-उत्तराखंड के देहरादून में स्थित शिक्षा संस्थान में करोड़ों की शुल्क प्रतिपूर्ति डकारने में की गई कार्रवाई
-शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड में फैले हैं कई स्कूलों व तकनीकी संस्थान
-शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड में फैले हैं कई स्कूलों व तकनीकी संस्थान
कानपुर । उत्तर प्रदेश के कानपुर परिक्षेत्र से शिक्षक विधायक (एमएलसी) के रुप में 99 साल तक राज करने वाले स्वरुप परिवार पर एसआईटी का शिकंजा कस गया है। उत्तराखंड की एसआईटी ने गुरुवार को करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले में पूर्व एमएलसी जागेन्द्र स्वरुप के बेटे मानवेन्द्र स्वरुप को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी से शिक्षा जगत में हड़कम्प मच गया है।
शिक्षा के क्षेत्र में स्वरुप घराने का नाम बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है। उनके उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड में कई बड़े कॉलेज, तकनीकी संस्थान शिक्षण कार्य के लिए जाने जाते हैं। यही नहीं इस परिवार को शैक्षिक राजनीति में भी खासा दबदबा रहा और 99 साल तक कानपुर परिक्षेत्र के शिक्षक विधायक के रुप में स्वरुप परिवार ने एकछत्र राज किया। यह अलग बात है कि मोदी लहर के चलते एक दशक तक एमएलसी रहे जागेन्द्र स्वरुप के बेटे मानवेन्द्र स्वरुप उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार अरुण पाठक से हार गए थे। इसके बाद से इस परिवार को बुरा दौरा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। बीते चुनाव में एक बार फिर अरुण पाठक ने पटखनी दी और अब उन्हें करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तारी का मुंह देखने पड़ा।
करोड़ों छात्रवृत्ति घोटाले में हुई मानवेन्द्र की गिरफ्तारी
उत्तराखंड के देहरादून में स्थित स्वरुप घराने का एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज नाम से शिक्षण संस्थान है। संस्थान में मानवेन्द्र स्वरुप संयुक्त सचिव हैं। संस्थान में फर्जी तरीके से छात्र-छात्राओं की संख्या दिखाते हुए सरकार की ओर से दी जाने वाली अनुसूचित जाति जनजाति की छात्रवृत्ति में करोड़ों की हेराफेरी का मामला सामने आया था। जिसको लेकर देहरादून के थाना प्रेमनगर में मुकदमा दर्ज किया गया था। करोड़ों का मामला होने पर इस घोटाले की जांच नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर विशेष अन्वेषण दल (एसआईटी) के द्वारा की जा रही थी। जांच में एसआइटी के अफसरों बैंक डिटेल, यूनीवर्सिटी से प्राप्त इनरोलमेंट नम्बर और रिजल्ट्स और छात्रों के बयानों के आधार पर कई अनियमितताएं किए जाने की पुष्टि हुई। छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े तथ्यों की पूछताछ के लिए उन्हें टीम ने कानपुर से देहरादून बुलाया, उनकी गिरफ्तारी कर ली गई। इस सम्बंध में गुरुवार को देर शाम उत्तराखंड एसआईटी की ओर से जानकारी दी गई है।
कॉलेज के एजेंट ने छात्रों से किया था संपर्क
एसआइटी की जांच में एक और बात सामने आयी, जिसमें कहा गया है कि कॉलेज के कुछ एजेंटों ने गांव आकर छात्रों से संपर्क किया। छात्रों से प्रवेश फॅार्म और अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए। इनमें से कुछ ही छात्र कॉलेज गए थे तथा बाद में कॉलेज छोड़ दिया था। छात्रों को छात्रवृत्ति के संबंध में कोई जानकारी ही नहीं थी। यह बातें छात्रों से जब बयान लिये गए तो एक-एक कर सामने आती गईं। इसी आधार पर एसआइटी का कहना है कि एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने छात्रों का फर्जी प्रवेश दर्शाकर छात्रवृत्ति की धनराशि का गबन किया। कोर्ट से मानवेंद्र स्वरूप के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी लिया गया।
एसआइटी की जांच में यह मिली अनियमितताएं
- एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज को वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक कुछ छात्रवृत्ति 4,31,99,000 प्राप्त हुई।
- शैक्षणिक संस्थान ने भारी मात्रा में प्रवेश दर्शाकर छात्रों के नाम से छात्रवृत्ति प्राप्त की लेकिन इनमें से अधिकतर छात्रों का संबंधित विश्वविद्यालय या बोर्ड में इनरोलमेंट दर्ज नहीं था, इसके अलावा अधिकांश छात्र अनुत्तीर्ण पाए गए।
- बहुत अधिक संख्या में प्रथम वर्ष में फेल छात्रों को द्वितीय वर्ष में दिखाकर फिर से छात्रवृत्ति पायी गई।
- अधिकांश छात्र जिनका प्रवेश संबंधित संस्थान में दर्शाया गया वे तत्कालीन समय में अन्य शैक्षणिक संस्थान में कुछ और कोर्स कर रहे थे।
शिक्षा के क्षेत्र में स्वरुप घराने का नाम बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है। उनके उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड में कई बड़े कॉलेज, तकनीकी संस्थान शिक्षण कार्य के लिए जाने जाते हैं। यही नहीं इस परिवार को शैक्षिक राजनीति में भी खासा दबदबा रहा और 99 साल तक कानपुर परिक्षेत्र के शिक्षक विधायक के रुप में स्वरुप परिवार ने एकछत्र राज किया। यह अलग बात है कि मोदी लहर के चलते एक दशक तक एमएलसी रहे जागेन्द्र स्वरुप के बेटे मानवेन्द्र स्वरुप उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार अरुण पाठक से हार गए थे। इसके बाद से इस परिवार को बुरा दौरा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। बीते चुनाव में एक बार फिर अरुण पाठक ने पटखनी दी और अब उन्हें करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तारी का मुंह देखने पड़ा।
करोड़ों छात्रवृत्ति घोटाले में हुई मानवेन्द्र की गिरफ्तारी
उत्तराखंड के देहरादून में स्थित स्वरुप घराने का एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज नाम से शिक्षण संस्थान है। संस्थान में मानवेन्द्र स्वरुप संयुक्त सचिव हैं। संस्थान में फर्जी तरीके से छात्र-छात्राओं की संख्या दिखाते हुए सरकार की ओर से दी जाने वाली अनुसूचित जाति जनजाति की छात्रवृत्ति में करोड़ों की हेराफेरी का मामला सामने आया था। जिसको लेकर देहरादून के थाना प्रेमनगर में मुकदमा दर्ज किया गया था। करोड़ों का मामला होने पर इस घोटाले की जांच नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर विशेष अन्वेषण दल (एसआईटी) के द्वारा की जा रही थी। जांच में एसआइटी के अफसरों बैंक डिटेल, यूनीवर्सिटी से प्राप्त इनरोलमेंट नम्बर और रिजल्ट्स और छात्रों के बयानों के आधार पर कई अनियमितताएं किए जाने की पुष्टि हुई। छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े तथ्यों की पूछताछ के लिए उन्हें टीम ने कानपुर से देहरादून बुलाया, उनकी गिरफ्तारी कर ली गई। इस सम्बंध में गुरुवार को देर शाम उत्तराखंड एसआईटी की ओर से जानकारी दी गई है।
कॉलेज के एजेंट ने छात्रों से किया था संपर्क
एसआइटी की जांच में एक और बात सामने आयी, जिसमें कहा गया है कि कॉलेज के कुछ एजेंटों ने गांव आकर छात्रों से संपर्क किया। छात्रों से प्रवेश फॅार्म और अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए। इनमें से कुछ ही छात्र कॉलेज गए थे तथा बाद में कॉलेज छोड़ दिया था। छात्रों को छात्रवृत्ति के संबंध में कोई जानकारी ही नहीं थी। यह बातें छात्रों से जब बयान लिये गए तो एक-एक कर सामने आती गईं। इसी आधार पर एसआइटी का कहना है कि एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने छात्रों का फर्जी प्रवेश दर्शाकर छात्रवृत्ति की धनराशि का गबन किया। कोर्ट से मानवेंद्र स्वरूप के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी लिया गया।
एसआइटी की जांच में यह मिली अनियमितताएं
- एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज को वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक कुछ छात्रवृत्ति 4,31,99,000 प्राप्त हुई।
- शैक्षणिक संस्थान ने भारी मात्रा में प्रवेश दर्शाकर छात्रों के नाम से छात्रवृत्ति प्राप्त की लेकिन इनमें से अधिकतर छात्रों का संबंधित विश्वविद्यालय या बोर्ड में इनरोलमेंट दर्ज नहीं था, इसके अलावा अधिकांश छात्र अनुत्तीर्ण पाए गए।
- बहुत अधिक संख्या में प्रथम वर्ष में फेल छात्रों को द्वितीय वर्ष में दिखाकर फिर से छात्रवृत्ति पायी गई।
- अधिकांश छात्र जिनका प्रवेश संबंधित संस्थान में दर्शाया गया वे तत्कालीन समय में अन्य शैक्षणिक संस्थान में कुछ और कोर्स कर रहे थे।