गाजियाबाद से लखनऊ जा रही बस पकड़ी, ठूस-ठूस कर भरे 120 यात्रियों को देख दंग रह गए अफसर

कानपुर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए घोषत लॉकडाउन में दूसरे शहरों और प्रांतों में फंसे लोगों को घर जाने की चिंता सता रही है। इसके चलते वह अपनी जिंदगी को भी दांव पर लगा रहे हैं, पाबंदी के बावजूद एक मीटर की दूरी बनाए रखना तो दूर एक के ऊपर एक बैठकर सफर करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति शनिवार की दोपहर नौबस्ता में पुलिस द्वारा रोकी गई एक प्राइवेट बस में मिली। इस स्लीपर बस में ठूसठूस कर यात्री बिठाये गए थे, यहां तक कि बस की छत पर भी यात्री सवार थे। पुलिस ने बस को रोककर सभी यात्रियों की थर्मल टेस्टिंग कराई।

 लॉकडाउन घोषित होने पर दूसरे राज्यों और शहरों में रहने वाले लोगों में अब घर पहुंचने की जद्​दोजहद दिखाई दे रही है। कोई पैदल ही निकल पड़ा है तो कोई साइिकल से सफर तय कर रहा है। इन सबके बीच अधिक किराया देकर कुछ लोग बसों में भीड़ के बीच सफर करके संक्रमण के खतरे को बढ़ावा दे रहे हैं। समूह में चलने और बस आदि में सफर की पाबंदी के बाद भी हाईवे पर सफर करने वालों का नजारा देखने को मिल रहा है। सील सीमाओं पर कुछ समय के लिए वाहनों की आवाजाही की छूट मिलने के बाद हाईवे पर अब ऐसा नजारा दिखाई देने लगा है।

 

गाजियाबाद से लखनऊ जा रही सवारियों से भरी बस को एसीएम प्रथम ने नौबस्ता बाईपास पर रोका और मेडिकल टीम को सूचना दी। सूचना पर पहुंची मेडिकल टीम यात्रियों की जांच की। हापुड़ निवासी बस चालक शहनवाज ने बताया कि गाजियाबाद प्रशासन की अनुमति लेकर लखनऊ, सीतापुर के लिए 27 मार्च को बस निकली थी। एसीएम प्रथम आरपी वर्मा ने पुलिस के साथ बस से यात्रियों को नीचे उतरवाया तो 120 लोगों को देखकर सभी दंग रह गए। डॉ. आलोक निगम, डॉ. राज बहादुर, डॉ. अजित सहित पांच लोगों की टीम ने यात्रियों को धूप में बिठा कर नाम पता व मोबाइल नोट किया और थर्मल टेस्टिंग कराई। यात्रियों ने बताया कि बस के अंदर बैठने वालों से एक हजार से बारह सौ रुपये और छत पर बैठने वालों से छह सौ से आठ सौ रुपये किराया वसूला गया है।