आत्महत्या रोकने के लिए हमें मिलकर काम करने की जरूरत है

नोडल शिक्षकों हेतु उन्मुखीकरण कार्यशाला

 

 कानपुर, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के  तत्वावधान में आज परेड में बच्चों में आत्महत्या रोकने के लिए एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें डाक्टर सुधांशु मिश्रा ने कहा कि पूरे विश्व में 8 लाख लोग हर साल आत्महत्या कर रहे हैं, जबकि भारत में 2 लाख 50 हजार लोग तनाव में आकर  आत्महत्या कर रहे हैं, पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में 7 गुना आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है, आज यह सोचनीय विषय है ।भारत में 30 प्रतिशत लोग मानसिक रोगों का शिकार हो रहे हैं। हमने शिक्षकों के साथ मिलकर इन्हें कम करने का बीड़ा उठाया है। आज आत्महत्या का मुख्य कारण तनाव, अपने आप पर बोझ समझना, निराशा की भावना व अकेलापन है।

डॉ सुनील पाठक ने कहा कि परेशानियों को चुनौतियों के रूप में लेना चाहिए।

अन्य वक्ता डा संदीप सिंह, डाक्टर एस के निगम ने शिक्षक व शिक्षिकाओं को जागरूक करने के लिए अपने विधालय में विचार गोष्ठी पर बल दिया और कहा कि बेरोजगारी भी आज आत्महत्या का मुख्य कारण बनती जा रही है, बच्चों को ज्यादा नम्बर लाने पर अभिभावक जोर दे रहे हैं, लेकिन वह बच्चों के मानसिकता पर गौर नही करते, जिससे बच्चे डिपेशन में जा रहे हैं। हमें अपने विघालय में बच्चों को खुशहाल जीवन जीने पर जोर देने की जरूरत है। इसमें प्रमुख रूप से दिलीप कुमार मिश्रा अखिलेश मिश्रा, संजय कुमार, रवि कुमार, चिरंजीवी प्रसाद आदि लोग मौजूद रहे।