हुज़ूर शेरे नेपाल के विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत ने ताजियत पेश की
कानपुर:शेरे नेपाल,फख्रे अहले सुनन,आशिक़े मुस्तफा,अता-ए-ग़ौसो ख्वाजा,पैकरे इल्मो फन,मुर्शिदे बरहक़,ख़लीफए हुज़ूर सय्यिदुल उल्मा व अहसनुल उल्मा शेरे नैपाल हज़रते अल्लामा मुफ्ती जैश मोहम्मद बरकाती अलैहिर्रहमा के विसाल पर तन्ज़ीम बरेलवी उलमा-ए-अहले सुन्नत की एक ताजियती मीटिंग चमनगंज स्थित तन्ज़ीम के कार्यालय मे तन्ज़ीम के सदर हाफिज़ व क़ारी सैयद मोहम्मद फ़ैसल जाफरी की सदारत मे हुई जिसमे हज़रत के इंतक़ाल पुर मलाल पर गहरे रंजो ग़म का इज़हार किया गया तन्ज़ीम के मीडिया इंचार्ज मौलाना मोहम्मद हस्सान क़ादरी ने कहा कि  आपकी विलादत 25 सफर 1362 हिजरी को मक़ामे लोहना  (नैपाल) में हुई।

आपने हाफिज़ व क़ारी की सनद पाने के बाद आलिम व मुफ्ती होने का शर्फ हासिल किया।

बादे फराग़त दारुल उलूम अलीमिया मक़सूद पुर (बिहार) और जामिया इस्लाहुल मुस्लिमीन जनक पुर (नैपाल) में काफी अर्सा तदरीस की खिदमात अंजाम दीं।

अपने क़ीमती औक़ात में दर्स व तदरीस के अलावा तस्नीफी और तब्लीग़ी कामों को भी अंदाम देते रहे।

आपकी तस्नीफ कर्दा कुछ किताबें यह हैं-

फतावा बरकात

शाने मुस्तफा

अहसनुल कलाम

बद मज़हबों के पीछे नमाज़ का हुक्म

तोहफए बरकात

इसके अलावा हज़रते मौसूफ ने कई दारुल इफ्ता, दारुल क़जा, मसाजिद व मदारिस की तामीर व तौसीअ के अज़ीम कारनामे अंजाम दिये। 

हज़रते मौसूफ को सिलसिलए आलिया क़ादरीया बरकातिया की इजाज़त हुज़ूर सय्यिदुल उल्मा व हुज़ूर अहसनुल उलेमा से हासिल थीं और हुज़ूर हाफिज़े मिल्लत,हुज़ूर आले रसूल नजमी मियाँ,हुज़ूर ताजुश्शरीया और हुज़ूर मुहद्दिसे कबीर जैसे अकाबरीन से खूब फैज़ हासिल किया। 

तालीमी इदारों और तलबा से बे पनाह मोहब्बत फरमाते थे, जामिया अशरफुल उलूम  (बिहार), दारुल उलूम अलीमिया मक़सूद पुर, मनज़रे इस्लाम बरेली शरीफ से आपकी ज़ाते वाला तबार को बड़ी क़ुरबत थी।

आप बड़ी ही पाकीज़ा सीरत व सूरत के मालिक थे, मुल्क व बैरूने मुल्क आपके मुरीद व उश्शाक़ की काफी तादाद है, नमाज़, रोज़ा, सिला रहमी, ख़ंदा पेशानी, मख़्लूक़े ख़ुदा से मोहब्बत व मुरव्वत आपकी पाकीज़ा तबीअत में शामिल थीं।

लेकिन हुज़ूर शेरे नैपाल मर्ज़ में मुब्तला ज़ेरे इलाज रहते आलमे दुनिया से आलमे बक़ा की जानिब 27 रबीउल अव्वल शरीफ 1441 हिजरी को हम सबको रोता बिलकता छोड़ कर अपने मालिके हक़ीक़ी से जा मिले।

आपने अपने पीछे 5 शहज़ादे और 2 शहज़ादियाँ छोड़ीं, जिनमें आपके जानशीन हज़रते अल्लामा मुफ्ती जियाउल मुस्तफा अज़हरी हैं।

अल्लाह करीम हुज़ूर शेरे नैपाल के दरजात को ख़ूब बुलंद करे, अहले ख़ाना को सब्र व तहम्मुल के साथ हम बदकारों को उनका नेमल बद्ल नसीब फरमाए और उनकी तुरबत पर क़यामत तक अपने अनवार की बारिशें बरसाए।

तन्ज़ीम के सरपरस्त मौलाना नय्यरूल क़ादरी,क़ारी इम्तियाज़ अहमद क़ादरी,हाफिज़ असरार अहमद रज़वी,मौलाना मुहिब रज़ा हबीबी,मौलाना शाह आलम क़ादरी,मौलाना ज़हूर आलम,हाफिज़ फुज़ैल रज़वी,क़ारी आदिल अज़हरी,हाफिज़ शौकत अज़हरी,हयात ज़फर हाशमी,वसीमुल्लाह रज़वी,हाजी हस्सान अज़हरी,तन्वीर रज़ा बेग,हैदर अली,जियाउद्दीन अज़हरी,अहमद रज़ा अज़हरी,अब्दुस्सलाम,ज़मीर खाँ,इक़बाल मीर खाँ,रईस पहलवान,मोहम्मद मोईन जाफरी ने भी शेरे नेपाल के इन्तेक़ाल पुर मलाल पर गहरे रंजो ग़म का इज़हार किया है।