बज़रिया चौराहा कर्नल गंज में जलसा सीरतुन्नबी व अज़मते सहाबा का आयोजन


कानपुर :- हज़रत मुहम्मद स.अ.व. रहमतुल्लिलआलमीन हैं, आप पूरी इंसानियत के लिये रहमत हैं, बहैसियत उम्मती हर इंसान को बिना भेदभाव इसका फायदा पहुंचाना और उसकी खैर-ख्वाही और उसकी हमदर्दी और उसके काम आना यह हमारी ज़िम्मेदारी है। दोस्त के साथ भी दुष्मन के साथ भी सबसे बड़ी भलाई और खैर-ख्वाही यह है कि आखिरत(परलोक) में उसको जहन्नम(नर्क) से बचाकर उसको जन्नत(स्वर्ग) में ले जाया जाये। उपरोक्त विचारों को अन्जुमन नौजवानाने मदनी कर्नल गंज के ज़ेरे एहतमाम बज़रिया चौराहा कर्नल गंज में आयोजित जलसा सीरतुन्नबी व अज़मते सहाबा से खिताब करते हुए क़ाजी ए शहर कानुपर मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी अध्यक्ष जमीअत उलमा उत्तर प्रदेष ने व्यक्त करते हुए फरमाया कि आखिरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद स.अ.व. से मुहब्बत दुनिया व आखिरत की सबसे बड़ी सआदत है और हमारे ईमान व इस्लाम की कसौटी है लेकिन गौरतलब बात यह है मुहब्बते रसूल का आधार क्या होना चाहिए। क्या महबूब की मंषा के खिलाफ ज़िंदगी गुजारने और उनकी बताई षिक्षाओं को छोड़ने और केवल जुबान से मुहब्बत का इज़हार करने का नाम मुहब्बत है? रसूल से मुहब्बत का वही आधार विष्वसनीय होगा जो आप स.अ.व. के सबसे पहले आषिक सहाबा किराम रजि. ने पेष किया। जिनके खुलूस और मुहब्बत और हुस्ने ईमान की गवाही ख्ुद कुरआन ने दी है और यह वही आधार है जिसको खुद अल्लाह ने कुरआन में बयान फरमाया कि ''ऐ नबी ! आप कह दीजिये कि अगर तुम अल्लाह से मुहब्बत करते हो तो मेरी इत्तेबा(अनुसरण) करो। '' मौलाना ने कहा कि नबी का अनुसरण ही नबी से सच्ची मुहब्बत है इसके बग़ैर मुहब्बता का दावा अधूरा है। इसलिये कि अल्लाह किसी से मुहब्बत करने लगे तो उससे ज्यादा कामयाब और खुषनसीब इंसान और कौन होगा। इसलिये हम आंख बंद करके अपने को इस कसौटी पर परखें कि हम दीन पर हैं या नहीं। मौलाना ने कहा कि अल्लाह ने हमें दुनिया में खैर उम्मत बनाकर भेजा कि हम अपने अख्लाक व किरदार को दीनी षिक्षाओं का अनुसरण करते हुये लोगों के सामने पेष करें । नबी स.अ.व. की एक एक अदा अल्लाह ने क़यामत तक आने वाले इंसानों के लिये नमूना बनाया। बहैसियत उम्मती हमारी ज़िम्मेदारी है कि हुजूर के तरीक़े को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचायें। नबी और सहाबा के जीवन से सबक़ हासिल करते हुये दुनिया को अमन व सलामती और भाई चारे का पैग़ाम पहुंचायें। और जो भी हालात सामने आयें उन पर हिकमत के साथ सब्र करके अपने सम्बन्ध अल्लाह से मज़बूत करके उसका सामाना करें। आज दुनिया हमारे किरदार को देख रही है। हमारी तरफ निगाहें लगाये हुये है। इसलिये हमको अपनी जिन्दगी में हुजूर स.अ.व. के किरदार को अपनाना चाहिये और नबी की षिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाना हमारी ज़िम्मेदारी है।
इससे पूर्व जलसे का शुभारम्भ क़ारी मुजीबुल्लाह इरफानी ने तिलावते कुरआन पाक से किया। संचालन मौलाना मुहम्मद अकरम जामई और मुफ्ती असदुद्दीन क़ासमी ने और अध्यक्षता मौलाना हफीजुर्रहमान अषरफी ने किया। इस अवसर पर मौलाना अन्सार अहमद जामई, मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी, क़ारी अब्दुल मुईद चौधरी, मुफ्ती इज़हार मुकर्रम क़ासमी, हाफिज़ मुहम्मद तलहा क़ासमी, क़ारी बदुरुज्ज़मा कुरैषी समेत शहर की अन्य उलमा मंच पर उपस्थित रहे जबकी जबकि हजारों लागों ने जलसे षिरकत की। मौलाना उसामा क़ासमी की दुआ पर जलसा खत्म हुआ। जलसे के संयोजक हाजी मुहम्मद अमीम खां ने सभी उपस्थि लोगों का शुक्रिया अदा किया।