होली में बढ़ा सिंथेटिक दूध का कारोबार, मुनाफाखोरों की बल्ले-बल्ले

- खाद्य विभाग की टीमें कर रहीं छापेमारी, तीन गुना कमा रहे मिलावटखोर

कानपुर । होली का त्योहार नजदीक है और लोग अपने घरों पर अतिथि के स्वागत के लिए तरह-तरह की तैयारी कर रहे हैं। स्वागत में दूध व दूध से बने खाद्य पदार्थों की तो जरुरत पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में दूध की मांग बढ़ जाती है और इसी बढ़ी मांग का मिलावटखोर फायदा उठा रहे हैं। दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए जनपद में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सिंथेटिक (मिलावटी) दूध का कारोबार बढ़ गया है और तीन गुना मुनाफा मिलावटखोर कमा रहे हैं। हालांकि खाद्य विभाग की टीमें सक्रिय है और बराबर अभियान चलाकर ऐसे मिलावटखोरों पर कार्यवाही की जा रही है, फिर भी जनपद में इन दिनों सिंथेटिक दूध का कारोबार खूब फल फूल रहा है।
होली का त्योहार नजदीक आते ही सिंथेटिक दूध का धंधा बढ़ जाता है। सफेद दूध का काला धंधा करने वाले धंधेबाज और मुनाफाखोरों की सक्रियता बढ़ जाती है। सिंथेटिक दूध से मावा, मिठाई आदि बनाने के लिए व्यापारी भी इसे प्रयोग करने से गुरेज नहीं करते, क्योंकि इसमें लागत कम और मुनाफा कई गुना ज्यादा होता है। होली के उल्लास में दूध से बनी मिठाई और खाद्य सामग्री आपकी ज़िन्दगी में ज़हर घोल सकती है। यही नहीं कानपुर शहर में भारी मात्रा में खपाये जा रहे दूध जैसा दिखने वाले इस सफेद जहर के काले कारोबार को देख कर आप के पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। जिला प्रशासन छापेमारी और सैम्पलिंग की कार्यवाही तो करता है लेकिन सिर्फ त्योहारों पर लेकिन वो भी नाकाफी साबित होती है।
तीन गुना होता मुनाफा - कानपुर शहर के ग्रामीण क्षेत्रां में धड़ल्ले से चल रहे इस सफेद जहर के कारोबार से स्वस्थ रहना तो भूल जाइये। इस सफ़ेद ज़हर से आपके लीवर और किडनी को खोखला किया जा रहा है। कहते है न कि “हींग लगे न फिटकरी रंग कहलाए चोखा“ तो ऐसे ही बनता है ये सफेद जहर। नाम न छापने की शर्त पर इसका कारोबार करने वाले दो व्यक्तियों ने बताया कि डिटर्जेंट पाउडर, शैम्पू, यूरिया, कास्टिक सोडा और रिफाइन्ड आयल आदि मिलाकर सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। इस वर्जन से तैयार किये दूध की लागत करीब 15 से 20 रुपये प्रति लीटर आती है और 60 रुपये प्रति लीटर बेचा जाता है। समाजसेवी अनीता दुआ ने कहा कि होली के त्योहार पर जिस तरह से इस सफेद जहर की खेप आपके घर तक पहुंचाई जा रही है उससे सावधान रहने की जरुरत है, क्यांकि मिलावटखोर और सफेद जहर करने वाले कहीं होली के त्योहार की ख़ुशी को मातम में न बदल दे।
डाक्टर का कहना - डा. कीतिवर्धन सिंह ने कहा कि यह दूध स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता हैं। इन चीजों के लगातार पेट में पहुंचने से तमाम प्रकार के रोग पैदा होने लगते हैं। यदि इनका सेवन ज्यादा हो जाए तो कैंसर की भी संभावना बन जाती है। सिंथेटिक दूध में कई हानिकारक पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो शरीर के भीतर जाकर पाचन सिस्टम को बिगाड़ सकते हैं। यदि लगातार ये पेट में पहुंचते रहें तो आंतों का इन्फैक्शन, अल्सर, पेट दर्द, कोलाइटिस आदि भी हो सकते हैं। ऐसे में दूध का प्रयोग बहुत सोंच समझकर करना चाहिए। त्योहारों पर तो इसमें विशेष सर्तकता बरतनी चाहिए।
जिलाधिकारी का कहना - जिलाधिकारी डा. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने कहा कि जानकारी हुई है कि कानपुर में मिलावटी दूध का कारोबार भारी मात्रा में हो रहा है। उन्होंने बताया कि खाद्य विभाग की फील्ड यूनिट पूरी तरह मुस्तैद है और लगातार मिलावट करने वालां पर शिकंजा कसा जा रहा है। सैम्पलिंग की कार्यवाही के बाद भारी मात्रा में एफआईआर भी की गई है, लेकिन जिला स्तर पर जितना संभव हो पाता है उतनी ही कार्यवाही हो पाती है।
चार गुना है खपत - दूध में मिलावट तो पहले ही लोगों की सेहत पर भारी थी, सिंथेटिक दूध के बढ़ते कालाबाजारी ने हालात को और बदतर कर दिया है। दूध के कारोबार से जुड़े लोगों का ही दावा है कि जितना जिले में दूध का उत्पादन और आवक है उससे चार गुना ज्यादा खपत है। जाहिर सी बात है कि ये अंतर दूध में पानी मिलाने के साथ-साथ सिंथेटिक दूध बनाकर ही खत्म किया जा रहा है।
शहर से देहात तक सक्रिय हैं मिलावटखोर - दूध का काला धंधा शहर समेत देहात क्षेत्र तक फैला हुआ है। शहर में ही कई स्थानों पर चोरी छिपे मिलावट का धंधा चल रहा है। इसके अलावा सचेंडी, घाटमपुर, ककवन, नर्वल, महाराजपुर, सरसौल व शुक्लागंज आदि क्षेत्रों में भी यह धंधा जोरों पर चल रहा है। कई जगहों से शहर के लिए दूध की आपूर्ति होती है जो सुबह ही बड़े-बड़े कंटेनरों में भरकर हलवाइयों के यहां पहुंचाया जाता है। वे अपने उपयोग का दूध निकालकर बाकी को बेच देते हैं।
ऐसे करें सिंथेटिक दूध की पहचान - आधा कप दूध में बराबर मात्रा में पानी मिलाएं, यदि झाग आए तो दूध में डिटर्जेंट मिला हुआ है। दूध को हथेलियों के बीच में रगड़ें, यदि यह साबुन जैसा लगे तो सिंथेटिक दूध हो सकता है। गर्म करने पर सिंथेटिक दूध हल्का पीला हो जाता है।
बराबर की जा रही छापेमारी - खाद्य विभाग के अभिहित अधिकारी विजय बहादुर सिंह ने कहा कि त्योहारों पर मिलावटखोरों की सक्रियता बढ़ जाती है। विभाग द्वारा समय-समय पर अभियान चलाकर मिलावटखोरों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन त्योहारों पर ज्यादा सक्रियता से चेकिंग की जा रही है। छापा मारने का क्रम लगातार जारी है। यदि कोई कहीं सिंथेटिक दूध की बिक्री या बनाता मिला तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।