इंसान को बेदार तो हो लेने दो, हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन

- मजलिस व मातम के बीच चुप ताजिया जुलूस कर्बला में समाप्त 
- सुरक्षा के मद्देनजर बड़े पैमाने पर मुस्तैद रहा पुलिस बल 



चुप ताजिया जुलूस में मजलिस को खेताब करते मौलाना।


फतेहपुर। असीराने कर्बला की याद में शहर के कजियाना मुहल्ला से चुप ताजिया जुलूस रविवार को उठाया गया। जो अपने निर्धारित मार्गों पर मजलिस व नौहा ख्वानी के बीच गश्त करता हुआ कर्बला में शाम को समाप्त हो गया। जुलूस को लेकर प्रशासन व पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये थे। दौरान जुलूस पुलिस के जवान मुस्तैद रहे। कर्बला में जुलूस समाप्त हो जाने पर ही प्रशासन ने चैन की सांस ली। 
पिछले वर्षों की भांति इस साल भी असीराने कर्बला की याद में कजियाना मुहल्ला से जुलूस चुप ताजिया इमाम आली मुकाम सैय्यदना हजरत इमाम हुसैन अलै0 के 72 साथियों को कर्बला के मैदान में तीन दिन भूखा व प्यासा शहीद कर दिया गया था और उनके परिवार की औरतों व बच्चों को यजीदी फौज ने कैद कर सीरिया के शाम में एक साल तक कैद रखा। एक साल बाद लुटा हुआ काफिला शाम से छूटकर मदीने आया। उसी लुटे हुए काफिले की याद में हर वर्श कजियाना मुहल्ला चूड़ी वाली गली स्थित बारगाह मरहूम मुख्तार नकवी से निकाला जाता है। रविवार को प्रातः साढ़े आठ बजे जुलूस निकलकर निर्धारित रास्तों से होता हुआ मुस्लिम चैक, एमआईसी स्कूल के रास्तों से होकर बिन्दकी बस स्टाप के निकट कर्बला में समाप्त हो गया। जुलूस में सभी मजहब व मिल्लत के लोगों ने शिरकत कर इमाम आली मकाम को खेराज-ए-अकीदत आंसुओं के बीच पेश की। जुलूस में जाकिरे अहलेबैत जनाब यावर मेंहदी एडवोकेट ने यजीदी जुल्म की दास्तान को बयान किया। दलालों की मस्जिद के पास इमाम जुमा व जमाअत मौलाना सै0 जावेद अली जौनपुरी ने आतंकवाद के खिलाफ बोलते हुए कहा कि इस्लाम धर्म में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। इस्लाम अमन और आतिशी का मजहब है। यजीद के आतंकवाद के खिलाफ यह जुलूस ताजिया अलम विरोध प्रकट करने के लिए सड़कों पर लाते हैं। ताकि आतंकवादी प्रवृत्ति के लोग यजीद के अनुयायी पहचाने जाएं। जो लोग इस्लाम के नाम पर बेगुनाह लोगों का खून बहाते हैं। उनका इस्लाम से कोई सरोकार नहीं है। ऐसे लोग इस्लाम को बदनाम करने के लिए चेहरा लगाकर आये हैं। ऐसे लोगों से मुसलमानों को होशियार रहने की जरूरत है। कानपुर से पधारे मौलाना सै0 अब्बास हैदर ने भी आतंकवाद के खिलाफ अलम व ताजिये को जुलूस का सबब बताया। उन्होने कर्बला में ढहाये गये जुल्म की दास्तान को भी बयान किया। मौलाना ने कहा कि हजरत हुसैन वारिसे रसूल थे। इसलिए उन्होने अपने नाना के दीन को बचाने के लिए अपना घर-बार लुटा दिया। हक और अहिंसा की ऐसी मिसाल दुनिया कभी न ला सकेगी। महात्मा गांधी ने अहिंसा का सबक कर्बला से सीखा है।  इसी तरह ऊंची मस्जिद के पास जुलूस को सम्बोधित करते हुए मौलाना सैय्यद सलमान अली नजफी ने इस्लाम व उसके वसूलों पर अपनी तकरीर पेश की। कहा कि कर्बला ने हक व सदाकत पर चलने का संदेश दिया। रायल टेलर व दहाना की बिल्डिंग के पास सै0 फिरोज हैदर साहब कानपुर व अल्लामा शब्बीर वारसी साहब लखनऊ ने भी कर्बला के मंजर पर विस्तार से रोशनी डाली। जिसे सुनकर लोगों की आंखे नम हो गयीं। उन्होने अपनी तकरीर ने कहा कि यजीद एक राक्षस था। जो आतंकवाद के बल पर इस्लाम धर्म को मिटाना चाहता था। जिसे इमाम हुसैन ने अपना व अपने साथियों का खून देकर हमेशा के लिए बचा लिया। उन्होने कहा कि यह मस्जिदें, ये नमाजे, ये आबिदों की सफे मेरे हुसैन का सदका दिखाई देता है। एमआईसी मैदान के पास से अंजुमन-ए-जाफरिया व अब्बासिया ने नौहा ख्वानी व सीनाजनी करके अलविदाई नौहा पढ़कर जुलूस को कर्बला में समाप्त किया। पूरे जुलूस में या हुसैन की सदाएं फिजा में गूंजती रहीं। जुलूस में इंसान को बेदार तो हो लेने दो हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन की आवाजें भी बुलन्द होती रहीं। जुलूस का इंतजाम मुतवल्ली सैय्यद कसीम अब्बास नकवी ने किया। उनके सहयोग में मो0 मुख्तार नकवी ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जुलूस में सैय्यद नाजिश रजा एडवोकेट, सै0 शिराज हैदर अली, शकील मेंहदी, फैयाज अख्तर, अफरहत अली, मो0 अकबर, अब्बास नकवी, शोएब हसनी, मेंहदी नकवी, रेहान नकवी शरीक रहे। अंत में चुप ताजिया जुलूस निगरा कमेटी के संयुक्त सचिव सैय्यद मो0 मुख्तार नकवी ने प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग की प्रशंसा करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया।