प्रदेश सरकार भूजल प्रबन्धन एवं संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध

कानपुर देहात: 24 अक्टूबर, 2019
गिरते हुए भूजल स्तर में सुधार के लिए उ0प्र0 सरकार ने विगत वर्षों में भूजल रिचार्जिंग के विभिन्न प्रकार के कार्य किये हैं। प्रदेश में विगत ढाई वर्षों में सरकार ने परम्परागत व नये हजारों तालाबों, पोखरों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराया। चैकडैम के निर्माण कराये, सिंचाई में कम जल खपत वाली विधियां ड्रिप, स्प्रिंकलर प्रणाली को प्रोत्साहन देकर किसानों को कम पानी से अधिक पैदावार लेने आदि के कार्य किये जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां भूगर्भ जल सम्पदा ने प्रमुख सिंचाई साधन के रूप में एक विशिष्ट स्थान बना लिया है। प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत सिंचित कृषि मुख्य रूप से भूगर्भ जल संसाधनों पर निर्भर है। वहीं, पेयजल एवं औद्योगिक सेक्टर की अधिकांश जल आवश्यकताओं की पूर्ति भी भूगर्भ जल से ही होती है। भूगर्भ जल के असीमित एवं अत्याधिक उपयोग के परिणामस्वरूप, प्रदेश के अनेक ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अतिदोहन की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। राज्य सरकार इस संसाधन के सस्टेनेबल प्रबन्धन के साथ-साथ इसे संरक्षित करने के लिए गम्भीर है और इसी कड़ी में वर्षा जल संचयन, भूगर्भ जल रिचार्ज व एक्यूफर प्रबन्धन जैसे कार्यक्रमों को शासन की प्राथमिकताओं में रखा गया है। प्रदेश में भूजल संसाधनों के समेकित प्रबन्धन तथा विभिन्न योजनाओं में भूगर्भ जल पर निरन्तर बढ़ती निर्भरता के दृष्टिगत वर्षा जल संचयन एवं रिचार्ज कार्यक्रमों को एकीकृत ढंग से लागू करने के उद्देश्य से प्रदेश में 'समग्र भूजल प्रबंधन नीति' की आवश्यकता है।
उ0प्र0 भूगर्भ जल प्रबन्धन एवं नियोजन एक्ट 2019 प्रख्यापित की गई है। जिसका उद्देश्य है कि भूगर्भ जल संसाधनों का विनियमित दोहन तथा अनुकूलतम एवं विवेकयुक्त उपयोग किया जाय। समग्र भूजल प्रबन्धन हेतु एक्यूफर मैपिंग एवं एक्यूफर आधारित प्रबन्धन के राष्ट्रीय कार्यक्रम को प्रदेश में प्राथमिकता पर योजनाबद्ध तरीके से आरम्भ किया जा रहा है। भूजल सम्वर्धन कार्यक्रम को वृहद स्तर पर एकीकृत रूप से लागू करना तथा अतिदोहित/क्रिटिकल विकासखण्डों को समयबद्ध रूप से सुरक्षित श्रेणी में जाये जाने की प्रक्रिया अपनाई जा गई है। सतही जल एवं भूजल के सहयुक्त उपयोग को प्रभावी ढंग से लागू करना। संकटग्रस्त भूजल क्षेत्रों में जल उपयोग की कुशल विधाओं को प्रोत्साहित करना, भूजल प्रबन्धन, नियोजन एवं संरक्षण में रिवर बेसिन/वाटरशेड अप्रोच को प्राथमिकता देते हुए प्रदूषित भूजल óोतों को चिन्हित कर प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित जलापूर्ति सुनिश्चित करना प्रमुख है।
उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबन्धन एवं नियोजन) अधिनियम के अन्तर्गत प्रदेश में गिरते हुए भूजल स्तर तथा भूजल गुणवत्ता के स्थायी समाधान के लिए अब प्रदेश में भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबन्धन एवं नियमन किये जाने की तत्काल आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश में पहली बार ''उत्तर प्रदेश ग्राउण्ड वाटर (मैनेजमेन्ट एण्ड रेगुलेशन) एक्ट-2019'' प्रख्यापित किया गया है। इस एक्ट में प्राविधान किया गया है कि संकटग्रस्त क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए उनके भूजल प्रबन्धन प्राविधानित किए गए हैं तथा साथ ही यह भी प्राविधानित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था किसी भी प्रकार से भूजल एवं नदी, तालाब, पोखर इत्यादि को प्रदूषित न करें।
इस एम्ट में यह भी प्राविधान किया गया है कि समस्त सरकारी/अर्द्धसरकारी/ सरकारी सहायता प्राप्त कार्यालयों एवं निजी क्षेत्रों की संस्थाओं को भी अपने परिसर में रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली अनिवार्य रूप से स्थापित किये जाय। अधिनियम के प्राविधानों के उल्लंघन और विशेष रूप से भूजल अथवा सतही जल को प्रदूषित करने वालों पर दण्ड के भी कड़े प्राविधान किये गये हैं। वर्तमान में अधिनियम के विभिन्न प्राविधानों से समयबद्ध एवं पारदर्शी रूप से क्रियान्वयन हेतु नियमावली तैयार की जा रही है। अधिनियम के लागू होने के पश्चात जन-मानस को गुणवत्तापरक भूजल की आपूर्ति सुनिश्चित कराने के समग्र प्रयास किये जा सकंेगे। प्रदेश सरकार भूजल प्रबन्धन एवं संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है और इसकी नियमावली बन रही है जो शीघ्र ही लागू होगी।