हज़रत अली मौला मुश्किल कुशा शेरे खुदा की जश्न ए विलादत (जन्मोत्सव) के मौके पर जश्न ए ईद मिलादुन्नबी आयोजित




मदीना ग्राउंड, आवास विकास, मछारिया कानपुर नगर में तन्जीम सिरातल मुसतकीम के बैनर तले हज़रत अली मौला मुश्किल कुशा शेरे खुदा की जश्न ए विलादत (जन्मोत्सव) के मौके पर जश्न ए ईद मिलादुन्नबी व जश्न ए मौलूदे काबा बड़ी धूमधाम से मनाया गयाl

जलसे का आगाज़ हाफ़िज़ कफील हुसैन खान ने तिलावत ए कुरान ए रब्बानी से किया इस जलसे की सरपरस्ती हज़रत अल्लामा मौलाना आलम रजा खान नूरी काजी ए शहर कानपुर नगर ने किया। तथा जलसे की सदारत हजरत अल्लामा मौलाना महबूब अली शिकोही ने किया। इस जलसे में मुकर्रिर हजरत अल्लामा मौलाना मुफ्ती मोहम्मद फरहान खान फरीदी साहब किब्ला ने कहा कि अगर चाहते हो दुनिया और आखिरत में कामयाबी तो हजरत अली के कौल को समझो और अहले बैत से मोहब्बत करो और उनके किरदार को अपनी जीवन में ढाल लो तुम्हारा वकार वापस आ जायेगा।

जलसे में मुकर्रिर ए खुशुसी सैय्यद हसनैन मियां बकाई साहब किब्ला नायब सज्जादा नशीन खानकाह ए बकाईया शफीपुर शरीफ, उन्नाव ने कहा कि बुरे वक्त में मददगार है नाम ए हजरत अली। फरमाया कि हजरत अली का नाम बुरे वक्त में मददगार है। अली का नाम लेने से मुश्किलें दूर हो जाती हैं। फरमाया कि मौला-ए- कायनात की शान बयान करना किसी इंसान की बात नहीं, जबकि खुदा और रसूल ने खुद उनकी तारीफ बयान की है। जलसे में हजरत अली की शान बयान की गई। फरमाया कि बुरे वक्त में आज भी लोग हजरत अली को पुकारते हैं। उन्हें जमीन और आसमान का इल्म हासिल था। फरमाया कि हजरत अली को जमीन और असमान का इल्म हासिल था। हजरत मुहम्मद सल. ने फरमाया था कि मैं इल्म का शहर और अली उसका दरवाजा है। उन्होंने हजरत अली की अहमियत बयान की।

इस मौके पर हज़रत हाफ़िज़ अब्दुल हफीज मकनपुर शरीफ, हाफ़िज़ शराफत हुसैन, तालिब हुसैनी  सद्दाम हुसैन, शोएब अली वारसी, हज़रत सलाहुद्दीन कादरी, हाफ़िज़ मुस्लिम मदारी, मो. अख्तर रज़ा, वारिस अली चिश्ती, हाजी मो. कासिम, याकूब सिद्दीकी (एड), शकील अब्बा, इमरान सिद्दीकी, मो. सिराज, गुड्डु भाई मो. उमर, हाजी वसीम, मो. अनीस (एड.) शकील चाय वाले, शाहनवाज़ वारसी, शानू मेडिकल, मुन्ना भाई, रिजवान, हाजी नूर अली, चांद, गुड्डू (चैम्पियन लाइट), निजाम, इमरान छन्गा पठान, इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, अकील, मो. आफाक, पप्पू, चांद कादरी, अबरार कादरी, हैदर अली, नौशाद, आसिफ, सैफ, हसनैन, वकार, अरशद, दऊद, दिलदार, जावेद, छोटू, सारिब, लल्ला आदि हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।