एनसीआर के बाद कानपुर के भी हुए हालात खराब, प्रदूषित धुंध से लोग हलाकान
 


- शहरवासियों का घरों से बाहर निकलना हुआ दूभर, दमा रोगियों की संख्या में हुआ इजाफा

कानपुर । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर के बाद औद्योगिक नगरी कानपुर के वातावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। सोमवार को वातावरण में प्रदूषित धुंध इस कदर बढ़ गयी कि लोग घरों से बाहर निकलने से पहले सौ बार सोचने को मजबूर हो गये। बाहर निकलते ही लोगों को बेचैनी महसूस हो रही है और दमा के रोगियों का तो कुछ पूछना ही नहीं है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक कानपुर का वायु गुणवत्ता स्तर (एयर क्वालिटी इंडेस्क) 491 पर पहुंच गया और पीएम 2.5 426 के स्तर तक पहुंच गया। जिससे सड़कों पर विजिबिलिटी भी प्रभावित हो रही है। 
कानपुर के वातावरण में दो दिनों से लगातार नमी बनी हुई है और नमी बढ़ने के चलते वायुमण्डल की सबसे निचली परत में गैसों की चादर सी बन गयी है। सड़कों पर उड़ती धूल, धुआं और कूड़ा जलने से वायुमण्डल में हानिकारक गैसों का घनत्व बढ़ता ही जा रहा है। जिससे सोमवार को कानपुर की हवा और ज्यादा जहरीली हो गयी और लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि सड़कों पर निकलने के लिए पहले मॉस्क लगा रहे हैं फिर भी उनका धुंध के चलते सिर दर्द हो रहा है। वातावरण में छाई धुंध के चलते विजिबिलिटी प्रभावित हो रही है और वाहन चालक वाहनों को सावधानी पूर्वक चला रहे हैं। 


चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. नौशाद खान ने बताया कि बारिश से सड़कें टूट चुकी हैं और उनसे धूल शहर में बराबर बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही किसानों द्वारा पराली भी बराबर जलायी जा रही है जो धुंध के रुप में वातावरण में देखने को मिल रही है। वातावरण में दो दिनों से नमी बढ़ी है जिससे हानिकारक कण निचली परत में ही रुक जाते हैं और इसी के चलते कानपुर में भी हालत खराब हो गये हैं। बताया कि आगामी दिनों में हवा की रफ्तार तेज होने की संभावना है, जिससे हानिकारण कण ऊपरी भाग की ओर बढ़ेगें तभी लोगों को इस प्रदूषित धुंध से निजात मिल सकती है। 
426 के स्तर पर पहुंचा पीएम
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सोमवार को जो आंकड़े जारी किया उससे साफ जाहिर होता है कि शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 451 के स्तर पर जा पहुंचा है। इसी तरह पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5), नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड की मात्रा मानक से कई गुणा अधिक पहुंच गई है। पर्टिकुलेट मैटर यानि पीएम 2.5 भी बहुत ज्यादा बढ़कर 426 के स्तर तक पहुंच गया। एनओटू 78, एसओटू 12 तक पहुंचा बताया गया। इसकी वजह से सुबह से वायुमंडल में स्मॉग का कहर छाया रहा। 
सांस के मरीजों की संख्या में हुआ इजाफा
शहर के प्रदूषण ने सांस के रोगियों को सबसे ज्यादा बेहाल कर रखा है और अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या में बराबर इजाफा हो रहा है। मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल के डा. सुधीर चौधरी ने बताया कि यह मौसम सांस के रोगियों को परेशान करता है। इन दिनों वातावरण में धुंध बढ़ने से कुछ मानसिक रुप से सांस रोगी बन रहे हैं। जिनकी जांच कर उनका मॉटिवेशन किया जा रहा हे। इसके साथ ही मौसम के बदले मिजाज को देखते हुए अस्पताल में सभी व्यवस्थाएं चुस्त दुरुस्त हैं। चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि जिस तरह का शहर में वातावरण बना हुआ है उसको देखते हुए दमा के मरीजों को प्रयास करना चाहिये कि घरों से बाहर कम निकले। जब भी बाहर निकले मॉस्क लगाकर ही चलें। इसके साथ ही थोड़ी सी भी अगर तकलीफ बढ़े तो तत्काल डाक्टरों से संपर्क करें।
सख्त नजर आये नगर आयुक्त
शहर में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए नवनियुक्त आईएएस नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी के तेवर काफी तल्ख दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने सख्त निर्देश दिया है कि शहर में कहीं भी कूड़ा जलाया गया तो संबंधित के खिलाफ पांच हजार का जुर्माना लगाया जाये। इसके साथ ही सड़कों पर ईंट मौरंग रखने पर 50 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा। 
शुरु हुआ पानी का छिड़काव
वातावरण में बढ़ते धुंध व प्रदूषण से शहरवासी परेशान है और हालात बद से बदतर होता देख विभागों के अधिकारियों की नींद खुल गयी है। नगर निगम और जलकल विभाग ने शहर के पेड़ों पर पानी का छिड़काव शुरु कर दिया है। जलकल सचिव आरबी राजपूत ने बताया कि 10 दिनों तक अभियान चलाकर वातावरण में बढ़े प्रदूषण को कम करने का प्रयास किया जाएगा।