होम साइंस में गोल्ड मेडल जीतती है छात्राएं, किचन में जाकर सब भूल जाती हैं - राज्यपाल आनंदीबेन
जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों पर जताई चिंता   

 

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जलवायु परिवर्तन की वजह से कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों से निपटने हुए फसलों को इको फ्रेंडली बनाने की चुनौती है। राज्यपाल ने यहां पर महिलाओं से कुपोषण से निपटने के साथ ही स्त्रीशिक्षा पर जोर दिया।
बुधवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के 21वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जिस तरह से वैश्विक स्तर पर परिस्थितयां बदल रही हैं,उससे कृषि वैज्ञानिकों के सामने बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवर्तन को सबसे अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले कल की इस चुनौती का कैसे सामना करना है, इस पर अभी से शोध प्रारंभ करें। प्रदेश की कृषि उत्पादकता बनी रहे और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करके फसलें भी इको फ्रेंडली रहें, इसकी भी चुनौती से निपटना बहुत जरूरी है। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिकों को जैव प्रौद्योगिकी का विकास करने की सलाह देते हुए कहा कि देश में कृषि क्षेत्र तो असीमित है लेकिन इसको सींचित करने वाला भूजल सीमित है। ऐसे में इस तरफ भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मृदा उर्वरता कम होने के बावजूद भारत अभी भी खाद्यान्न उत्पादन में न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि उसका निर्यात भी कर रहा है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए फसलों की ऐसी प्रजातियों पर शोध किये जाने की जरूरत है जो विषम जलवायु में भी पैदा हो सकें। 

महिलाओं में कुपोषण पर भी जाहिर की चिंता   

राज्यपाल आनंदी बेन ने कहा कि होम साइंस की छात्राएं क्लास में पढ़ती है,एग्जाम में अच्छा लिखती हैं और गोल्ड मेडल जीतती हैं लेकिन किचन में जाकर सब भूल जाती हैं। यदि होम साइंस पढ़ा है तो उसका आजीवन इस्तेमाल होना चाहिए। चाहे वह घर में हो या रोजगार के क्षेत्र में। बेटियां आज पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रही हैं। पढ़ाई का सही दिशा में इस्तेमाल होना चाहिए। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने महिलाओं में कुपोषण पर भी चिंता जाहिर की। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने लड़कों के पिछड़ने पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि कई विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के बाद यह बात सामने आयी है कि पदकों के मामले में हमेशा लड़कियों की संख्या 75 फीसदी होती है जबकि लड़कों की संख्या 25 फीसदी रहती है। उन्होंने कहा कि लड़के पढ़ाई कर रहे हैं, इसके बाद भी उनका ध्यान कहां लग रहा है।

701 छात्र - छात्राओं को मिली उपाधि  

दीक्षांत समारोह में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्र ऋतेश सिंह को कुलाधिपति समेत चार स्वर्ण पदक मिले। राज्यपाल आनंदीबेन और जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने 56 मेधावी छात्र-छात्राओं को मेडल सौंपे। 14 को गोल्ड 14 को कांस्य और 14 को रजत पदक भेंट किए। इस खास मौके पर उपस्थित छात्र छात्र छात्राओं ने अपने माता-पिता और अन्य परिजनों के पैर छूकर आशीर्वाद लिए। यहां 701 छात्र छात्राओं को उपाधि भी भेंट की गई। दीक्षांत समारोह में पीएचडी डिग्री धारकों का राज्यपाल के साथ फोटो सेशन पहली बार हुआ। इस पल को लेकर पीएचडी धारक भी उत्साहित नजर आए। इसके साथ ही शहर के विभिन्न जूनियर हाईस्कूल के 25 छात्रक-छात्राओं को राज्यपाल ने पुरस्कृत किया। कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले एनजीओ के बारे में भी राज्यपाल ने जाना।