कानपुर:वलियो के ताजदार सरकार गौस-ए-आज़म शेख मुहीउद्दीन अब्दुल क़ादिर जीलानी हसनी हुसैनी रजि अल्लाहु अन्हु की बारगाह मे खिराजे अक़ीदत पेश करने के लिए तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत के ज़ेरे एहतिमाम छठा सालाना 11 रोज़ा जशने गौसुलवरा व इस्लाहे मआशरा का दूसरा जलसा मस्जिद नूरी नियर थाना बजरिया बकरमंडी मे हुआ जिसकी सदारत तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सय्यद मोहम्मद फ़ैसल जाफ़री ने की मस्जिद के पेश इमाम मौलाना शाह आलम क़ादरी ने खिताब फरमाते हुए कहा कुराने पाक वह किताब है जो सबसे ज़्यादा पढ़ी जाती है नमाज़ मे कुरान की तिलावत फातिहा मे कुरान की तिलावत की जाती है इसका सुन्ना, सुनाना,देखना यह सब इबादत है सरकार गौसे आज़म रजि अल्लाहु अन्हु ने 17 साल तक बाद नमाज़े इशा से एक पैर से खड़े होकर पूरी रात मे कुरान मुकम्मल कर लेते थे एक बार गौसे आज़म मदरसा से घर को आए आपकी वालिदा उस वक्त घर मे नही थी तो आप घबराकर घर की छत पर चले गए वह दिन ईदुल अज़हा (बक़रीद) की 9 तारीख का था जिस दिन हज होता है जब वह काबा शरीफ की जानिब हुए तो क्या देखते है कि खाना-ए-काबा बिल्कुल क़रीब से नज़र आ रहा है जबकि बगदाद शरीफ से खाना-ए-काबा की दूरी कई सौ किलो मीटर की है गौसे आज़म फरमाते है जब तक मेरा एक एक मुरीद जन्नत मे नही चला जाएगा जब तक अब्दुल क़ादिर जन्नत मे नही जाएगा मौलाना आदिल रज़ा अज़हरी ने खिताब फरमाते हुए कहा कि एक औरत अपने लड़के को लेकर सरकारे ग़ौसे आज़म रजि अल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाजिर हुई और अर्ज़ की हुज़ूर मेरा बेटा आपसे बे पनाह मोहब्बत करता है आप उसे अपनी खिदमत में रख लें।
आपने उसकी इस इल्तिजा को क़ुबूल फरमा लिया और उसके बेटे को चंद अज़कार और रियाज़त का हुक्म फरमाया
कुछ दिनों के बाद वह औरत अपने बेटे को देखने आई तो उसकी हैरत की इन्तिहा ना रही, देखा कि उसका बेटा बड़ा दुब्ला हो गया है और जौ की रोटी खा रहा था।
वह औरत आपके हुजरे में दाखिल हुई तो इत्तेफाक़ से उस वक़्त आप भी खाना तनावुल फरमा रहे थे, आपके सामने एक भुनी हुई मुर्ग़ी रखी थी जिसमें से आप कुछ खा चुके थे और उसकी हड्डियाँ क़रीब ही रखी थीं।
औरत से सब्र ना हुआ और कहने लगी कि आप तो मुर्ग़ी खा रहे हैं और मेरे बेटे को जौ की रोटी खिला रहे हैं
यह सुन कर आपने अपना दस्ते अक़दस मुर्ग़ी की हड्डियों पर फेर कर फरमाया,, क़ुम बिइज़्निल्लाह,, (अल्लाह के हुक्म से जिन्दा होजा)
आपके इतना फरमाते ही हड्डियाँ गोश्त में और गोश्त मुर्ग़ी में बदल गईं, यह देख कर वह औरत हैरत में पड़ गई, तो आपने फरमाया जिस दिन तेरा बेटा इस लाएक़ हो जाएगा उस दिन वह जो चाहे खाए
वह औरत शरमिंदा हुई और वापस चली गई यह गौसे आज़म का मर्तबा है इससे पहले जलसे का आगाज़ तिलावते क़ुरान पाक से कारी मोहम्मद शमशाद आलम ने किया और हाजी इकरामुद्दीन ने नात पाक पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद शीरनी तक़सीम की गई इस मौक़े पर मौलाना फहीमुद्दीन,अब्दुल बारी,हाजी आलमगीर,हाजी दिलशाद,हाजी मुख्तार,हाजी पीरू,हयात ज़फर हाशमी आदि लोग मौजूद थे।