मेरी रचना जन-मन की रचना है - डॉ. सूर्यबाला

कानपुर।  डी.ए-वी.कॉलेज के शताब्दी वर्ष में हिंदी विभाग में आयोजित व्याख्यानमाला में मुंबई से पधारी वरिष्ठ कथा लेखिका डॉ. सूर्यबाला ने कहा कि मेरी कहानी मेरी निजी अनुभूतियों से निकली है।  मैंने जहां भी कहीं वेदना और संत्रास देखा वहां सहज ही मेरी लेखनी ने कुछ उकेर दिया। मैंने कभी कोई योजना बध्द लेखन कार्य नहीं किया। कहानी मेरे व्यक्तित्व में रच बस कर स्वत: बोलने लगती है। हिंदी विषय की विभागाध्यक्षा डॉ.रेनू दीक्षित ने कहा कि डी.ए-वी.कालेज अपने शताब्दी वर्ष में आज 'मेरी रचना प्रक्रिया मन से जन तक' विषय पर सूर्यबाला जी का आगमन विभाग के लिए एक महती उपलब्धि है। सूर्यबाला जी की कहानियां हिंदी साहित्य के उच्च सोपान का संचार करती हैं ।

संगोष्ठी में सूर्यबाला की कहानियों के विभिन्न पक्षों का अनुशीलन करते हुए डॉ.शिखा विश्नोई ने कहा कि -सूर्यबाला की कहानियां जन-जन की भाव भंगिमा का दिग्दर्शन कराती है। कार्यक्रम में डॉ.राजेश तिवारी 'विरल' ने काव्य पाठ करके सुर्यबाला जी का अभिनंदन किया। नवोदित कवि डॉ.राजकुमार ने कहा सूर्यबाला जी की रचनाएं सहज एवं सरल हैं जो हृदय पर आंतरिक छाप छोड़ती है । इस अवसर पर डॉ.शोभना कंचन, डॉ.राधा मिश्रा, डॉ.विवेक कुमार, डॉ.नवनीत बाजपेई, डॉ.अनिल सिन्हा, डां. दीपशिखा डॉ.अविनाश मिश्रा डॉ. समर बहादुर आदि मौजूद रहे ।डॉ.दया दीक्षित ने धन्यवाद  दिया और डॉ.प्रदीप कुमार ने संचालन किया।