ख्वाजा ग़रीब नवाज़ ने हिन्दुस्तान मे शम-ए-इस्लाम को रोशन किया:मौलाना अकमल अशरफी
------तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने ग़रीब नवाज़ का पहला जलसा कोपरगंज मे हुआ---


कानपुर:सर ज़मीने हिन्द में हज़ारों बरस से माबूदाने बातिल की इबादत हो रही थी, इस ज़मीन की फज़ाओं ने नामे ख़ुदा व रसूल की बरकतों से अपनी समाअत को बहरा वर ना किया था, यहाँ ज़ुल्म, हक़ तल्फी, क़त्ल व ग़ारत गरी को इज़्ज़त और शौकत तसव्वुर किया जाता था

सुल्तानुल हिन्द सरकार ग़रीब नवाज़ ने नबी करीम सल्लललाहु अलैहे वसल्लम के हुक्म पर इस मुल्क मे तशरीफ लाकर इस ज़मीन को जन्नत का निशाँ बनाया

 इन ख्यालात का इज़हार तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम मदरसा रज़विया गौसुल उलूम कोपरगंंज तलव्वा मंडी मे हुए जशने ग़रीब नवाज़ के जलसे से तन्ज़ीम के सरपरस्त-ए-आला मौलाना सैयद मोहम्मद अकमल अशरफी ने किया तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री की सदारत व मौलाना ज़हूर आलम अज़हरी की कयादत मे हुए जलसे को मौलाना ने आगे कहा कि ख्वाजा ग़रीब नवाज़ ने  बातिल परस्ती का किला ढाकर ज़र्रे ज़र्रे को मअरिफते आगाह व हक़ शनास बना दिया, शजरे इस्लाम का बीज बोने के लिये आपको काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, आप और आपके मुरीदीन की मुख़्तसर जमाअत के सिवा सारे दयारे हिन्द में बातिल परस्तों का शोर व ग़ल्बा था, इस अजनबी माहौल में आपने मुख़ालिफत की हवाओं से जब्ले इस्तिक़ामत बन कर मुक़ाब्ला किया आज के पुर फितन दौर में तालीमाते इस्लामिया आम करने और इशाअते दीन के लिये नसीहत का उस्लूब अपनाने की ज़रूरत है, क्यूँकि इस्लाम का पैग़ाम बाहिमी मोहब्बत व उल्फत का फरोग़ और अमन व सलामती की इशाअत है, हमें अस्लाफे अहले सुन्नत के तब्लीग़ी उस्लूब को अपनाना चाहिये, ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ जिन्होंने हिन्दुस्तान में शमए इस्लाम को रौशन किया और इस्लाम के पैग़ाम को आम किया जब हिन्दुस्तान तशरीफ लाए तो अपने साथ लश्करे ज़र्रार, तीर व तलवार लेकर नहीं आए बल्कि अख़्लाक़े अहमदे मुख़्तार अलैहिस्सलाम बुलन्द किरदार और इस्लामी इक़दार लेकर आए आज जो जुल्मो सितम हो रहे हैं दिल्ली की मसाजिदों दरगाह पर जिन दंगाईयों ने नुकसान पहुँचाया है कुरान की बेहुरमती की हमारी माँ बहनो भाईयो के साथ जुल्म किया है उन ज़ालिमो को अल्लाह माफ नही करेगा जल्द ही मजलूमो के साथ अल्लाह इंसाफ करेगा जलसे को मुफ्ती शब्बीर अहमद रज़वी ने कुरान की फज़ीलत पर तकरीर की इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते क़ुरआन पाक से हाफिज़ मोहम्मद फैज़ ने किया और निज़ामत मदरसा के प्रधानाचार्य हाफिज़ वाहिद अली रज़वी ने किया हाफिज़ मोहम्मद साहिल रज़ा,हाफिज़ मोहम्मद रेहान,मोहम्मद तौक़ीर,मोहम्मद मोनिस ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद शीरनी तक़सीम हुई इस मौक़े पर हाफिज़ नूर आलम अज़हरी,हाफिज़ शब्बीर वाहिदी,उरूज आलम,मोहम्मद मुस्तक़ीम आदि लोग मौजूद थे!