जनपद में धूमधाम से मनाया गया रोशनी का पर्व दीपावली

- गणेश-महालक्ष्मी का पूजन कर साधकों ने मांगी सुख-समद्धि
- रात तक चलता रहा आतिशबाजी का दौर


                                 मुखलाल स्वीट हाउस में मिष्ठान व पटाखा खरीदते लोग। 


फतेहपुर। करीब एक सप्ताह से दीपावली की तैयारियों को महिलाओं ने आज अंतिम रूप देते हुए महालक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा अर्चना हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न की। वैदिक नियमों के तहत आज मुहूर्त के समय लगभग सभी घरों में गणेश एवं लक्ष्मी की मूर्ति पर रोली, चावल, फूलमाला, पान व सुपाड़ी, इलाइची, कलावा, धूपबत्ती, खील, बतासे, पंचमेवा, गंगा जल, दूध, दही, घी, चंदन आदि से दीपावली के इस पर्व में लक्ष्मी प्राप्त हेतु पूजा अर्चना की गयी। इस अवसर पर शहर को दीपों से कुछ इस कदर सजाया गया कि समूचे शहर की मनोहर छटा देखते ही बनती थी। जहां एक तरफ घर के बुजुर्ग व महिलायें पूजा पाठ के कार्यो में तल्लीन रहीं वहीं दूसरी तरफ घर के युवाओं ने आतिशबाजी की धूम मचाये रखी।
देश की सबसे बडी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने रात्रि 10 बजे के बाद आतिशबाजी पर रोक लगाने के निर्देश दिये है। जिस पर जिलाधिकारी संजीव सिंह व पुलिस अधीक्षक रमेश ने आदेशों का पालने करने के लिये पहले से ही हिदायत दे रखी थी। इसके बावजूद भी कहीं-कहीं मध्य रात्रि तक आतिशबाजी का दौर चलता रहा। वहीं अपने आप में दीपावली का त्योहार अनेक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। जिसके तहत तंत्रशास्त्री अपनी तंत्र विद्या को जगाकर देवों का आहवान कर उनको अपने वश में करने का कार्य करते रहे। वहीं शराबियों व जुआड़ियों ने इस त्योहार को जुआं खेलकर मनाया। समूचे शहर में दीपावली का यह त्योहार धूमधाम से मनाया तो गया पर आतिशबाजी के दौरान कई जगह छिटपुट घटनायें देखने को मिली। दीपावली में परम्परा का रूप ले चुके जुएं की फड़ें पुलिस संरक्षण में खुलेआम चलती रहीं। कहीं पर पुलिस ने पहुंचकर अपनी जेबें गर्म की तो कहीं दो के चार बनाने के चक्कर में लोग कंगाल हो गये। इस तरह दीपावली के पर्व में जुआड़ियों का बोलबाला रहा। प्रशासन के कड़े निर्देश के बावजूद भी शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जुंआ की फड़े खुली आम चली। पुलिस का आलम यह रहा कि उसे दीपावली का खर्च कहां से मिले इसके लिए वह गली-गली घूमकर जुआड़ियों की तलाशकर उनसे जमकर रूपये ऐंठे। दीपावली पर्व में जहां जुंआड़ियों की चहलकदमी से पुलिस अपनी जेब भरती रही है। 



दीपावली में बच्चों के लिए जितना महत्व मिठाई का है। उससे कम पटाखों और आतिशबाजी का नहीं है। रंग बिरंगी रोशनी से नहाये घरों के सामने और मुडेरों से पटाखे फोड़ना, मिशाइलें छोड़ना और अन्य प्रकार की देशी व चीनी आतिशबाजी का लुत्फ उठाना बच्चें का दीपावली में खास आकर्षण होता है। बच्चों की खुशी में उनके माता पिता से लेकर दादा-दादी तक भाग लेेते हैं और इसलिए दीवापली में आतिशबाजी पर ही जनपद में दो करोड़ के करीब की खरीददारी हो जाती है। इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले महंगाई ने पटाखा बाजार पर भी शिकंजा कसा। बीस फीसदी तक कीमतें बढ़ने के बावजूद पटाखा बाजार पूरी तरह सजा संवरा रहा जहां लोग कई दिनों से खरीददारी कर रहे थे। प्रमुख बाजारों से लेकर कस्बों और गांवों तक में पटाखे और आतिशबाजी की अस्थाई दुकाने सैकड़ों की संख्या में सजी हुई है और दीपावली की खुशी में पटाखे फोड़ने के लिए बच्चे ही नहीं बल्कि युवा और बुजुर्ग भी बच्चों की खुशी की आड़ में जमकर खरीददारी करने के लिए जुटे हुए हैं। 
हालांकि प्रशासन ने अस्थाई अनुमति देते हुए ऐसे दुकानदारों को अग्निशमन की पर्याप्त व्यवस्था के साथ आबादी से दूर दुकान लगाने के लिए निर्देश दे रखे हैं। प्रशासन के निर्देशन में इस बार शहर से बाहर विज्ञान भवन में दुकानदारों ने अपनी दुकानों को संचालित किया। दीपावली की खुशी में कहीं बारूद का ढेर बनी ये दुकानें किसी बड़ी दुर्घटना का सबब न बन जाए। इसके लिए पुलिस की बराबर चैकसी और निर्देशों का कड़ाई से पालन कराये जाने की जद्दोजहद की। दीपावली की खुशी में विस्फोटकों का प्रयोग परम्परागत ढंग से जारी है और गाहे-बगाहे होने वाली दुर्घटनाओं से प्रशासन भी संजीदा है, इसलिए पटाखे बेंचने वाली दुकानों को आबादी क्षेत्र से बाहर ही रखने पर प्रशासन का पूरा जोर रहा। पटाखा खरीदने वालों की विज्ञान भवन में जमकर भीड़ उमड़ी। देर शाम तक लोग पटाखा खरीदने के लिए विज्ञान भवन में मौजूद रहे।