उन्नाव 10 नवंबर। हाई कोर्ट द्वारा बांगरमऊ तहसील अंतर्गत मुंसिफ कोर्ट जूनियर डिविजन स्थापित करने का निर्देश प्रदेश शासन को अरसा पूर्व दिया जा चुका है। मुंसिफ कोर्ट के लिए भूमि का प्रस्ताव भी शासन स्तर पर पहुंच चुका है। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रदेश सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका भी अदालत में लंबित है। जिसकी सुनवाई आगामी शुक्रवार को है। अदालत को जवाब देने के लिए जिला न्यायालय जल्द ही मुंसिफ कोर्ट का अस्थाई तौर पर संचालन नगर के किसी सरकारी भवन में कर सकता है।
बांगरमऊ में तहसील तो स्थापित हो चुकी है। लेकिन मुंसिफ कोर्ट के अभाव के चलते वादकारियों को न्याय के लिए यहां से करीब 50 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ रही है। इसी के मद्देनजर हाई कोर्ट की खंडपीठ लखनऊ के वरिष्ठ अधिवक्ता फारूक अहमद एडवोकेट ने गत दिनांक 17 अक्टूबर 2016 को अदालत में यहां के तहसील स्तर पर मुंसिफ कोर्ट जूनियर डिविजन स्थापित कराने की जनहित याचिका दाखिल की थी। बाद में अदालत ने विगत 4 नवंबर 2016 को याचिका निस्तारित करते हुए प्रदेश सरकार को मुंसिफ कोर्ट हेतु मूलभूत सुविधाएं तत्काल मुहैया कराने का कड़ा निर्देश दिया था। लेकिन अदालती निर्देशों के बावजूद प्रदेश सरकार ने अदालत स्थापित करने के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की। तब वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अहमद ने प्रदेश सरकार के विरुद्ध विगत 19 दिसंबर 2017 को अदालत में अवमानना याचिका दाखिल कर दी। जिसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने प्रदेश के प्रमुख सचिव विधि एवं न्याय उमेश कुमार को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। नोटिस मिलते ही प्रमुख सचिव ने उन्नाव के जिला अधिकारी को मुंसिफ कोर्ट की स्थापना हेतु 20 एकड़ भूमि जल्द उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
खास बात तो यह है कि तत्कालीन एसडीएम ने बिगत 3 नवंबर 2018 को ही क्षेत्र के राजस्व ग्राम इस्माइलपुर आंबापारा व जोगीकोट तथा कबीरपुर की संयुक्त भूमि करीब 32 बीघा का प्रस्ताव प्रदेश शासन को भेज दिया। उधर विधि और न्याय मंत्रालय ने भी मुंसिफ कोर्ट की स्थापना हेतु एक पद सिविल जज जूनियर डिविजन, एक पद स्टेनोग्राफर, 2 पद वरिष्ठ लिपिक, 2 पद कनिष्ठ लिपिक, एक चपरासी तथा एक अर्दली कुल 9 पद सृजित भी कर दिए। फिर भी यहां की तहसील में न्यायालय की स्थापना नहीं हो सकी।
हाईकोर्ट में आगामी शुक्रवार को पुनः इसी मामले की सुनवाई होना है। जिसकी सूचना मिलते ही जिला न्यायालय सक्रिय हो गया है। बीते गुरुवार को जनपद न्यायाधीश और मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने यहां की तहसील का दौरा किया। दोनों न्यायिक अधिकारियों ने अस्थाई मुंसिफ कोर्ट की स्थापना हेतु नगर स्थित शहीद जसासिंह भवन और पुराने सरकारी अस्पताल की बिल्डिंग का बारीकी से निरीक्षण किया। अधिकारी द्वय ने इन दोनों भवनों में शौचालय व पेयजल सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का भी जायजा लिया। न्यायिक अधिकारियों के अनुसार स्थाई भवन निर्मित होने तक अस्थाई तौर पर न्यायालय की स्थापना जल्द ही किसी सरकारी भवन में कर दी जाएगी। इस फरमान से क्षेत्र के वादकारियों को जहां जल्द ही उन्नाव की भागदौड़ से मुक्ति मिल सकेगी, वही सस्ता और सर्वसुलभ न्याय भी मिल सकेगा।