मोहब्बते रसूल ही हमारी बख्शिश का अस्ल सामान:मौलाना हस्सान क़ादरी
-तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम जशने आमदे रसूल का पाँचवां जलसा सकेरा स्टेट मे हुआ

 

कानपुर:यह लाज़मी है कि इंसान किसी ना किसी से मोहब्बत ज़रूर करेगा, अब वह चाहे इकतिदार की चाहत में पागल हो जाए या वह हुस्ने इंसान के अंदर पिघलता रहे दौलत का पुजारी बन कर उसकी चाह में अपने लैल व नहार गुज़ारता रहे, उसकी कोई ना कोई ख़्वाहिश ज़रूर होगी, उसका दिल किसी ना किसी चीज़ की मोहब्बत से लबरेज़ रहेगा।  मोहब्बत के बग़ैर किसी का छुटकारा नहीं, यह दिल ज़रूर किसी ना किसी के लिये तड़पेगा।

लेकिन इसी दिल को सियासत की मोहब्बत, दुनिया की लालच, दौलत के खिंचाव की जगह मोहब्बते रसूल से भर लो। क्यूँकि यह वह मोहब्बत है जिसका करने वाला कभी ख़सारे में नहीं रहेगा और उसका दिल नूरे इलाही से कभी ख़ाली ना होगा इन ख्यालात का इज़हार तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम अनवरगंज सकेरा स्टेट मे हुए जशने आमदे रसूल के पाँचवें जलसे मे तन्ज़ीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी ने किया तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री की सदारत मे हुए जलसे को मौलाना ने आगेे कहा कि अस्हाबे रसूल में एक बड़े ख़ुश नसीब सहबी हैं जिनका नाम उमैर बिन असद है, जब यह छोटे बच्चे थे तो इनका चचा जुल्लास (जो कि मुनाफिक़ था) अकसर इनहें लेकर बारगाहे रसूल में हाजिर होता। 

एक बार उमैर अकेले बारगाहे रसूल में हाजिर हुए और महफिल में बैठ कर हुज़ूर के फरमूदात सुने, आकर पूरी तक़रीर बयान की तो जुल्लास ने नबी की शान मे तौहीनी जुम्ले बोले इस पर उमैर जो छोटे बच्चे थे लेकिन ईमान के बड़े पुख़्ता थे, आकर अपने चचा की शिकायत रसूले अरबी से कर दी, सरकार ने अपने सहाबा से सारी बात बताई तो सहाबा ने अर्ज़ की हुज़ूर यह बच्चा है और जुल्लास तो हमारे साथ नमाज़े पढ़ता है, लिहाज़ा आप इस बच्चे की बात को नज़र अंदाज़ कर दें। 

जब उमैर ने यह सुना तो रोने लगे और हाथ रब की बारगाह में उठा कर दुआ की कि मौला अगर मैं झूटा हूँ तो मुझे झूटा ही करदे और अगर मैं सच्चा हूँ तो मेरी सच्चाई साबित कर। इतने में हज़रते जिब्रील आ गए और अर्ज़ की हुज़ूर अल्लाह फरमाता है कि जुल्लास झूटा है (जो आपका कल्मा पढ़ कर भी दिल में निफाक़ रखता है) और उमैर सच्चा है

सरकार ने फरमाया कि उमैर तेरी सच्चाई का एलान तो रब्बे काबा ने फरमा दिया

हम भी अगर सच्चे दिल से नबी की मोहब्बत को दिल में बसा लें तो यक़ीनन यही हमारी बख्शिश का सामान और महबूबे ख़ुदा बनने का ज़रिया होगी इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते क़ुरान पाक से क़ारी मोहम्मद आदिल अज़हरी ने किया और सैयद सुहैल अज़हरी ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद शीरनी तक़सीम की गई इस मौक़े पर हाफिज़ नदीम अज़हरी,हाफिज़ सादिक़ वाहिदी,अयाज़ क़ाज़ी,ज़मीर खाँ आदि लोग मौजूद थे।