड सर्विस आई क्लीनिक चलाने वाले डॉ. महमूद हुसैन रहमानी चमनगंज में शिफा आई रिसर्च सेंटर के नाम से तीस बेड का अस्पताल भी चला रहे थे। डा. रहमानी अपने पीछे तीन बेटियों का भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनका जनाजा जब सोमवार को निकला तो लोगों की आंखे नम हो गयी और भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उनके निधन से शहरवासियों सहित चिकित्सा जगत में शोक व्याप्त रहा।