कानपुर 11 सितम्बर: बानी इजलास डा.सैयद ग़ुलाम मुहीउद्दीन हाशमी अलैहिर्रहमा का क़ायम शुदा 106 वॉ दस रोज़ा क़दीमी इजलास बयादगार-ए-शहीदे आज़म का आखिरी जलसा आशूरा को सुबह हाशमी मेडिकल हाल चमनगंज मे हुआ उसके बाद शहीदाने कर्बला व अहलेबैत के तबर्रूकात की जियारत कराई गई जिसमे बड़ी तादाद मे अकीदतमंद हाजिर हुए इससे पहले हज़रत मौलाना मोहम्मद इसरार बक़ाई ने खिताब फरमाते हुए कहा कि हज़रत इमामे हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु की शहादत पर पैगम्बरे इस्लाम को सदमा हुआ उसका कोई अंदाज़ा ही नही लगा सकता हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि अल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि एक दिन मैने दोपहर के वक्त ख्वाब मे पैगम्बरे इस्लाम का दीदार किया मैने देखा कि हुज़ूर के बाल मुबारक चेहरे अनवर पर बिखरे हुए हैं और हाथ मे खून से भरी बोतल है मैने पूछा हुज़ूर यह बोतल कैसी है?और इस क़दर रंजो मलाल कयों है?पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया इस बोतल मे मेरे नूरे नज़र हुसैन और उनके जानिसार साथियों का खून है जिसे मै आज सुबह से उठा रहा हूँ हज़रत इब्ने अब्बास फरमाते हैं मैने उस वक्त और तारीख को याद रखा कुछ दिनो के बाद जब खबर आई तो मालुम हुआ कि हज़रत इमामे हुसैन उसी वक्त शहीद किये गए थे जनाब नईम चिश्ती, रईस अहमद ने नात व मनक़बद पेश की जलसा सलातो सलाम व दुआ के साथ खत्म हुआ जलसे के बाद तबर्रूकात की जियारत कराई गई जलसे के मीडिया इंचार्ज हाफिज़ सैयद मोहम्मद फैसल जाफरी ने बताया कि तबर्रूकात मे हज़रत अली रजि अल्लाहु अन्हु के हाथ का लिखा हुआ क़ुरआन पाक (कपड़े मे),हज़रत इमाम हुसैन रजि अल्लाहु अन्हु का कुर्ता मुबारक,हज़रत इमाम ज़ैनुल आबदीन रजि अल्लाहु अन्हु का पटका मुबारक (बेल्ट) व सलूका मुबारक, छै माह के मासूम हज़रत अली असग़र रजि अल्लाहु अन्हु का खून वाला कुर्ता मुबारक और खाना-ए-काबा का तराशा हुआ पत्थर इन सभी मुकद्दस तबर्रूकात की जियारत करने के लिए काफी लोग हाजिर हुए फूल व इत्र पेश कर मन्नते व मुरादें मॉगी जिसमे औरतें भी बड़ी तादाद मे थीं जियारत के वक्त अक़ीदतमंद लोगो के आँखों से आँसू जारी थे इस मौके पर डा. सैयद इक़बाल हाशमी,डा.सैयद आफ़ताब हाशमी,डा.सैयद खुर्शीद हाशमी,डा.सैयद मोईन हाशमी,सैयद ज़ीशान हाशमी,सैयद खालिद हसन,सैयद उसामा हाशमी,इक़बाल मीर खाँ,अज़ीज़ अहमद चिश्ती आदि लोग मौजूद थे!
हाशमी मेडिकल हाल मे शहीदाने कर्बला के तबर्रूकात की जियारत कराई गई