वाजिद अली शाह साबिरी रहमानी नकश्बन्दी रह. के 53वें उर्स शरीफ के मौके पर तरही नातिया मुशायरा आयोजित 


गुरसहायगंज (कन्नौज)। अल्ताफ जिया मालेगांव ने कहाकि जमीं पर बज्में नबी जब सजाई जाती है, खुदा वाहिश्ते जमी पर उतार देता है, दुरूद पढते रहो रोज सब मुस्लमानों, दुरूद पाक मुकददर सवांर देता है। दिलों का मैल मिटाओं नवी का जिक्र करो, नवी का जिक्र दिलों को निखार देता है। अली का जिक्र भी अपनी जगह है ऐ लोगों नवीं का जिक्र दिलों को निखार देता है, उसी को रहमते आलम बना दिया रब ने, जो दुश्मनों को दुआयें बेशुमार देता है। इस दौरान सैकड़ों अकीदतमंदों ने पूरी रात तकरीर, नातिया पाक को  सुना। 


रविवार की देर रात नगर के तिर्वा रोड  स्थित एक मिनारा मस्जिद आजमी अंजुमन मुस्लमीन कमेटी की और से हजरत किबला वाजिद अली शाह साबिरी रहमानी नकश्बन्दी रहमत उल्लाह अलैह के 53वें उर्स शरीफ के मौके पर आयोजित तरही नातिया मुशायरा में नगर सहित दूर दराज के  सैंकड़ों लोगों ने शिरकत फरमाई। सूफी व सफा हजरत अलहाज मो- आजम मियाँ साहब किबला की सरपरस्ती में मो0 उवैश मियांसाहब व कमेटी के लोगों ने फीता काटकर नातिया मुशायरें का शुभारम्भ किया।


उन्होने कहाकि हर कीमत पर बच्चों को दीनी तालीम दिलाना हम सब की जिम्मेदारी है। मदरसों में अधिक से अधिक चंदा दे जिससे दीनदारों का मनोबल बढे। कार्यक्रम का संचालन कर रहे जनाब नदीम फर्रूख ने उन्होने कहाकि जो डूबना है तो इतने सुकून डूबो, कि आसपास की लहरों को भी पता न चले। नदीम फर्रूख ने कहाकि मेरी मुठठी में कुछ राख उनके आंस्ताने की, जमाना अब करे हिम्मत मुझसे नजरे मिलाने की, मै मर जाऊ तो खाके मदीना मुंह पर मल देना, यही बस एक सूरत है मुझे आजमाने की।


गुरसहायगंज के मशहूर शायर तरीक भाई तरीक व वसीम रामपुरी, खुर्शीद हैदर मुजफ्फरनगर ने भी कलाम और शायरी पढकर लोगों को वाह-वाह करने पर मजबूर कर दिया। प्रदेश के दूर दराज क्षेत्रों से आये शायरों ने पूरी रात नातिया मुशायरे में शमा बांधी और नवी की शहादत को ताजा किया। इस दौरान शहर काजी हाफिज जुम्मन, समाजसेवी आसिफ जमा खां पप्पी, कमेटी सदर फसीउददीन,  मुकीम खां, गुडडू नम्बरदार, प्रधान राशिद जमाल, शाहनवाज सिददीकी, फवैद हुसैन, शहनिगार सिददीकी, अरशद, रहमुददीन, रौनक, मीडिया प्रभारी शकील अहमद, मुनीर कुरैशी, सलीम खां, अतीक खां, तालिब खां सहित हजारों अकीदतमंद मौजूद रहे।