जुमा की नमाज़ घर पर हकरें - मौलाना उसामा

कानपुर :- कोरोना वायरस के संक्रामक रोग से इस वक़्त सिर्फ हिन्दुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया परेशान है। सभी को मालूम है कि भीड़ के स्थानों पर इस वायरस के फैलने का खतरा है। इसलिये सरकार ने पूरे देश में इस वायरस को फैलने से रोकने के लिये लाकडाउन कर दिया है क्योंकि अगर इस वायरस पर क़ाबू ना पाया गया तो बड़ी सख्त तबाही का खतरा है, अल्लाह हिफ़ाज़त फरमाये, ऐसे में एक अहम मसला मस्जिदों में बाजमाअत नमाज़ों का आया जिस पर मुल्क के तमाम बड़े उलमा, मस्जिदों के इमाम और धार्मिक संस्थाओं ने एकराय होकर निर्णय किया कि शरीअत के दायरे में रहकर नमाज़ की पाबन्दी के साथ एहतियात लाज़मी है, इसलिये मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने के बजाये घरों में रहकर नमाज़ पढ़ना बेहतर है। मस्जिद में सिर्फ इमाम, मोअज्ज़िन और खुद्दाम(सेवक) हज़रात ही नमाज़ अदा करेंगे। इस बात की जानकारी देते हुए अध्यक्ष जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी क़ाज़ी ए शहर कानपुर ने कहा तमाम मुसलमानों से अपील की है कि आज जुमा का दिन है आज जुमा के दिन भी पहले ही की तरह व मस्जिदों में ज़्यादा भीड़ ना लगायें। उन्होंने बताया कि शरीअत यही कहती है कि नमाज़े जुमा के लिये कम से कम 3 आदमी और 1 इमाम ज़रूरी है इसलिये मौजूदा हालात को देखते हुए तमाम लोग घरों में ही नमाज़े जुमा पढ़ सकते हैं वरना घर पर ही ज़ोहर की नमाज़ पढ़ें जो शरअन नमाज़े जुमा का बदल है। मस्जिद के इमाम हज़रात अपने मुअज्ज़िन और खुद्दाम के साथ 4-6 लोगों की जमाअत कर लें, इसमें भी खुत्बा और क़िरअत जितनी मुख्तसर हो उतना ही बेहतर है। इसके साथ ही बग़ैर ज़रूरत सड़क व गलियों में खड़े होकर अपने समाज के लिये ज़हमत ना बनें। हमारे देश के बड़े उलमा का यह मुश्तरका फैसला है कि बराये मेहरबानी इस हुक्म को मानें, शरीअत का मज़ाक़ ना बनायें और थोड़ा सा इल्म लेकर उलमा ए किराम पर तब्सिरा करके अपनी आक़बत बर्बाद ना करें। याद रखिये आपकी लापरवाही कहीं पूरी उम्मत की बदनामी का कारण ना बन जाये, इसका ध्यान रखें।