- मुस्लिम वर्ग आया आगे, घनी बस्तियों के बीच अपनों को समझाया
कानपुर । कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन का जनता में समर्थन मिल रहा है। इसी को देखते हुए शहर काजी और जिलाधिकरी ने अपील की कि जुमे की नमाज मस्जिदों की जगह घरों पर अदा की जाये। इसके साथ ही मुस्लिम वर्ग के लोग खुद आगे आये और गली मोहल्लों में जाकर लोगों से घरों पर नमाज करने के लिए कहा। इसका असर यह रहा कि इस महामारी में देश का साथ देने के लिए लोग घरों पर ही जुमे की नमाज अता की और दुआ की गयी कि इस खतरनाक वायरस से भारतवासियों की रक्षा हो सके।
पूरी दुनिया के साथ भारत में भी खतरनाक वायरस कोरोना का प्रकोप बढ़ चुका है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल तक देशवासियों को इससे बचाने के लिए लॉकडाउन घोषित कर दिया है। लॉकडाउन का लोग समर्थन भी कर रहे हैं पर पहले यह अंदेशा था कि शुक्रवार को होने वाली जुमे की नमाज में लोग मस्जिदों पर जाने से नहीं मानेंगे। ऐसे में शहर काजी मौलाना मोहम्मद आलम रजा खान नूरी और जिलाधिकारी डा. ब्रह्म देव राम तिवारी ने बैठक की और शहरवासियों से अपील की कि जुमे की नमाज मस्जिदों की जगह घरों पर अता की जाये। इसका असर यह रहा कि आज मुस्लिम वर्ग के लोग खुद आगे आये और गली मोहल्लों में एलाउंस कराया कि कोई भी मस्जिदों में नमाज अता करने न जाये। शहर काजी और जिलाधिकारी की अपील का व्यापक असर दिखा, जिससे आज मस्जिदों में सुनसान बना रहा। लोग घरों पर ही नमाज अता कर देश की सलामती के लिए दुआएं मांगी।
देशभावना से घरों में की गयी इबादत
शहर क़ाज़ी कानपुर मौलाना मोहम्मद आलम रजा खान नूरी ने कहा कि पूरा देश व प्रदेश के साथ शहर भी कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहा है। शहर को लॉक डाउन कर दिया गया है और हर भीड़ वाली जगह को संदेह की नजर से देखा जा रहा है। ऐसे में शरीयत की रोशनी में यह फैसला लिया गया है कि मस्जिदों में जुमे की नमाज अता नहीं होगी और लोगों ने भी देशभावना के साथ इस फैसले का स्वागत किया। बताया कि मस्जिदों में रहने वाले चार-पांच लोग ही आज जुमे की नमाज डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए जुमे की नमाज अता की और बाकी सभी लोग घरों पर ही नमाज अता की।
जिलाधिकारी का कहना
जिलाधिकारी डा. ब्रह्म देव राम तिवारी ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना ने जाति, धर्म और सम्प्रदाय के सभी लोगों को इस संकट की घड़ी में एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है। हर व्यक्ति इस महामारी के संक्रमण की रोकथाम के लिए अपने धार्मिक अस्थाओं से समझौता कर रहा है और आज प्रशासन की अपील पर मुस्लिम वर्ग के लोग भी घर पर ही अल्लाह की इबादत कर आवाम की सलामती की दुआ मांगी है।
मुसीबत में घर पर की जा सकती है इबादत
हाजी मो. इस्लाम ने कहा कि कोरोना महामारी के संक्रमण की रोकथाम व बचाव के लिए सरकार द्वारा घोषित लॉकडाऊन के पालन के लिए हर व्यक्ति अपनी मजहबी आस्थाओं से समझौता करने की पहल शुरु कर दी है। और आज दोपहर बाद मस्जदों में हुई जुमे की नमाज़ के बाद अपने अपने घरों में जोहर पढ़कर देश व समाज की अल्लाह से सलामती की दुआ मांगी गयी। हाजी सुलेमान ने कहा कि मुसीबत की इस घड़ी में हम सब को मिलकर कोरोना महामारी के खिलाफ जंग लड़नी है। कोरोना महामारी के लिए प्रधानमंत्री के घोषित लॉकडाऊन का पूरी आवाम को पालन करना है। इसलिए आज लोगों से गुजारिश की गई है कि मस्जदों में जुमे की नमाज अदा के बाद घर पर ही जोहर पढ़े और अल्लाह की इबादत पूरी करें। मस्जिदों में सिर्फ चार-पांच लोग सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए जुमें की नमाज अदा किये। कहा कि मुसीबत के समय अल्लाह अपने बंदे की किसी भी स्थान से की गई इबादत को स्वीकार करता है। मो. इदरीश ने कहा कि जब इंसान मुसीबत में फंसा होता है तो उसे अल्लाह की इबादत बिना मस्जिद के भी पूरी करनी होती है। आज हमारे देश में कोरोना महामारी के संक्रमण का संकट है। उस संक्रमण को रोकना हम सब की प्रथम जिम्मेदारी है। लॉकडाऊन की घोषणा इंसान की सलामती के लिए है। और नमाज भी समाज में अमन और इंसान की सलामती के लिए होती है।
शहर काजी के साथ जिलाधिकारी की अपील पर घरों में अदा हुई जुमे की नमाज