दिनदहाड़े हत्या करने का शौकीन था शार्प शूटर मोनू पहाड़ी

- बाल सुधार ग्रह से भागा तो जेल में ही हुआ अंत
- कानपुर के अपराध जगत में सबसे कम उम्र का था हिस्ट्रीशीटर
- कानपुर सहित मुंबई से लेकर पूर्वांचल तक फैलाये था जरायम का नेटवर्क

कानपुर । इटावा जेल में हुए गैंगवार में मारा गया डी 2 गैंग का सरगना व कानपुर निवासी मोनू पहाड़ी कानपुर के अपराध जगत में सबसे कम उम्र (17) का हिस्ट्रीशीटर था। यही नहीं जरायम की दुनिया में अपना खौफ बनाने के लिए उसने सुपाड़ी लेकर दिनदहाड़े हत्या करनी शुरु कर दी और धीरे-धीरे यह उसका शौक बन गया था। एक तरफ जहां उसका यह शौक था तो वहीं दूसरी ओर रंगदारी के लिए यह तरीका सबसे बड़ा हथियार बन गया था और कारोबारी पत्र मिलने या फोन करने पर बिना पुलिस को सूचना दिये उसी के अनुसार करते थे। लेकिन अब उसकी मौत से कानपुर से लेकर मुंबई और पूर्वांचल के कारोबारियों ने राहत की सांस ली होगी।
कानपुर के दलेलपुरवा थाना अनवरगंज निवासी मोनू पहाड़ी (राशिद) पर तीन दर्जन से अधिक मामले कानपुर नगर में दर्ज थे। मोनू के पिता नासिर अली रिक्शा कंपनी चलाते थे और उसके दो अन्य भाई नाजिम और आशु भी है जो पुलिस के खौफ से मुंबई शिफ्ट हो चुके है। मोनू बचपन से ही नटखट था और पढ़ाई की जगह वह मारपीट में अधिक रहता था। जिस पर उसके भाई और पिता नाराज भी होते थे पर मां शहनाज़ बेगम और मौसियों क्रमशः गुल्नाज़, गौसिया का चहेता था। यही नहीं अपने मामाआें चकेरी निवासी शोएब और अहमद का दुलारा था। जिसके चलते अपने घर से भागकर मामा के यहां रहने लगा और पहला अपराध 16 साल की उम्र में कर बैठा। अपराध के बाद उसे बाल सुधार गृह भेजा गया जहां से वह भाग निकला पर जेल में ही उसका आखिरकार अंत हो गया।

रईस बनारसी से मिलाया हाथ
बाल सुधार गृह से भागने के बाद मोनू पहाड़ी पीछे मुड़कर नहीं देखा और जरायम के दलदल में फंसता ही चला गया। पुलिस की सख्ती के चलते उसने उस दौर के खुंखार अपराधी रईस बनारसी से हाथ मिला लिया और सुपाड़ी लेकर हत्या करनी शुरु कर दी। रईस की मौत के बाद डी-2 गैंग का मोनू सरगना बन गया और उसका नेटवर्क मुंबई सहित पूर्वांचल में तेजी से बढ़ता गया।

जल्द अमीर बनने की थी चाहत
जल्द ही अमीर बनने की चाहत में मोनू पहाड़ी शानू बॉस के साथ मिलकर भाड़े में हत्या करने लगा। उसने रफीक के कहने पर कई हत्या की। मात्र छः महीने के अन्दर ही चमड़ा कारोबारी को चकेरी में और श्यामनगर के वारदाना कारोबारी को अगवा कर मोटी फिरौती वसूल लिया। इसके बाद से ही उसकी दहशत कायम हो गई और कारोबारी उसकी मुहमांगी पर्ची (रंगदारी) उसको देने लगे। उसके आतंक से तंग आकर करोबारियो ने आला अधिकारियों से शिकायत किया और पुलिस ने उस पर पचास हज़ार का इनाम घोषित कर दिया। इसके बाद ही पुलिस उसको एनकाउंटर के लिए तलाशने लगी। इसके बाद वह कानपुर से भाग कर वाराणसी आ गया और रईस बनारसी से उसकी यहां से दोस्ती गहरी हो गई। इस दौरान वह रईस के जरिये बनारस के एक बाहुबली के संपर्क में आ गया और कई घटनाओ में इसके बाद उसका नाम आया।

छह साल पहले एसटीएफ पर किया हमला
अपराध दर अपराध करने पर उसकी गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ को लगाया गया और एसटीएफ ने 19 अगस्त 2014 को उसको ब्रह्मदेव मंदिर के पास घेर लिया था और आत्मसमर्पण करने को कहा था। इस बीच उसने पुलिस पर ही हमला कर दिया था और मोटरसाइकिल लेकर भागने वाला था कि उसकी बाइक फिसलकर गिर पड़ी और एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। जिसके बाद अदालत ने इसको 2016 में अदालत ने पुलिस पर हमले का दोषी करार देते हुवे सात साल कैद-ए-बामुशक्कत की सजा सुनाई थी।

गैंग में यह लोग थे शामिल
मोनू के हिस्ट्रीशीट पर नज़र डाला जाए तो उसके मुताबिक उसके गैंग में हीरामन पुरवा का शरीफ डफाली, शानू चिकना उर्फ़ शानू वाईकर, मिया मुनक्कू, रेहान उर्फ़ गुड्डू, आफाक सुनहरा, अख़लाक़, चमनगंज का कालू, नाला रोड का नौशाद, शेरू, बबुआ, आलम, शानू मोटा, पप्पू खटिक थे। बताया जा रहा है कि मिया मुनक्कू, शानू चिकना और रेहान उर्फ़ गुड्डू पर मोनू पहाड़ी सबसे अधिक भरोसा करता था। गैंग को पहाड़ी बहुत ही सिस्टम से चलाता था। कोई एक दूसरे के काम में नहीं हाथ डालता था। पप्पू खटिक का काम भाड़े की हत्या, लूट, अपहरण, फिरौती वसूलना था। सूत्रों के अनुसार शानू चिकना का काम असलहे और गाडी उपलब्ध करवाना था जबकि रेहान का काम किसी मेंबर के जेल जाने के बाद उसकी ज़मानत का इंतजाम करना था।

इनकी की दिनदाड़े हत्या
मोनू पहाड़ी भले ही जेल की काल कोठरी में ही मरा मगर उसका शौक दिनदहाड़े हत्या करना था। इसका कारण था कि शहर में उसकी दहशत कायम रह सके और उसको रंगदारी मिल सके। उसने सबसे पहले डी-2 गैंग से सुपारी लिया और लाला हड्डी को दिनदहाड़े गोली मार दिया। लाला हड्डी को उसने दहशत कायम रखने के लिए ताबड़तोड़ 7 गोलिया मारी थी। इसके बाद मूलगंज चौराहे पर सरेआम हसींन टुंडा की गोली मार कर हत्या किया था। इस बार उसने हसीन टुंडा को 5 गोलिया मारी थी। उसने स्मैक तस्कर से सुपारी लेकर भरी बाज़ार में चौरसिया की हत्या किया था। चौरसिया को उसने आठ गोलिया मारी थी। इसी दौरान उसको जूही निवासी नेहा से इश्क हो गया।

प्रेमिका को मारी थी सात गोली
जरायम की दुनिया के साथ वह नेहा नाम की लड़की से प्यार करने लगा और उसके प्यार में वह कुछ भी करने को तैयार रहता था। इस दौरान मोनू पहाड़ी गिरफ्तार हो गया। उसने अपने गुर्गे बरखुरदार को उसके घर की देखभाल के लिए कह रखा था। इस दौरान बरखुरदार मोनू की प्रेमिका के घर जाने लगा। इसके बाद बरखुरदार जो खुद भी एक अपराधी था की नजदीकियां नेहा से बढ़ने लगी। इसकी सूचना जेल में बैठे मोनू को लग गई। जिससे वह अपनी माशूका के बेवफाई से मचल उठा और पेशी के दौरान एक दिन वह पुलिस हिरासत से भाग गया। इसके बाद उसने जूही में भरी दोपहर नेहा की गोली मार कर हत्या कर डाला। उसके दिमाग में नफरत कुछ इस कदर थी की उसने नेहा को कुल सात गोलियां मारी थी, जिसमें से पांच गोली उसने नेहा के गुप्तांग पर मारी थी। इसके बाद उसने अपराधी और अपने साथी बरखुरदार की भी हत्या कर दी थी। बरखुरदार को भी उसने सात गोलियां मारी थी जिसमें उसके चहरे पर तीन गोली मारी थी। नेहा हत्या में उसके साथ रईस बनारसी का भी नाम सामने आया था।