धूमधाम से मनाया जाएगा मखदूम शाह मोहम्मद खादिम का सालाना उर्स

कानपुर,मुजद्दिदे सिलसिला-ए-सफविया हज़रत मखदूम शाह मोहम्मद खादिम सफी मोहम्मदी सफवी,मीनाई,निज़ामी,चिश्ती अलहिर्रहम हर साल की तरह इस साल भी हज़रत मखदूम शाह मोहम्मद खादिम सफी  का सालाना  8 मार्च से 11 मार्च तक  बड़े तीन दिवसीय कार्यक्रम बड़े ही तज़को एहतिशाम के साथ मनाया जाएगा। वाहिद उद्दीन  खादमी  बच्चे ने बताया कि हज़रत मखदूम शाह मोहम्मद खादिम सफी मोहम्मदी अलहिर्रहमा को सिलसिला-ए-सफविया का मुजद्दिद कहा जाता है।आप12रजब,1229 हिजरी को दोशम्बा की रात सफीपुर में पैदा हुए ।आप के वालिद का अताए सफी था ।आप हज़रत हज़रत बन्दगी शाह मुबारक की औलाद में हैं।आप मादरज़ाद वली थे और बचपन से आप की आदतें आम बच्चों से अलग थीं । आपने ज़रूरी तालीम हासिल की और ऐन शरीयत के तलब में मसरूफ रहे।कुरआन मजीद की तालीम हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ मोहद्दिस दहलवी के शागिर्द हज़रत मौलाना चिराग़ अलहिर्रहमा से हासिल की और तसव्वुफ और सुलूक की चन्द किताबें मौलाना हकीम हिदायतुल्लाह सफीपूरी से पढ़ी।शऊर होने के बाद मुर्शिदे कामिल की तलाश हुई, उस वक्त आपके मामूँ हज़रत मखदूम शाह हफीज़ुल्लाह कुदसहू सिर्रहू का फैज़ जारी था।बीस साल की उम्र में आप के हाथ पर बैअत हो गए।मुर्शिदे गेरामी ने तमाम रूहानी नेअमतों से नवाज़ा और इजाज़तो खिलाफत से सरफराज़ फरमाया।खिलाफत के बाद आखिरी वक्त तक सफीपुर से बाहर तशरीफ न ले गए । हमेशा खल्के खुदा को मारिफते इलाही से रोशनास कराया ,नाक़िसों को कामिल और कामिलों को रहनुमा बनाने का काम अंजाम दिया।आपकी वफात 13 रजब सन 1284 हिजरी को हुई और आप सफीपुर ही में मदफून हुए। कानपुर शहर के अलावा कई दिनों से अकीदत मंद पहुंचकर फेज़ पाते हैं मन की मुरादे पूरी होती है लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। सैयद मोहम्मद लायक,नाजिम खादमी,सफवी मुतवलली बड़ी दरगाह सफीपुर मौजूद रहे।