टाइफाइड एवं डेंगू बुखार पर एक संगोष्ठी का आयोजन



कानपुर, भारतीय बाल रोग एकेडमी द्वारा एक होटल में टाइफाइड डेंगू बुखार पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया! कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ विवेक सक्सेना डॉ0 प्रदीप भट्टू डॉक्टर यसवंत राव ने अपने व्याख्यान दिए! डॉ विवेक सक्सेना ने बताया कि टाइफाइड एक प्रकार का बुखार है जो दूषित पानी से नहाने का प्रदूषण का प्रयोग भोजन करने से होता है। 

सालमोनेला बैक्टीरिया द्वारा फैलता है चिड़ियाखाना पानी के जरिए मनुष्य द्वारा ही एक जगह से दूसरी बसता है वह कई बार मौसम बदलाव भी इस बुखार का कारण बनता है इतना ही नहीं अगर घर में किसी एक सदस्य को टाइफाइड होता है तो अन्य सदस्यों को भी इससे होने का खतरा होता है इसलिए बेहद सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है टाइफाइड बुखार में साफ सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए टाइफाइड की टीके उपलब्ध हैं पर डेंगू के टीके पर शोध चल रहा है इसके अगले वर्ष तक आने की संभावना है। 

डॉ प्रदीप भट्टू ने बताया कि डेंगू मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है काटे जाने के करीब 3 से 5 दिन के बाद मरीज में डेंगू के लक्षण दिखने लगते हैं शरीर में कीमिया 3 से 10 दिन तक भी हो सकती है डेंगू तीन तरह का होता है कर्मचा एक क्लासिक साधारण डेंगू बुखार डेंगू हैमैरिज बुखार डेंगू शॉक सिंड्रोम डॉ यशवंत राव ने बताया कि इन तीन डेंगू बुखार से डेंगू हेमरिजक बुखार व डेंगू सेक्सी डॉग सबसे ज्यादा खतरनाक होता है साधारण डेंगू बुखार में जान जाने का खतरा नहीं होता है लेकिन अगर किसी को डेंगू हेमरेजिक या डेंगू शॉक सिंड्रोम है इलाज शुरू नहीं किया गया तो जान जा सकती है। 

इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है हेमरेजिक और डेंगू है या नहीं। कार्यक्रम में डॉ0 जे0के0 गुप्ता डॉ0अनुराग भारतीय डॉक्टर आरसी गुप्ता डॉ0शीला तिवारी आदि लोग उपस्थित रहे।