उपचुनाव: गोविन्द नगर विधानसभा सीट पर भाजपा को कानपुर में मिली थी पहली जीत

कानपुर । उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव में इन दिनों कानपुर की गोविन्द नगर विधानसभा चर्चा का केन्द्र बनी हुई है। हो भी क्यों न यह ऐसी सीट है जिसने भाजपा को कानपुर में पहली जीत दी थी। इसी के चलते भाजपा यहां पर पूरी ताकत झोक रही है और माहौल भी अनुकूल दिख रहा है। हालांकि कांग्रेस ने भी दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व महासचिव करिश्मा ठाकुर को मैदान में उतारकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। 
भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से पार्टी का संगठनात्मक ढांचा कानपुर में बराबर बढ़ता रहा, लेकिन कांग्रेस व वामपंथियों के चलते जीत नहीं मिल सकी। कानपुर में भाजपा को पहली जीत 1989 के विधानसभा चुनाव में मिली और वह सीट थी गोविन्द नगर विधानसभा। इस सीट पर बालचन्द्र मिश्रा ने कमल को खिलाया और लगातार चार बार विधायक बने। इसके बाद कांग्रेस ने युवा उम्मीदवार अजय कपूर को मैदान में उतारा तो भाजपा को लगातार दो बार हार का सामना करना पड़ा। 2012 में कांग्रेस ने अजय कपूर को किदवई नगर से चुनाव मैदान में उतारा और वहां पर भी उनकी जीत हुई पर गोविन्द नगर में कांग्रेस हार गयी। यहां पर भाजपा के पूर्व विधायक सत्यदेव पचैरी चुनाव जीतने में सफल रहे और दोबारा फिर पार्टी ने उन पर भरोसा जताया तो 2017 में मोदी लहर के चलते पचैरी भारी मतों से जीत दर्ज की। इसके बाद अब पचैरी के सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव में भाजपा ने जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी पर विश्वास जताते हुए उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के लिए कानपुर में लकी साबित होने वाली इस सीट पर कांग्रेस ने करिश्मा ठाकुर को मैदान में उतारकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया। इसी के चलते भाजपा इस सीट पर अधिक फोकस किये हुए है और जी तोड़ मेहनत कर अपने विजयी अभियान को आगे बढ़ाना चाहती है। भाजपा इस सीट पर प्रचार के लिए हर वर्ग के नेताओं को लगा रही है और आज खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चुनाव प्रचार करने आ रहे हैं। कैबिनेट मंत्री सतीश महाना, कमल रानी वरुण, नंद गोपाल नंदी तो कई दिनों से यहां पर डेरा जमाये हुए हैं। यही हाल कांग्रेस का भी है और उनके नेता भी 12 साल के सूखे को खत्म करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष से लेकर स्थानीय नेता जनता के बीच पसीना बहा रहे हैं।