सर्दी का कहर हुआ तेज, पांच दशक का टूटा रिकार्ड
- आठ दिनों में दूसरी बार पांच दशक में सबसे ठंढा रहा कानपुर

 

कानपुर । पहाड़ों पर हो रही बर्फवारी का असर मैदानी क्षेत्रों में तेजी से पड़ रहा है। पिछले आठ दिनों गुरुवार को दूसरी बार पांच दशक में कानपुर सबसे अधिक ठंढा रहा और लोग घरों पर दुबकने को मजबूर हो गये। शीतलहर और सर्द हवाओं से कपकपा रहे शहरवासी जगह-जगह अलाव जलाकर सर्दी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। मौसम विभाग का कहना है कि आगामी दिनों में हल्की बारिश की संभावना है, जिससे फिलहाल सर्दी से निजात मिलती नहीं दिख रही है।
पहाड़ों पर हो रही बर्फवारी और सर्द हवाओं ने एक बार फिर से सर्दी के 50 वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। शीतलहर और सर्द हवाओं से कपकपा रहे कानपुर में पिछले आठ दिनों के अंदर ठंड ने दो बार 50 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा है। जिस तरह से ठंड के तेवर बने हुए हैं, उससे फिलहाल राहत के आसार नहीं हैं। ठंड के कहर का आलम यह रहा कि अधिकतम पारा लुढ़ककर 11.4 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। मौसम विभाग ने 31 दिसंबर से तीन जनवरी के बीच हल्की से मध्यम वर्षा का अनुमान जताया है। मौसम विभाग के मुताबिक 1971 के बाद आज के दिन कभी कानपुर इतना ठंड नहीं रहा।
गुरूवार को एक दिन पहले की अपेक्षा कोहरे की चादर तो जरूर कम रही लेकिन शीतलहर और गलन ने हर किसी के हाड़ कंपा दिए। ठंड के इन तेवरों की वजह से सुबह से सड़कों पर सन्नाटा नजर आया। सुबह 11 बजे तक कामकाजी लोगों को छोड़कर अधिकतर लोग अपने घरों में ही दुबके रहे। सड़कों पर जो लोग दिखे, वह अपने-अपने साधनों से अलाव का इंतजाम कर ठंड को दूर करते रहे।
फिर लुढ़का पारा
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. नौशाद खान ने गुरुवार को बताया कि आज कानपुर का अधिकतम तापमान पांच डिग्री लुढ़ककर 11.4 डिग्री सेल्सियस पर जा पहुंचा। यह सामान्य से 10 डिग्री से ज्यादा नीचे है। वहीं न्यूनतम तापमान 7.6 डिग्री सेल्सियस रहा और सुबह की आर्द्रता 89 फीसदी व दोपहर की आर्द्रता 75 फीसदी रही। गौरतलब हो कि बीती 18 दिसंबर को भी अधिकतम पारा लुढ़ककर 12.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि विभाग में 1971 तक के आंकड़े हैं और आंकड़ों के मुताबिक दिसम्बर माह में दो बार अब तक कानपुर सबसे अधिक ठंड रहा।
हवाओं की चाल बदलने से भी नहीं मिली राहत
अभी तक ठंड का कहर उत्तर पश्चिमी हवाओं की वजह से ज्यादा था। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 1971 के बाद से आजतक 26 दिसंबर को इतना कम अधिकतम तापमान नहीं पहुंचा है। हवाओं की दिशा भी बदलकर पश्चिमी से उत्तर पूर्वी हो गई लेकिन शीतलहरी के प्रकोप से राहत नहीं मिल रही है। गुरूवार को 3.3 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली हवाओं से लोग सिहर उठे। वातावरण में नमी का प्रतिशत भी बढ़ गया।
घरों में दुबके रहे लोग
ठंड के इन तेवरों की वजह से अधिकतर लोग घरों में रजाईयों के अंदर दुबके रहे। सुबह के समय ग्रहण की वजह से और ज्यादा सन्नाटा सड़कों पर देखा गया लेकिन इसके बाद भी जिन्हें जरूरी काम था, केवल वही लोग सड़कों पर दिखाई दे रहे थे। घरों से लेकर सरकारी कार्यालयों में हीटर और ब्लोअर के सामने बैठकर कामकाज होता रहा।